परमाणु ऊर्जा पर कड़े कानूनी प्रावधानों के कारण इस उद्योग में भय का माहौल था। इससे यह उद्योग शांत पड़ गया और कोई गतिशीलता नहीं थी। उद्योग जगत की इन्हीं चिंताओं को दूर करने और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी भागीदारी बढ़ाने के लिए सरकार को एक नया व्यापक विधेयक लाना पड़ा। लोक सभा में बुधवार को एक चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने यह बात कही। विपक्ष के वॉक आउट के बीच ध्वनि मत से परमाणु ऊर्जा के सतत दोहन और उन्नति (शांति) विधेयक पारित किया गया।
विपक्ष का तर्क था कि प्रस्तावित कानून में सरकार परमाणु दुर्घटना की स्थिति में उपकरण आपूर्तिकर्ताओं को जिम्मेदारी से बचने का रास्ता खोलकर अपने नागरिकों को खतरे में डाल रही है। परमाणु ऊर्जा विभाग देख रहे पीएमओ में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोक सभा को बताया, ‘सरकार केवल ऑपरेटर से संपर्क रखेगी, आपूर्तिकर्ता की पूरी जिम्मेदारी ऑपरेटर पर होगी।’ उन्होंने कहा कि छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों जैसी नई तकनीक को प्रोत्साहित करने के लिए रिएक्टर आकार से जुड़ी श्रेणीबद्धता के जरिए ऑपरेटर के दायित्व को तर्कसंगत बनाया गया है।
मंत्री ने कहा कि विधेयक में बहु-स्तरीय तंत्र के माध्यम से प्रभावित व्यक्तियों को पूर्ण मुआवजा सुनिश्चित करने का प्रावधान है। विधेयक समकालीन तकनीकी, आर्थिक और ऊर्जा वास्तविकताओं के अनुरूप भारत के परमाणु ढांचे को आधुनिक बनाने का प्रयास करता है। इसमें 1962 के परमाणु ऊर्जा अधिनियम के बाद से लागू सुरक्षा उपायों को भी बरकरार रखा गया है, बल्कि उन्हें और मजबूत किया गया है। मंत्री ने कहा कि शांति विधेयक मील का पत्थर साबित होगा, जो देश की विकासात्मक यात्रा को नई दिशा देगा।
विपक्षी कांग्रेस ने विधेयक के कई प्रावधानों से संबंधित चिंताओं को उठाया और सरकार से इसे गहन परामर्श के लिए संसदीय समिति को भेजने का आग्रह किया। कांग्रेस सदस्य मनीष तिवारी ने विधेयक का विरोध करते हुए तर्क दिया कि परमाणु उपकरणों के आपूर्तिकर्ताओं से जिम्मेदारी का बोझ हटाना परमाणु घटना की स्थिति में भारत के लिए हानिकारक साबित होगा।
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर मनरेगा को धीरे-धीरे कमजोर करने का आरोप लगाते हुए बुधवार को कहा कि मौजूदा अधिनियम से महात्मा गांधी का नाम हटाते हुए नया विधेयक लाना सरकार की ‘गरीब, किसान और मजदूर विरोधी सोच’ को दर्शाता है।
लोक सभा में ‘विकसित भारत-जी राम जी विधेयक, 2025’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद जयप्रकाश ने नए कानून में राज्यों के 40 प्रतिशत अंशदान वाले प्रावधान का उल्लेख किया और कहा कि सरकार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की तरह राज्यों पर 10 प्रतिशत भार ही रखना चाहिए। इससे पहले, विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए सदन में रखते हुए ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह विधेयक विकसित भारत के लिए विकसित गांवों के निर्माण का विधेयक है, जिसमें 100 दिन की रोजगार की गारंटी 125 दिन की कर दी गई है।
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने दावा किया कि महात्मा गांधी का नाम हटाना न सिर्फ उनका, बल्कि रवींद्रनाथ टैगोर का भी अपमान है, जिन्होंने सबसे पहले उन्हें (गांधी को) ‘महात्मा’ कहा था। महुआ ने दावा किया कि बिना किसी से विचार-विमर्श किए मनरेगा को निरस्त करने के लिए यह विधेयक लाया गया।