उद्योग

शहर की फैक्ट्रियों में मशीनें बढ़ीं, मजदूरों के लिए काम के मौके घटे: ASI रिपोर्ट

देश के 10 प्रमुख औद्योगिक क्षेत्रों में मशीनों और उपकरणों पर निवेश में दो अंकों की बढ़ोतरी, पर रोजगार सिर्फ एक अंक की दर से बढ़ा

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सचिन मामपट्टा   
Last Updated- October 21, 2025 | 10:18 AM IST

कुल फैक्ट्री रोजगार का करीब 70 फीसदी हिस्सा बनाने वाले देश के 10 बड़े औद्योगिक क्षेत्रों में निवेश तो तेजी से बढ़ा, लेकिन नई नौकरियों की रफ्तार धीमी रही। यह जानकारी सालाना औद्योगिक सर्वेक्षण (Annual Survey of Industries – ASI) 2023-24 की रिपोर्ट में सामने आई है।

निवेश बढ़ा, पर रोजगार नहीं

रिपोर्ट के मुताबिक, इन 10 क्षेत्रों में मशीनों, जमीन और अन्य स्थायी संपत्तियों में निवेश यानी फिक्स्ड कैपिटल में औसतन 12.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। लेकिन इन फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोगों की संख्या में सिर्फ 7.8 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। इसका मतलब है कि कंपनियों ने मशीनों में तो ज्यादा पैसा लगाया, लेकिन नए लोगों को काम पर कम रखा गया।

मशीनों पर बढ़ता भरोसा

ASI की रिपोर्ट के मुताबिक, 10 में से 9 उद्योगों में मशीनों और उपकरणों पर खर्च बढ़ने की रफ्तार, नई नौकरियों की बढ़ोतरी से कहीं ज्यादा रही। केवल वाहन और ट्रेलर बनाने वाले उद्योग में ऐसा हुआ कि काम करने वालों की संख्या (8.6%) मशीनों में किए गए निवेश (6.8%) से थोड़ी ज्यादा रही। वहीं, कपड़ा उद्योग में कंपनियों ने मशीनों पर खर्च तो बढ़ाया, लेकिन रोजगार घट गया, यानी वहां लोगों की नौकरियां कम हो गईं।

कंपनियां लोगों की जगह मशीनों पर क्यों भरोसा कर रही हैं?

विशेषज्ञों का कहना है कि अब कंपनियां मशीनों में पैसा लगाना ज्यादा फायदेमंद मानती हैं, क्योंकि मशीनें काम जल्दी और सही तरीके से करती हैं। इसके अलावा, सख्त श्रम कानूनों की वजह से कंपनियां ज्यादा लोगों को नौकरी पर रखने से बचती हैं। अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री अमित बसोले के अनुसार, “अब यह रुझान स्थायी हो गया है। यहां तक कि कपड़ा जैसे उद्योगों में भी अब मशीनों का इस्तेमाल बहुत तेजी से बढ़ रहा है।”

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) के प्रोफेसर बीनो पॉल ने कहा कि मशीनों का इस्तेमाल इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि कंपनियां नई तकनीकें अपनाने और पर्यावरण नियमों के अनुसार काम करने की दिशा में बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा, “अगर भारत सर्कुलर इकॉनमी (Circular Economy) की ओर बढ़ता है, तो फिर से रोजगार बढ़ सकता है।”

क्या है सर्कुलर इकॉनमी?

सर्कुलर इकॉनमी का मतलब है ऐसी व्यवस्था जिसमें उत्पाद इस तरह बनाए जाएं कि उन्हें मरम्मत, दोबारा इस्तेमाल या रीसायकल किया जा सके। इससे नए रोजगार बनते हैं और प्रदूषण भी कम होता है। यानी यह मॉडल न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि लोगों के लिए काम के मौके भी बढ़ा सकता है।

निवेश और रोजगार में बढ़ता अंतर

ASI रिपोर्ट बताती है कि पूंजी निवेश की रफ्तार लगातार दूसरे साल भी तेज रही है, लेकिन निवेश और रोजगार वृद्धि के बीच का अंतर सात साल में सबसे ज्यादा हो गया है। ये करीब 6.3 प्रतिशत अंक है। 10 में से 8 उद्योगों में निवेश दो अंकों में बढ़ा, जबकि केवल एक उद्योग में रोजगार की वृद्धि दो अंकों में दर्ज हुई।

कौन से उद्योग आगे रहे?

रिपोर्ट के मुताबिक, कपड़ा उद्योग (Wearing Apparel) में मशीनों में निवेश सबसे तेज बढ़ा। करीब 29.7% की वृद्धि इसमें देखने को मिली। वहीं, मशीनरी और उपकरण निर्माण उद्योग (Machinery & Equipment Manufacturing) में रोजगार में सबसे ज्यादा 12.9% की बढ़त दर्ज की गई।

First Published : October 21, 2025 | 10:18 AM IST