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पाक-सऊदी रक्षा समझौते पर भारत का सतर्क रुख

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'भारत और सऊदी अरब के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी है जो पिछले कुछ वर्षों में काफी मजबूत हुई है।'

Last Updated- September 20, 2025 | 12:21 PM IST
Randhir Jaiswal
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (फोटो- पीटीआई)

पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए रक्षा समझौते पर भारत ने सतर्क रुख अपनाया है। विदेश मंत्रालय का मानना है कि इस संधि का भारत पर क्या असर होगा, इसका विश्लेषण करने की जरूरत है, लेकिन इसकी प्रक्रिया बीते 9 सितंबर को दोहा पर इजरायली हमलों के बाद दोनों ओर से तेज कर दी गई थी।

आधिकारिक सूत्रों ने यह भी बताया कि समझौते का विवरण तो सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन सऊदी अरब और पाकिस्तान ने बाद में संयुक्त बयान जारी कर इसका मकसद सामूहिक रक्षा बताया है। भारत के सऊदी अरब के साथ मजबूत रणनीतिक और आर्थिक संबंध हैं। पड़ोसी देश के दावों के बावजूद विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि यह मानना दूर की कौड़ी होगी कि सऊदी अरब भारत के साथ किसी भी संघर्ष में पाकिस्तान का सैन्य समर्थन करेगा। पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए रणनीतिक रक्षा समझौते पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शुक्रवार को भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसे उम्मीद है कि सऊदी अरब, भारत के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को देखते हुए आपसी हितों और संवेदनशीलता को ध्यान में रखेगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘भारत और सऊदी अरब के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी है जो पिछले कुछ वर्षों में काफी मजबूत हुई है।’

इससे पहले गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत इस घटनाक्रम से अवगत है। दोनों देशों ने लंबे समय से चले आ रहे समझौते को औपचारिक रूप दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर समझौते के निहितार्थों का अध्ययन करेगा। सरकार राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।

सऊदी अबर-पाकिस्तान संबंधों के बारे में पर्यवेक्षकों ने यह भी बताया है कि दोनों देशों के बीच कई दशकों से रक्षा साझेदारी है, जबकि अमेरिका सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों को समग्र सुरक्षा ढांचा प्रदान करता है। पाकिस्तान ने कई बार सैन्य क्षेत्र में जनशक्ति और विशेषज्ञता प्रदान की है। जब भी खाड़ी देशों को अरब राष्ट्रवाद या ईरान से खतरा हुआ है, तो उन्होंने पाकिस्तान का रुख किया है। सऊदी अरब ने पहली बार 1967 में पाकिस्तान के साथ रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। 1979 में ग्रैंड मस्जिद पर कब्जे के बाद सहयोग गहरा गया, जब पाकिस्तानी विशेष बलों ने सऊदी सैनिकों को मस्जिद अल-हरम पर पुनः कब्जा करने में मदद की थी। दोनों देशों ने 1982 में एक द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग समझौते के माध्यम से अपने रक्षा सहयोग को बढ़ाया। एक समय में 15,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिक सऊदी अरब में तैनात थे।

‘रणनीतिक द्विपक्षीय रक्षा समझौते’ पर सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अब्दुल अजीज अल सऊद और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को हस्ताक्षर किए हैं। शरीफ, पाकिस्तान सेना के चीफ फील्ड मार्शल असीम मुनीर और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के साथ सऊदी अरब की यात्रा पर गए थे।

आसिफ ने कहा है कि पाकिस्तान-सऊदी अरब रक्षा समझौते में शामिल होने के लिए अन्य अरब देशों के लिए दरवाजे बंद नहीं हैं। यह सौदा खाड़ी क्षेत्र में अमेरिका के एक प्रमुख सहयोगी कतर में हमास नेतृत्व पर इजरायली हमले के कुछ दिनों बाद हुआ है।

First Published - September 20, 2025 | 12:21 PM IST

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