कफ सिरप से हुई मौतें एक बार फिर मरीजों को डरा रही हैं। राजस्थान में दो बच्चों की मौत और कई अन्य के बीमार पड़ने और मध्य प्रदेश में कम से कम छह बच्चों की मौत से चिंता बढ़ी है। उद्योग के जानकारों का कहना है कि हो सकता है कि अन्य कई राज्य सरकारों ने निविदा के माध्यम से जयपुर की केसन फार्मा से कफ सिरप खरीदा हो। ऐसे में समस्या का पूरा स्वरूप अभी सामने आना बाकी है।
बहरहाल राजस्थान और मध्य प्रदेश के राज्य औषधि प्राधिकरण मामले की जांच कर रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार सरकारी अस्पतालों में आपूर्ति की जाने वाली एक विशेष जेनेरिक कफ सिरप के उपयोग के कारण होने वाली मौतों की जांच और परीक्षण का काम चल रहा है।
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब राजस्थान सरकार को आपूर्ति की गई एक कफ सिरप को राज्य में पिछले 2 सप्ताह के दौरान 2 बच्चों की मौत और अन्य के बीमार पड़ने से जोड़ा गया है। इसके बाद अधिकारियों ने दवा के 22 बैचों पर प्रतिबंध लगा दिया है और जांच के आदेश दिए हैं।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक राजस्थान के औषधि नियंत्रक अजय फाटक ने कहा, ‘हमारे ड्रग इंसपेक्टरों ने सीकर, झुंझुनू और भरतपुर से नमूने लिए हैं और 3 दिन में टेस्ट रिपोर्ट आने की उम्मीद है। यह सिरप पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिया जाना चाहिए।’
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में भी कम से कम 6 बच्चों की किडनी खराब होने से मरने की खबर है, जिन्होंने कथित रूप से कफ सिरप पिया था।
इसी क्रम में रोग निगरानी के लिए सरकार की नोडल एजेंसी एनसीडीसी ने मध्य प्रदेश और राजस्थान के अस्पतालों और अन्य स्थलों से पानी और कीटविज्ञान संबंधी दवाओं के नमूने एकत्र किए हैं। संभावित संक्रामक रोग की संभावना को खत्म करने के लिए नमूनों की जांच की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि जांच के नतीजे आने के बाद इसके परिणाम को राज्य औषधि अधिकारियों के साथ साझा किया जाएगा।
बहरहाल मामले से अवगत अधिकारियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि जिस कफ सिरप की बात हो रही है, वह ‘दूषित’ नहीं है, जैसा कि संदेह जताया जा रहा है।