मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़

MP: अमेरिकी टैरिफ का सीमित असर, नए बाजार तलाशने की तैयारी में एमपी उद्योग

MP: अमेरिका द्वारा 25 फीसदी टैरिफ लगाने की घोषणा पर बोले मध्य प्रदेश के कारोबारी और औद्योगिक संगठन। कम मार्जिन वाले क्षेत्रों में बढ़ेगी चुनौती।

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संदीप कुमार   
Last Updated- August 01, 2025 | 12:53 PM IST

US Tariffs: अमेरिका द्वारा भारत से होने वाले आयात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने के निर्णय को 7 अगस्त तक टाल दिया गया है। प्रदेश के उद्योग जगत ने नए टैरिफ को लेकर मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ औद्योगिक संगठनों का कहना है कि मध्य प्रदेश से होने वाले निर्यात की मात्रा को देखते हुए यह टैरिफ कुछ खास असर नहीं डाल सकेगा वहीं अन्य का मानना है कि प्रदेश को निर्यात के लिए नए बाजारों की तलाश शुरू कर देनी चाहिए।

मध्य प्रदेश से अमेरिका को होने वाले निर्यात में एग्री और फार्मा प्रॉडक्ट्स, ऑटो पार्ट्स, ज्वेलरी आदि प्रमुख हैं।

क्या सोचते हैं औद्योगिक संगठन और कारोबारी?

पीथमपुर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘प्रदेश अमेरिका को बहुत अधिक निर्यात नहीं करता। पीथमपुर, भोपाल, इंदौर और देवास क्लस्टर से दवाओं, वाहन कलपुर्जे और टेक्सटाइल का निर्यात अमेरिका को किया जाता है। औषधि यानी फार्मा क्षेत्र इस शुल्क वृद्धि के दायरे से बाहर है लेकिन बाकी क्षेत्रों का निर्यात ट्रंप द्वारा 25 फीसदी का शुल्क लागू करने की घोषणा से जरूर प्रभावित होगा।’

कोठारी ने कहा, ‘टैरिफ के दबाव से बचने के लिए प्रदेश के उद्योग लागत कम करने के उपायों पर विचार कर सकते हैं। इसके अलावा वे उन देशों के रास्ते अपना माल अमेरिका भेजने के विकल्प तलाश सकते हैं जिनके साथ अमेरिका का व्यापार समझौता है या जहां उसने कम शुल्क लागू किया है।’

विशेष वाहन क्षेत्र की अग्रणी कंपनी पिनेकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सुधीर मेहता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि बहुत जल्दी दोनों देशों के बीच समझौता हो जाएगा। अगर एक-दो महीने शुल्क लागू भी रहा तो उससे बहुत बड़ा असर नहीं होगा। वाहन क्षेत्र में ऐसा नहीं होता है कि कोई कंपनी रातों रात अपना वेंडर बदल दे। इसलिए शुल्क वृद्धि के बावजूद अमेरिकी वाहन निर्माता कंपनियां हमसे कलपुर्जे खरीदना जारी रखेंगी।’

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कम मार्जिन वाले क्षेत्रों में बढ़ेगी चुनौती

फार्मा क्षेत्र की कंपनी कुसुम हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के सहायक महाप्रबंधक (वित्त) सानंद मोहन पुरोहित ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘फार्मा सेक्टर पर अभी नया टैरिफ लागू नहीं है लेकिन कुल मिलाकर उद्योग जगत पर शुल्क वृद्धि का असर पड़ेगा। अगर अगले 15-20 दिनों में दोनों देश किसी समझौते पर नहीं पहुंचे तो हमें अमेरिका से परे वैकल्पिक बाजारों की तलाश में लगना होगा। अगर दवाओं पर टैरिफ लगा तो चूंकि जेनरिक दवाओं में पहले ही बहुत कम मार्जिन है। ऐसे में अमेरिका के साथ कारोबार करना बहुत मुश्किल हो जाएगा।’

मंडीदीप इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘मध्य प्रदेश अमेरिका को सोयाबीन उत्पाद, एल्यूमिनियम, कपास, बासमती चावल, फार्मा, ऑटो कंपोनेंट और ज्वेलरी आदि का निर्यात करता है। भोपाल, मंडीदीप, देवास जैसे औद्योगिक क्षेत्र, विशेष रूप से फार्मा, ऑटो पार्ट्स, ज्वेलरी में अमेरिका पर काफी निर्भर हैं। सोयाबीन और कृषि उत्पाद महंगे होने के कारण वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकते हैं। फार्मा कंपनियों के मार्जिन घट सकते हैं क्योंकि वे पहले ही कम मार्जिन पर काम कर रही हैं। वहीं इंदौर–भोपाल क्षेत्र के आभूषण निर्माता अमेरिका से ऑर्डर में गिरावट महसूस कर सकते हैं। वहीं कपास और वस्त्र उद्योग को वियतनाम तथा इंडोनेशिया की सस्ती आपूर्ति के कारण चुनौती मिल सकती है।’

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उन्होंने यह भी कहा कि भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात उसके जीडीपी का बमुश्किल दो फीसदी है। ऐसे में अमेरिकी शुल्क वृद्धि मध्य प्रदेश के निर्यात पर असर तो डालेगी लेकिन वह बहुत प्रभावी नहीं होगा।

उद्योग जगत के आंकड़ों के अनुसार मध्य प्रदेश सालाना करीब 66,000 करोड़ रुपये मूल्य की वस्तुओं का निर्यात करता है। इसमें अमेरिका को सालाना करीब 12,000 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात किया जाता है। अप्रैल-जून 2025 में प्रदेश से 3,254 करोड़ रुपये मूल्य की वस्तुएं अमेरिका भेजी गईं।

First Published : August 1, 2025 | 12:53 PM IST