म्युचुअल फंड

अक्टूबर में इक्विटी म्युचुअल फंड में निवेश 19% घटकर ₹24,690 करोड़, SIP ऑलटाइम हाई पर

इक्विटी फंड्स की धीमी रफ्तार के बावजूद, निवेशकों का SIP पर भरोसा लगातार बढ़ रहा है। अक्टूबर में SIP के जरिए निवेश रिकॉर्ड 29,529 करोड़ रुपये के ऑलटाइम हाई पर पहुंच गया

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अंशु   
Last Updated- November 11, 2025 | 6:39 PM IST

इ​क्विटी म्युचुअल फंड में अक्टूबर महीने में लगातार तीसरे महीने निवेश घटा है। इ​क्विटी फंड्स में इनफ्लो मासिक आधार (MoM) पर 19 फीसदी (MoM) घटकर 24,690 करोड़ रुपये रह गया। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) ने मंगलवार को आंकड़े जारी किये। इस गिरावट के बावजूद लगातार 56वें महीने इ​क्विटी सेगमेंट में नेट इनफ्लो बना रहा। सितंबर में 30,421 करोड़ का निवेश इ​क्विटी फंड्स में आया था और अगस्त में यह आंकड़ा 33,430 करोड़ रुपये था। इक्विटी फंड्स की धीमी रफ्तार के बावजूद, निवेशकों का SIP पर भरोसा लगातार बढ़ रहा है। अक्टूबर में SIP के जरिए निवेश रिकॉर्ड 29,529 करोड़ रुपये के ऑलटाइम हाई पर पहुंच गया। एक्सपर्ट्स का कहना है कि हाल की बाजार तेजी के बाद मुनाफा निकालने और त्योहारों में पैसे की जरूरतों की वजह से निवेश कम हुआ।

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फ्लेक्सी फंड्स का जलवा, ₹8,929 करोड़ आये

एम्फी के आंकड़ों के मुताबिक, इक्विटी म्युचुअल फंड की ज्यादातर कैटेगरी में सुस्ती देखने को मिली। स्मॉल-कैप फंड्स में इनफ्लो घटकर 3,476 करोड़ रुपये रह गया, जो एक महीने पहले 4,363 करोड़ रुपये था। वहीं मिड-कैप फंड्स में इससे भी तेज गिरावट आई और इनफ्लो 5,085 करोड़ रुपये से घटकर 3,807 करोड़ रुपये पर आ गया। हालांकि फ्लेक्सी-कैप फंड्स ने इस रुझान को तोड़ते हुए मजबूती दिखाई। इस कैटेगरी में इनफ्लो बढ़कर 8,929 करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले महीने 7,029 करोड़ रुपये था। यह अक्टूबर का टॉप कैटेगरी फंड बनकर उभरा।

मिरे असेट इनवेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) की हेड ऑफ डिस्ट्रीब्यूशन एंड स्ट्रैटेजिक अलायंसेज सुरंजना बोरठाकुर ने कहा कि इक्विटी कैटेगरी में फ्लेक्सी-कैप फंड्स में लगातार निवेश आ रहा है। यह दिखाता है कि निवेशक अब डाइवर्सिफाइड स्ट्रैटेजीज को अधिक पसंद कर रहे हैं।

ऑम्नीसाइंस कैपिटल के सीईओ और चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट डॉ. विकास गुप्ता ने कहा, “फ्लेक्सी कैप कैटेगरी में पिछले महीने की तुलना में इनफ्लो में वृद्धि हुई है, जबकि अधिकांश अन्य इक्विटी कैटेगरियों में इनफ्लो कम रहे और कुल मिलाकर इक्विटी इनफ्लो भी घटे हैं। ऐसा लगता है कि निवेशकों और डिस्ट्रिब्यूटर्स का लार्ज, मिड या स्मॉलकैप जैसी कैटेगरी में भरोसा कम हो रहा है।”

लार्ज-कैप फंड्स में निवेश तेजी से घटकर 972 करोड़ रुपये रह गया, जबकि पिछले महीने इसमें 2,319 करोड़ रुपये का निवेश आया था। दूसरी ओर, ELSS कैटेगरी से करीब 666 करोड़ रुपये और डिविडेंड यील्ड फंड्स से 179 करोड़ रुपये की की निकासी हुई।

बोरठाकुर ने कहा कि स्मॉल कैप, मिडकैप और लार्ज कैप कैटेगरी में निवेश घटा है। इसकी एक वजह मुनाफावसूली (profit booking) और सीमित दायरे में चल रहे बाजार के बीच निवेशकों का सतर्क रुख है।

गुप्ता ने आगे कहा कि इसके अलावा, इक्विटी म्युचुअल फंड्स में कुल मिलाकर भरोसा भी घटता हुआ दिख रहा है, क्योंकि इनफ्लो में उल्लेखनीय कमी आई है और निवेशक बड़ी संख्या में आर्बिट्राज फंड्स की ओर रुख कर रहे हैं। इससे संकेत मिलता है कि निवेशकों का एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण वर्ग इक्विटी बाजार के भविष्य को लेकर अनिश्चितता महसूस कर रहा है।

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डेट फंड्स ने की जोरदार वापसी, ₹1.59 लाख करोड़ आये

डेट-ओरिएंटेड म्युचुअल फंड्स ने अक्टूबर 2025 में जोरदार वापसी की। फिक्स्ड इनकम वाले बॉन्ड आधारित म्युचुअल फंड स्कीम्स का अक्टूबर में नेट इनफ्लो 1.59 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि सितंबर महीने में 1.02 लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम नेट आउटफ्लो देखने को मिला था।

इस तेजी की अगुवाई लिक्विड फंड्स ने की, जिनमें 89,375 करोड़ रुपये का निवेश आया। यह मुख्य रूप से कॉरपोरेट और संस्थानों द्वारा दूसरी तिमाही समाप्त होने के बाद अपने अल्पकालिक अतिरिक्त धन को दोबारा निवेश करने से हुआ। मनी मार्केट फंड्स में 17,916 करोड़ रुपये का इनफ्लो दर्ज हुआ, जबकि अल्ट्रा-शॉर्ट ड्यूरेशन फंड्स और ओवरनाइट फंड्स में क्रमशः 15,067 करोड़ रुपये और 24,051 करोड़ रुपये का निवेश आया।

ज्यादातर अन्य कैटेगरी जैसे कॉरपोरेट बॉन्ड फंड्स और लो-ड्यूरेशन फंड्स, में भी पॉजिटिव इनफ्लो देखने को मिला। हालांकि गिल्ट फंड्स, डायनेमिक बॉन्ड फंड्स और फ्लोटर फंड्स में मामूली आउटफ्लो जारी रहा।

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Gold ETFs में निवेशकों की मजबूत दिलचस्पी

अक्टूबर 2025 में गोल्ड ईटीएफ (Gold ETFs) में निवेशकों की मजबूत दिलचस्पी बनी रही। इस कैटेगरी में नेट इनफ्लो 7,743 करोड़ रुपये रहा, जो सितंबर के 8,363 करोड़ रुपये से थोड़ा कम है। अन्य एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) में भी 6,182 करोड़ रुपये का निवेश आया, जबकि पिछले महीने यह आंकड़ा 8,151 करोड़ रुपये था।

मोतीलाल ओसवाल एएमसी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ बिजनेस ऑफिसर अखिल चतुर्वेदी ने कहा, “हम जो रुझान देख रहे हैं, वह स्पष्ट रूप से गोल्ड और सिल्वर जैसी कमोडिटीज के पक्ष में एसेट अलोकेशन में बदलाव का संकेत देता है। पिछले दो महीनों में गोल्ड ईटीएफ (Gold ETFs) की नेट सेल्स 300% बढ़कर पिछले महीने 7,500 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई है। इसके अलावा, गोल्ड में एक्सपोजर वाले मल्टी-एसेट फंड जैसे एसेट अलोकेशन फंड्स में भी स्थिर रूप से 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का इनफ्लो देखा जा रहा है, जो छह महीने पहले लगभग 2,000 करोड़ रुपये था।”

उन्होंने आगे कहा कि यह कहने की जरूरत नहीं कि पिछले एक साल में गोल्ड और सिल्वर ने शेयर बाजार से बेहतर प्रदर्शन किया है, और इसी वजह से निवेश आवंटन में यह बदलाव पूरी तरह से अपेक्षित है।

हाइब्रिड स्कीम्स में निवेशकों की भागीदारी भी जोरदार रही, जहां इनफ्लो बढ़कर 14,156 करोड़ रुपये हो गया, जो सितंबर में 9,397 करोड़ रुपये था।

बोरठाकुर ने कहा, “दिलचस्प बात यह है कि हाइब्रिड फंड्स, खासकर आर्बिट्राज स्ट्रैटेजीज में निवेशकों की रुचि फिर से बढ़ रही है, क्योंकि वे भविष्य में इक्विटी निवेश के लिए फिलहाल रणनीतिक तौर पर पैसा पार्क कर रहे हैं। मल्टी-एसेट फंड्स भी ऐसी श्रेणी हैं, जिनमें नेट इनफ्लो में लगातार स्थिर वृद्धि देखी जा रही है। पैसिव सेगमेंट मजबूत बना हुआ है, जहां इंडेक्स फंड्स में निवेश 22% बढ़ा है।”

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म्युचुअल फंड इंडस्ट्री का AUM ₹79.87 लाख करोड़

म्युचुअल फंड इंडस्ट्री का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) बढ़कर रिकॉर्ड 79.87 लाख करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले महीने के 75.61 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है।

एम्फी के सीईओ वी एन चलसानी ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि बाजारों में तेजी के बीच मुनाफावसूली के कारण अधिक निकासी हुई। अक्टूबर में कुल निकासी 38,920 करोड़ रुपये रही, जबकि सितंबर में यह 35,982 करोड़ रुपये थी। इक्विटी योजनाओं का एयूएम 31 अक्टूबर तक 35.16 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले महीने यह 33.68 लाख करोड़ रुपये था।

First Published : November 11, 2025 | 3:13 PM IST