मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़

मध्य प्रदेश बनेगा महत्वपूर्ण खनिजों का केंद्र, चीन पर निर्भरता घटाने में करेगा मदद : मोहन यादव

सिंगरौली में हुई खोज भारत को इस आयात निर्भरता से मुक्त करेगी और उसे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी स्थान दिलाने वाली साबित हो सकती है।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- August 19, 2025 | 9:18 PM IST

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंगलवार को कहा कि मध्य प्रदेश महत्वपूर्ण खनिजों का केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के प्रमुख खनिज केंद्र और ऊर्जा राजधानी सिंगरौली दुर्लभ तत्वों (रेयर अर्थ एलिमेंट्स यानी आरईई) का एक समृद्ध भंडार है, जो राज्य के विशाल खनिज भंडार में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि इस विशाल खनिज संपदा के साथ, मध्य प्रदेश भारत को चीन जैसे देशों पर निर्भरता से मुक्त करने में मदद करेगा और भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी राष्ट्र के रूप में उभरेगा।

इससे पहले कोयला और खनन मामलों के केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने संसद में जानकारी दी थी कि भारत में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर दुर्लभ पृथ्वी तत्वों का भंडार पाया गया है। यह उपलब्धि भारत को हरित ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा तकनीकों में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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कम होगी चीन पर निर्भरता

आधुनिक तकनीकों में प्रयोग किए जाने वाले इन तत्वों के लिए भारत अब तक चीन और अन्य देशों पर निर्भर था। सिंगरौली में हुई खोज भारत को इस आयात निर्भरता से मुक्त करेगी और उसे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी स्थान दिलाने वाली साबित हो सकती है। आने वाले वर्षों में यह खोज न केवल ‘आत्मनिर्भर भारत’ की पहल को आगे बढ़ाएगी, बल्कि औद्योगिक विकास को भी गति देगी।

उल्लेखनीय है कि कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा किए गए एक अध्ययन में सिंगरौली की कोयला खदानों और चट्टानों में स्कैंडियम, यिट्रियम जैसे आरईई की मौजूदगी पाई गई है। इस खोज की आधिकारिक घोषणा जुलाई 2025 में की गई थी। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में कोयला राख और ओवरबर्डन भी महत्वपूर्ण खनिजों के द्वितीयक स्रोत बन सकते हैं।

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IREL के साथ सहयोग

दुर्लभ पृथ्वी तत्वों की खोज को देखते हुए राज्य सरकार अब इनके प्रसंस्करण, अनुसंधान और अन्वेषण के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास पर कार्य कर रही है। हाल ही में खनिज संसाधन विभाग के एक प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय दुर्लभ पृथ्वी लिमिटेड (IREL) की भोपाल इकाई का दौरा किया और संभावित सहयोग पर चर्चा की। विभाग एक ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ स्थापित करने की संभावना भी तलाश रहा है, जो अनुसंधान, प्रशिक्षण और उद्योग के लिए विश्व स्तरीय मंच प्रदान करेगा।

First Published : August 19, 2025 | 9:14 PM IST