बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने आखिरकार भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया है। हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में आकाश आनंद को मध्य प्रदेश में पार्टी की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी जहां बसपा ने अब तक का अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया है। हालांकि भतीजे के कामकाज से नाखुश होने के बजाय मायावती ने उन्हें उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड को छोड़ देश के सभी राज्यों में लोकसभा चुनावों में पार्टी की जिम्मेदारी सौंपी है।
रविवार को बसपा के सभी 28 राज्यों व राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक में मायावती ने ऐलान किया कि उनके बाद पार्टी की कमान भतीजे आकाश आनंद के हाथों में होगी। फिलहाल देश के 26 राज्यों में बसपा संगठन, प्रचार व प्रत्याशियों के चयन का काम आकाश आनंद देखेंगे जबकि मायावती उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में पार्टी संभालेंगी।
इस ऐलान के बाद यह साफ हो गया है कि बसपा की विरासत और राजनीति को आगे बढ़ाने का काम अब भतीजे आकाश के हाथों में होगी। आकाश आनंद बसपा मुखिया मायावती के सबसे छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं और वर्तमान में पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर हैं। मायावती ने भतीजे आकाश को 2017 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में पहली बार सक्रिय किया था और पिछले 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान उन्हें पार्टी की सोशल मीडिया का काम सौंपा था।
इसी साल मार्च में आकाश आनंद की शादी मायावती के करीबी व बसपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ की बेटी से हुई थी। भतीजे आनंद को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर घोषित कर मायावती की मंशा दलित युवाओं के बीच आजाद समाज पार्टी व चंद्रशेखर रावण की पकड़ को कमजोर करना भी है।
दूसरी ओर पार्टी के तमाम कद्दावर नेताओं के साथ छोड़ जाने के बाद मायावती के पास दूसरे विकल्प भी नहीं है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में बसपा का केवल एक विधायक है। हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यें के विधानसभा चुनावों में बसपा ने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ व तेलंगाना में अपने प्रत्याशी उतारे थे। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बसपा ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन भी किया था। हालांकि बसपा को चारों राज्यों में पहले के मुकाबले काफी कम वोट मिले हैं और केवल राजस्थान में उसके दो प्रत्याशी जीत सके हैं। बाकी तीन राज्यों में उसका खाता भी नहीं खुला है।
रविवार को पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में मायावती ने एक बार फिर से लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का अपना संकल्प दोहराते हुए कहा कि गठबंधन से बसपा को कोई फायदा नहीं बल्कि नुकसान ही होता है। उन्होंने विरोधी पार्टियों पर छल, धन बल और आचार संहिता की धज्जियां उड़ा कर चुनाव जीतने का आरोप लगाते हुए पार्टी पदाधिकारियों से इसके मुकाबले के लिए तैयार रहने को कहा।