Kolkata doctor rape case: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की उप प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने कोलकाता में महिला डॉक्टर के बलात्कार और हत्या को भयानक और परेशान करने वाली घटना बताते हुए इसकी निंदा की है। बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, ‘निजी तौर पर कहूं तो इस तरह की कोई भी घटना खौफनाक है। यह बहुत परेशान करने वाली है।’
उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘ऐसी घटनाओं का अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ता है, इसे छोड़ दीजिए मगर जरूरी है कि भारतीय महिलाएं सुरक्षित महसूस करें और इस पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए।’
दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स की छात्रा रह चुकीं गोपीनाथ कॉलेज के हीरक जयंती सम्मेलन में हिस्सा लेने दिल्ली आई थीं। उन्होंने कहा कि आर्थिक दृष्टिकोण से श्रमबल में भारतीय महिलाओं की भागीदारी दर अभी बहुत कम है। इसे बढ़ाने के लिए कामकाज की जगहों पर महिला सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा सुनिश्चित किए बगैर एलएफपीआर नहीं बढ़ सकती।
2022-23 में 15 साल से अधिक आयु वर्ग में महिला एलएफपीआर 37 फीसदी थी, जो उससे पिछले वित्त वर्ष के दौरान 32.5 फीसदी थी। मगर 2022-23 में पुरुष एलएफपीआर 68.5 फीसदी रही, जो 2021-22 में 77.2 फीसदी थी।
आईएमएफ की उप प्रबंध निदेशक ने सुझाव दिया कि पीएलआई योजना के खर्च और लाभ की पड़ताल होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इस तरह की व्यवस्था अस्थायी हो। उन्होंने कहा कि पीएलआई योजना के कामकाज का मूल्यांकन करना अभी थोड़ी जल्दबाजी होगा।
गोपीनाथ ने कहा, ‘इस तरह का प्रोत्साहन कई देशों में दिया जा रहा है। मेरा उन सभी सरकारों को सुझाव है कि वित्तीय लागत का पता लगाने के लिए इस योजना का लागत-लाभ विश्लेषण करना महत्त्वपूर्ण है। इससे यह पता चलेगा कि इसका फायदा हो रहा है और यह बहुत ज्यादा खर्चीली नहीं है।’
गोपीनाथ ने आगाह करते हुए कहा कि यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी योजनाएं अस्थायी हों और लगातार जारी नहीं रहें। केंद्र सरकार ने 14 क्षेत्रों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए 2020 और 2021 में तीन चरणों में पीएलआई योजना की घोषणा की थी। इन क्षेत्रों में फार्मास्युटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और तकनीकी उत्पाद, दूरसंचार तथा नेटवर्किंग उत्पाद, एयर कंडीशनर, वाहन और कलपुर्जो तथा टेक्सटाइल उत्पाद आदि शामिल हैं।
गोपीनाथ ने कहा कि कारोबारी सुगमता, न्यायिक दक्षता और कर प्रणाली के लिहाज से सामान्य ढांचागत सुधार बहुत महत्त्वपूर्ण होने वाले हैं। 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह के साथ शनिवार को दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में बातचीत करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत को अपना श्रमबल कुशल बनाने के लिए निवेश करना चाहिए और 2047 तक देश को विकसित बनाने की आकांक्षा पूरी करने के लिए जमीन, श्रम और कर सुधारों पर ध्यान देना चाहिए।
गोपीनाथ ने कारोबारी सुगमता, कुशल न्याय प्रणाली तथा बेहतर नियामकीय माहौल में सुधार लाने के लिए संस्थानों को सुदृढ़ बनाने की भी बात कही। गोपीनाथ ने कहा कि आईएमएफ को नहीं लगता कि अमेरिका में किसी तरह की मंदी है।
उन्होंने कहा, ‘हमारी राय में अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी है। हमने चालू वर्ष के लिए अमेरिका की आर्थिक वृद्धि 2.6 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है और अगले साल यह घटकर 1.9 फीसदी रह सकती है।’
उन्होंने कहा कि इसका असर अमेरिका के कुछ व्यापारिक भागीदारों पर पड़ सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नरमी का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। गोपीनाथ ने कहा, ‘अमेरिकी अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुस्त है मगर मुझे नहीं लगता कि भारत पर इसका ज्यादा प्रतिकूल असर पड़ेगा।’