आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई) एक सार्वभौम स्वास्थ्य योजना का शक्ल ले रही है। केंद्र सरकार की इस व्यापक स्वास्थ्य बीमा योजना के साथ धीरे-धीरे कई दूसरी स्वास्थ्य योजनाएं भी जुड़ती जा रही हैं। केंद्र सरकार की कई योजनाएं पहले ही आयुष्मान भारत से जुड़ चुकी हैं और कई अन्य कतार में हैं। इतना ही नहीं, भविष्य में इस योजना के तहत स्वास्थ्य बीमा रकम भी बढ़कर दोगुनी हो सकती है।
कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ईएसआईएस) और केंद्र सरकार स्वास्थ्य सेवाएं (सीजीएचएस) जैसी केंद्र सरकार की बड़ी स्वास्थ्य योजनाएं पहले ही पीएमजेएवाई के साथ जुड़ चुकी हैं। राज्य एवं केंद्र सरकार की मौजूदा कई योजनाओं के साथ ही बिल्डिंग ऐंड अदर कंसट्रक्शन वर्कर्स (बीओसीडब्ल्यू) और एक्स सर्विसमैन कंट्रिब्यूटरी हेल्थ स्कीम (ईसीएचएस) को भी पीएमजेएवाई के साथ जोड़ने पर चर्चा चल रही है।
इस पूरे मामले से वाकिफ सूत्रों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि एबी-पीएमजेएवाई के साथ ईसीएचएस को जोड़ने पर विचार हो रहा है। एक सूत्र ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘फिलहाल किसी अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है मगर बातचीत चल रही है।’ सूत्र ने कहा कि बीओसीडब्ल्यू को एबी-पीएमजेएवाई के साथ जोड़ने की कवायद शुरू हो गई है। उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकारें इस काम में पहल करेंगी।’
सूत्र ने कहा कि लगभग 157 जिलों ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) पर ईएसआईएस लाभार्थियों को लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। हालांकि, इस पर एनएचए की प्रतिक्रिया नहीं ली जा सकी। एनएचए पर पीएमजेएवाई के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी है।
सरकार ने राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य ढांचा तैयार करने के लिए आवश्यक रणनीति एवं तकनीकी ढांचा बनाने और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी एनएचए को सौंपी है। ईएसआईसी ने वर्ष 2021 में एनएचए के साथ एक साझेदारी की थी जिसके तहत ईएसआई लाभार्थी एबी-पीएमजेएवाई के नेटवर्क अस्पतालों में इलाज करा सकते हैं।
इस व्यवस्था के अंतर्गत एबी-पीएमजेएवाई के लाभार्थी भी ईएसआईसी के अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं ले सकते हैं। इस बारे में बीमा क्षेत्र के एक प्रतिनिधि ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘इस कदम का मकसद ईएसआईसी के उन नेटवर्क अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं का इस्तेमाल बढ़ाना है जहां लोगों के इलाज की अच्छी खासी गुंजाइश मौजूद है। इसके तहत ईएसआई लाभार्थियों को एबी-पीएमजेएवाई से जुड़े अस्पतालों में शल्य चिकित्सा कराने की सुविधा मिली है।’
शुरुआती चरण में महाराष्ट्र के अहमदनगर और कर्नाटक के बीदर में एक प्रायोगिक योजना शुरू की गई। इस योजना के अंतर्गत इन जिलों में ईएसआई के लाभार्थियों को पीएमजेएआई के अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाएं मयस्सर हुईं। इस योजना का विस्तार अब 157 जिलों तक किया गया है।
एबी-पीएमजेएवाई योजना से जुड़े एक अस्पताल के मालिक ने कहा, ‘केंद्र सरकार एबी-पीएमजेएवाई के साथ देश में विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं को जोड़ना चाहती है। इसका मकसद अमेरिका की तरह ही एक सार्वभौम स्वास्थ्य योजना की तरफ कदम बढ़ाना है। यह प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके जरिये देश की 70-75 प्रतिशत आबादी को आराम से स्वास्थ्य बीमा के दायरे में ले जाया जा सकता है।’
इस बीच, विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के साथ जोड़ने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सीजीएचएस लाभार्थी आईडी को आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (एबीएचए) आईडी के साथ जोड़ना अनिवार्य कर दिया है।
यह व्यवस्था 1 अप्रैल से शुरू हो गई है और सीजीएचएस के मौजूदा लाभार्थी 30 दिनों के भीतर यह काम पूरा कर लेंगे। देश में 75 शहरों के 44 लाख से अधिक लोग सीजीएचएस के दायरे में आते हैं। सीजीएचएस के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारियों, पेंशनधारकों और उन पर निर्भर परिवार के सदस्यों को समग्र स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ दिया जाता है।
सीजीएचएस के डैशबोर्ड पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार इनमें 21 अप्रैल तक 1,26,707 लोगों के सीजीएचएस आभा आईडी के साथ जुड़ चुके हैं। आभा आईडी 14 अंकों की एक विशिष्ट संख्या होती है जो देश के डिजिटल स्वास्थ्य सुविधा ढांचे में किसी लाभार्थी की विशेष पहचान होती है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार एक अन्य महत्त्वपूर्ण पहल के तहत हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और नगालैंड ने अपनी राज्य स्वास्थ्य बीमा योजनाओं को एबी-पीएमजेएवाई के साथ जोड़ना शुरू कर दिया है।
इस सूत्र ने कहा, ‘यह पहल राज्य सरकारों की तरफ से होगी और इन लाभार्थियों को आयुष्मान भारत कार्ड भी जारी किए जाएंगे।’वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में केंद्र सरकार ने कहा था कि 30 लाख मान्यताप्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) और आंगनवाड़ी कर्मियों एवं सहायक भी एबी-पीएमजेएवाई योजना के अंतर्गत आएंगे।
एबी-पीएमजेएवाई योजना की शुरुआत सितंबर 2018 में हुई थी। इसकी शुरुआत के बाद से अब तक 34.2 करोड़ एबी-पीएमजेएवाई कार्ड जारी किए जा चुके हैं। इस योजना के लाभार्थी देश के 30,000 नेटवर्क अस्पतालों में 6.5 करोड़ से अधिक लोग इलाज करा चुके हैं।
एक सरकारी सूत्र ने यह भी इशारा किया कि एबी-पीएमजेएवाई में बीमा कवर 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक करने पर भी विचार चल रहा है। सूत्र ने कहा, ‘इस संबंध में प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा जा चुका है। मगर इस पर कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। यदि प्रस्ताव स्वीकार होता है तो योजना के लिए आवंटन लगभग दोगुना हो जाएगा।’
वित्त वर्ष 2023-24 में एबी-पीएमजेएवाई के लिए 7,200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इस वर्ष फरवरी में पेश अंतरिम बजट में इसे थोड़ा बढ़ाकर 7,500 करोड़ रुपये कर दिया गया है।