महाराष्ट्र

विधानसभा चुनाव की शंखनाद के पहले आरक्षण के राग से परेशान सरकार, आदिवासी नेताओं ने भी शुरू किया विरोध

सरकार के इस क़दम के बाद भी मराठा आरक्षण को लेकर जारी विवाद शांत नहीं हुआ क्योंकि मराठा समुदाय ओबीसी के कोटे से आरक्षण की मांग कर रहा है।

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सुशील मिश्र   
Last Updated- October 04, 2024 | 6:44 PM IST

आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र के मंत्रालय में शुक्रवार को अजीब स्थिति पैदा हो गई। जब महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरी झिरवल सहित कुछ आदिवासी नेता धनगर समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने का विरोध करने के लिए मंत्रालय में बने सुरक्षा जाल पर कूद गए। हालांकि इस घटना में कोई घायल नहीं हुआ लेकिन यह घटना इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि आने वाले विधानसभा चुनाव में आरक्षण का मुद्दा सरकार के लिए बहुत ही पेचींदा होने वाला है। मराठा, ओबीसी, एससी और एसटी सभी की अपने अपने मुद्दे हैं जो सत्ता पक्ष को परेशान करेंगे।

अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन

मंत्रालय की तीसरी मंजिल से कूदने वालों में राज्य में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के दो विधायक और एक सांसद शामिल थे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के विधायक झिरवाल और किरण लहामाटे एवं भाजपा के आदिवासी सांसद हेमंत सवारा उन लोगों में शामिल हैं जो तीसरी मंजिल से सुरक्षा जाल पर कूद गए थे, जिसे 2018 में सचिवालय में लगाया गया था। जब पुलिस कर्मियों ने इन नेताओं को जाल से हटाया तब आदिवासी प्रतिनिधि मैदान में एकत्रित हो गए और धरना देने लगे।

उनका दावा था कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे आरक्षण पर चर्चा के लिए उनसे मुलाकात नहीं कर रहे हैं। झिरवाल ने कहा कि मैं पहले आदिवासी हूं फिर विधायक और डिप्टी स्पीकर हूं। मुख्यमंत्री शिंदे को प्रदर्शनकारियों से मुलाकात करना चाहिए।

झिरवाल ने कहा कि राज्य सरकार को उन छात्रों को सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए जो महाराष्ट्र में पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम (पेसा) के तहत भर्ती पर रोक के खिलाफ एक पखवाड़े से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

धनगर समाज को एसटी का दर्जा देने से नाराज

ये लोग एकनाथ शिंदे सरकार की तरफ से धनगर समाज को एसटी का दर्जा दिए जाने के फैसले के खिलाफ हैं। वे अपनी ही सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं। नरहरी झिरवल धनगर समुदाय द्वारा आदिवासी समुदाय के आरक्षण में घुसपैठ को रोकने के लिए एक मजबूत रुख अपना रहे हैं। धनगर समाज को आदिवासी कोटे में आरक्षण ना मिले और पेसा कानून के तहत नौकरी भर्ती की मांग को लेकर विधायक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। दूसरी तरफ धनगर समाज लम्बे समय से आरक्षण की मांग कर रहा है।

मराठा आरक्षण के पक्ष में शरद पवार

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि वर्तमान आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत है। लेकिन अगर तमिलनाडु 78 प्रतिशत कर सकता है तो महाराष्ट्र में 75 प्रतिशत आरक्षण क्यों नहीं किया जा सकता। केंद्र को आगे बढ़कर आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए संविधान संशोधन लाना चाहिए। हम संशोधन का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि आरक्षण के लिए आंदोलन कर रहे मराठाओं को आरक्षण देकर इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस तरह के कदम से अन्य समुदायों के लिए निर्धारित आरक्षण की सीमा में कोई व्यवधान नहीं पड़े।

मराठाओं को खुश करने में लगी सरकार

महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने ऐतिहासिक अभिलेखों के आधार पर कुनबी-मराठा और मराठा-कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने के लिए प्रोटोकॉल को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से बनाई गई न्यायमूर्ति शिंदे समिति की दूसरी व तीसरी रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया हैं। कुनबी एक कृषक समुदाय है और इसे महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है।

न्यायमूर्ति संदीप शिंदे (सेवानिवृत्त) समिति ने दिसंबर 2023 में मराठा आरक्षण के मामले में अपनी दूसरी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी, जिसे राज्य सरकार ने अब तक आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं किया था। राज्य मंत्रिमंडल द्वारा शिंदे समिति की रिपोर्ट को सोमवार को स्वीकार किए जाने के निर्णय को पिछड़े समुदायों द्वारा विरोध के बीच ओबीसी श्रेणी में शामिल किए जाने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे मराठा समुदाय को शांत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।

मराठा समाज को ओबीसी कोटे में चाहिए आरक्षण

मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया था । मराठा समुदाय के सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन को देखते हुए उसे 10 फीसदी आरक्षण दिया गया है। राज्य में मराठाओं की आबादी सबसे अधिक है।

सरकार के इस क़दम के बाद भी मराठा आरक्षण को लेकर जारी विवाद शांत नहीं हुआ क्योंकि मराठा समुदाय ओबीसी के कोटे से आरक्षण की मांग कर रहा है। मराठाओं को कुनबी जाति में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। कुनबी पिछड़ा वर्ग में आते हैं। ओबीसी समाज के लोगों को लगता है कि इससे उनके अधिकार कम हो जाएंगे । मराठाओं को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के विरोध में ओबीसी समाज के लोग आंदोलन कर रहे हैं।

First Published : October 4, 2024 | 6:44 PM IST