देश में प्रसंस्कृत उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का आकार तेजी से बढ़ रहा है। इस क्षेत्र में महाराष्ट्र शीर्ष पर पहुंच चुका है। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग योजना (पीएम-एफएमई) के क्रियान्वयन में महाराष्ट्र देश में शीर्ष राज्य है। राज्य में कुल 22,010 प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग हैं, जिसमें छत्रपति संभाजीनगर में सबसे अधिक 1,895 परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं।
महाराष्ट्र 22,000 का आंकड़ा पार करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। बिहार 21,248 परियोजनाओं को मंजूरी देकर देश में दूसरे स्थान पर है, जबकि उत्तर प्रदेश 15,449 परियोजनाओं को मंजूरी देकर तीसरे स्थान पर है। महाराष्ट्र राज्य में परियोजना अनुमोदन में छत्रपति संभाजीनगर पहले स्थान पर, अहिल्यानगर दूसरे स्थान पर और सांगली जिला तीसरे स्थान पर है। इस योजना के माध्यम से राज्य में 2263 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। लाभार्थियों को 389 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया है।
कृषि मंत्री एडवोकेट माणिकराव कोकाटे ने बताया कि किसानों सहित आम आदमी की आर्थिक आजीविका में सुधार के लिए कृषि और खाद्य प्रसंस्करण सर्वोत्तम विकल्प हैं। महाराष्ट्र राज्य ने इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है और देश में शीर्ष स्थान हासिल किया है। इस योजना में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लाभार्थी उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। बैंक ऋण लिंक्ड सब्सिडी नव स्थापित या वर्तमान में संचालित सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को विस्तार , उन्नयन और आधुनिकीकरण के लिए प्रदान की जाती है । योजना के अंतर्गत व्यक्तियों , समूह लाभार्थियों , सामान्य बुनियादी ढांचे , इनक्यूबेशन केंद्रों , मूल्य श्रृंखलाओं , स्वयं सहायता समूह के सदस्यों, बीज पूंजी , विपणन और ब्रांडिंग आदि को पूंजी निवेश के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
व्यक्तिगत एवं समूह लाभार्थी सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को सामान्य अवसंरचना, मूल्य श्रृंखला, इन्क्यूबेशन सेंटर के लिए परियोजना लागत का 35 प्रतिशत , अधिकतम 10 लाख रुपये तक तथा परियोजना लागत का 35 प्रतिशत , अधिकतम 3 करोड़ रुपये तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। व्यक्तिगत एवं समूह लाभार्थी सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को सामान्य अवसंरचना, मूल्य श्रृंखला, इन्क्यूबेशन सेंटर के लिए परियोजना लागत का 35 प्रतिशत , अधिकतम 10 लाख रुपये तक तथा परियोजना लागत का 35 प्रतिशत , अधिकतम 3 करोड़ रुपये तक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
व्यक्तिगत, समूह लाभार्थियों तथा बीज पूंजी घटक के अंतर्गत लाभार्थियों को जिला स्तर पर निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है । राज्य में 29,183 लाभार्थियों को प्रशिक्षण देने में भी राज्य प्रथम स्थान पर है। इस योजना के अंतर्गत राज्य में 4369 अनाज उत्पाद, 3522 मसाला उत्पाद, 3242 सब्जी उत्पाद, 2723 दलहन उत्पाद, 2160 फल उत्पाद, 2099 डेयरी उत्पाद, 830 तिलहन उत्पाद, 553 पशु आहार उत्पाद, 523 अनाज उत्पाद, 446 गन्ना उत्पाद, 120 मांस उत्पाद, 98 वन उत्पाद, 41 अचार उत्पाद, 39 समुद्री उत्पाद तथा 1312 अन्य परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं। इसके लिए विस्तृत परियोजना योजना तैयार कर बैंकों, एफएसएसएआई, उद्योग आदि को प्रस्तुत की जानी चाहिए।
एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का आकार वर्ष 2030 तक 700 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2023 में 307 अरब डॉलर के मुकाबले दोगुना से अधिक है। बाजार का आकार वर्ष 2035 तक 1,100 अरब डॉलर और वर्ष 2047 तक 2,150 अरब डॉलर तक हो जाने का अनुमान है।