Oreva Group ने मोरबी पुल हादसे के पीड़ितों को कुल 5 करोड़ रुपये का अंतरिम मुआवजा देने की पेशकश की है। मंगलवार को गुजरात हाई कोर्ट के सामने पेशी में घड़ी बनाने वाली कंपनी Oreva group ने कहा कि वह उन परिजनों को कुल 5 करोड़ रुपये का ‘अंतरिम’ मुआवजा देने के लिए तैयार है, जिन्होंने मोरबी पुल के ढहने पर अपनी जान गंवा दी थी।
हालांकि, अदालत ने कहा कि कंपनी द्वारा पेश किया गया मुआवजा “न्यायसंगत” नहीं था।
मोरबी शहर में मच्छू नदी पर बना अंग्रेजों के जमाने का झूलता पुल पिछले साल 30 अक्टूबर को ढह गया था, जिसमें 135 लोगों की मौत हो गई थी और 56 अन्य घायल हो गए थे।
Ajanta Manufacturing Limited (Oreva Group) द्वारा हाई कोर्ट में ‘अंतरिम’ मुआवजे का आश्वासन उस घटना के बाद पिछले साल स्वीकार की गई जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया था।
Oreva Group की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता Nirupam Nanavaty ने अदालत से कहा कि यदि मुआवजे को अगर सभी मृतकों के परिजनों के बीच बांटा जाता है, तो उनके परिजनों को लगभग 3.5 लाख रुपये मिलने चाहिए, जबकि घायलों को एक-एक लाख रुपये मिलेंगे। हालांकि हाई कोर्ट ने इसे ठुकरा दिया औऱ कहा कि यह न्याय के अनुरूप नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश सोनिया गोकानी और न्यायमूर्ति संदीप भट्ट की खंडपीठ ने कहा, “क्या यह उचित है? आपने स्वेच्छा से सिर्फ उचित मुआवजे का भुगतान किया। क्या यह आपके अनुसार है? यह सिर्फ मुआवजे के भी करीब नहीं है।”
पीठ ने आगे की सुनवाई बुधवार को स्थगित कर दी और नानावती से कहा कि वह अपने मुवक्किल से निर्देश लें कि क्या कंपनी भविष्य में अधिक मुआवजे का भुगतान करेगी क्योंकि इस भुगतान को “अंतिम नहीं” करार दिया गया है।