India US Trade Dispute: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इन टैरिफ को ‘अनुचित और बेवजह’ करार दिया। यह कदम ट्रंप प्रशासन ने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने की वजह से उठाया, जिसमें टैरिफ की दर को 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ा दिया गया। जयशंकर ने दिल्ली में द इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम 2025 में बोलते हुए यह बात कही। उन्होंने साफ किया कि भारत सरकार के लिए किसानों और छोटे उत्पादकों के हित सबसे ऊपर हैं और इनके साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
जयशंकर ने कहा, “हमारी सबसे बड़ी चिंता हमारे किसानों और छोटे उत्पादकों के हितों की रक्षा करना है। हमारी सरकार इनके लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। लोग भले ही कहें कि हम कामयाब हुए या नाकाम रहे, लेकिन हम इनके हितों की रक्षा के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। यह हमारे लिए समझौता करने वाली बात नहीं है।”
विदेश मंत्री ने इस मुद्दे को तेल खरीद से जोड़कर पेश करने की कोशिश को गलत ठहराया। उन्होंने कहा कि रूस से ऊर्जा खरीदने को लेकर भारत पर सवाल उठाए जा रहे हैं, लेकिन यही सवाल दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातक चीन और यूरोपीय देशों से नहीं पूछे जा रहे, जो रूस से LNG खरीदते हैं।
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जयशंकर ने पश्चिमी देशों के दोहरे रवैये पर तंज कसते हुए कहा, “लोग कहते हैं कि हम रूस को पैसे देकर युद्ध को बढ़ावा दे रहे हैं, लेकिन रूस और यूरोप के बीच व्यापार भारत-रूस व्यापार से कहीं ज्यादा है। अगर तेल खरीद का सवाल है, तो यूरोप वाले भारत से ज्यादा खरीदते हैं। अगर व्यापार की बात है, तो भी उनका व्यापार हमसे बड़ा है। भारत का रूस को निर्यात बढ़ा है, लेकिन उतना ज्यादा नहीं।”
जयशंकर ने जोर देकर कहा कि भारत को अपने राष्ट्रीय हितों के हिसाब से फैसले लेने का पूरा हक है। उन्होंने इसे भारत की रणनीतिक स्वायत्तता का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा, “हमारे राष्ट्रीय हित में जो फैसले लिए जाते हैं, वह हमारा अधिकार है। यही रणनीतिक स्वायत्तता है।” भारत-अमेरिका संबंधों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि तनाव के बावजूद दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है।
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उन्होंने आगे कहा, “हम दो बड़े देश हैं। बातचीत का सिलसिला बंद नहीं हुआ है। लोग एक-दूसरे से बात कर रहे हैं, और हम देखेंगे कि यह कहां तक जाता है।” हालांकि, जब उनसे वाशिंगटन में अमेरिका के नए राजदूत के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “मैं विदेश मंत्री हूं, दूसरे देशों के राजदूतों की नियुक्ति पर टिप्पणी नहीं करता।”
हाल ही में जयशंकर ने रूस का दौरा किया था, जहां उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की 26वीं बैठक की सह-अध्यक्षता भी की। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इस दौरे में आतंकवाद, यूक्रेन संकट, पश्चिम एशिया और अफगानिस्तान जैसे क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से पुतिन को शुभकामनाएं भी दीं और द्विपक्षीय व वैश्विक मुद्दों पर बातचीत की।