UBS की एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत आने वाले सालों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति को और मजबूत कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 2028 से 2030 के बीच औसतन 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। इस तेजी के चलते भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2026 तक तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बन जाएगा।
UBS का मानना है कि आने वाले सालों में वैश्विक आर्थिक वृद्धि थोड़ी सुस्त रह सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में दुनिया की ग्रोथ दर 3.2 प्रतिशत रहने के बाद 2026 में घटकर 3.1 प्रतिशत हो सकती है, हालांकि 2028 तक यह फिर से बढ़कर 3.3 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। इस मामूली सुस्ती के बावजूद, भारत के लिए तस्वीर उम्मीद से भरी दिख रही है, क्योंकि उसकी घरेलू मांग और नीतिगत समर्थन उसे एशिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाए रखेगा।
UBS का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था तो मजबूत दिशा में बढ़ रही है, लेकिन शेयर बाजार को लेकर थोड़ी सावधानी जरूरी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय कंपनियों के शेयरों की कीमतें अभी उनके असली प्रदर्शन की तुलना में कुछ ज्यादा हैं। इसी वजह से UBS ने भारतीय शेयरों के लिए अपना रुख ‘अंडरवेट’ रखा है। यानी फिलहाल निवेश के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि खुदरा निवेशक अभी शेयर बाजार में जोश दिखा रहे हैं और बाजार को संभाले हुए हैं। लेकिन विदेशी निवेशकों की बिकवाली और आईपीओ या नई कंपनियों के शेयर बेचकर पैसा जुटाने की बढ़ती गतिविधियां आने वाले समय में बाजार पर दबाव डाल सकती हैं।
UBS का कहना है कि भारत में अभी AI से जुड़े बड़े शेयर नहीं हैं, जैसे अमेरिका या चीन में देखने को मिलते हैं। हालांकि, उन्हें लगता है कि भारत के बैंकिंग और दैनिक उपभोग की चीजों (consumer goods) वाले सेक्टर में स्थिरता है, और ये सेक्टर आगे भी अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।
UBS का यह सतर्क रुख बाकी विदेशी वित्तीय संस्थाओं से काफी अलग है। जहां UBS भारतीय शेयर बाजार को लेकर सावधानी बरतने की बात कर रहा है, वहीं दूसरी बड़ी संस्थाएं भारत पर ज्यादा भरोसा जता रही हैं। उदाहरण के तौर पर, Goldman Sachs ने भारतीय शेयरों को लेकर अपना नजरिया ‘ओवरवेट’ किया है। यानी उन्हें उम्मीद है कि भारतीय बाजार अच्छा प्रदर्शन करेगा। उन्होंने निफ्टी का टारगेट 29,000 अंक तय किया है। वहीं, Morgan Stanley को भरोसा है कि सेंसेक्स जून 2026 तक 1,00,000 अंक तक पहुंच सकता है। दूसरी तरफ, MSCI India Index ने साल 2025 में अब तक 3.9 प्रतिशत की बढ़त दिखाई है, लेकिन यह अब भी उभरते बाजारों (Emerging Markets) की तुलना में 33.6 प्रतिशत कमजोर प्रदर्शन कर रहा है।
UBS की रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले कुछ सालों में भारत की आर्थिक वृद्धि मजबूत बनी रहेगी। संस्था का अनुमान है कि भारत की जीडीपी (GDP) FY27 में 6.4 प्रतिशत और FY28 में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले 10 सालों में भारत की घरेलू खपत (household consumption) लगभग दोगुनी हो चुकी है। 2024 में यह बढ़कर 2.4 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गई है। इसका सीधा मतलब है कि भारत में लोगों की खरीदने और खर्च करने की क्षमता बहुत बढ़ी है, जिससे अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिला है।
UBS की अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन और निहाल कुमार ने लिखा है कि भारत का उपभोक्ता बाजार (consumer market) अब इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि 2026 तक यह चीन और अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा।
UBS की रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले वर्षों में अमेरिका और चीन दोनों की आर्थिक रफ्तार थोड़ी धीमी हो सकती है। अमेरिका की अर्थव्यवस्था 2025 में 1.9 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि 2026 में इसमें थोड़ी कमी आ सकती है और वृद्धि दर 1.7 प्रतिशत तक गिर सकती है। इसके बाद 2027 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था दोबारा 1.9 प्रतिशत की रफ्तार पकड़ने की संभावना जताई गई है।
वहीं चीन की स्थिति कुछ कमजोर दिख रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की आर्थिक वृद्धि 2025 में 4.9 प्रतिशत से घटकर 2026 में 4.5 प्रतिशत रह सकती है। UBS का मानना है कि इसका मुख्य कारण निर्यात में कमी और घरेलू मांग की कमजोरी है।
UBS ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि भारत की आर्थिक बढ़त काफी हद तक अमेरिका की व्यापार नीति पर निर्भर करेगी। अगर अमेरिका भारत पर लगाया गया 50 प्रतिशत का व्यापार शुल्क बनाए रखता है, तो इसका सीधा असर भारत की जीडीपी पर पड़ सकता है। UBS का अनुमान है कि इस वजह से भारत की आर्थिक वृद्धि करीब 0.5 प्रतिशत तक घट सकती है।
इसके अलावा, अगर अमेरिका अपनी कंपनियों द्वारा विदेशों में दी जाने वाली आउटसोर्सिंग सेवाओं पर 25 प्रतिशत टैक्स लगाता है, तो भारत की अर्थव्यवस्था को और बड़ा झटका लग सकता है। इस स्थिति में भारत की वृद्धि दर 0.9 प्रतिशत तक गिर सकती है।
UBS का कहना है कि ऐसे कदम केवल निवेश पर ही नहीं, बल्कि रोजगार, खपत और कारोबारी विश्वास पर भी असर डाल सकते हैं। यानी अगर अमेरिका की नीतियां भारत के खिलाफ सख्त रहीं, तो इससे भारत की विकास यात्रा पर थोड़ा ब्रेक लग सकता है।
UBS की रिपोर्ट के अनुसार, आने वाले सालों में भारत में मुद्रास्फीति यानी महंगाई थोड़ी बढ़ सकती है। संस्था का अनुमान है कि FY26 में महंगाई दर 2.4 प्रतिशत रहेगी, जो FY27 में बढ़कर 4.3 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। हालांकि यह दर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के तय किए गए 4.5 प्रतिशत टारगेट से थोड़ी कम ही रहेगी। इसका मतलब है कि महंगाई बढ़ेगी जरूर, लेकिन अभी भी नियंत्रण में रहेगी।
UBS का यह भी मानना है कि RBI FY26 में ब्याज दरों में 25 बेसिस पॉइंट की एक और कटौती कर सकता है, यानी कर्ज और सस्ते हो सकते हैं। इसके बाद केंद्रीय बैंक FY27 में लंबे समय तक दरों को स्थिर रख सकता है।