India Pakistan Conflict: विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने गुरुवार को कहा कि भारत का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। इस हमले में मारे गए अधिकतर लोग पर्यटक थे। उन्होंने साफ किया कि यह ऑपरेशन सिर्फ आतंकी ठिकानों पर केंद्रित था और इसमें पाकिस्तान के आम नागरिकों या सैन्य ठिकानों को निशाना नहीं बनाया गया। मिस्री ने इसे भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का हिस्सा बताया।
पहलगाम हमले के बाद भारत ने बुधवार तड़के पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में नौ जगहों पर हवाई हमले किए। इसके बाद आज रक्षा मंत्रालय ने बताया कि भारतीय स्ट्राइक ने लाहौर में पाकिस्तान की एयर डिफेंस प्रणाली को पूरी तरह नष्ट कर दिया। यह हमला पाकिस्तान की ओर से मंगलवार रात भारतीय सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिश के जवाब में था। मिस्री ने कहा कि भारत का जवाब सोचा-समझा और संयमित था।
मिस्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि खुफिया जानकारी के मुताबिक, भारत पर और आतंकी हमले होने की आशंका थी। उन्होंने कहा, “हमारी खुफिया एजेंसियां आतंकी गतिविधियों पर नजर रख रही थीं। हमें लगा कि इन हमलों को रोकना और इनका जवाब देना जरूरी है।” उन्होंने पाकिस्तान की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में की गई टिप्पणियों का भी जवाब दिया। मिस्री ने कहा कि पहलगाम हमले पर चर्चा के दौरान पाकिस्तान ने द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) का नाम लेने का विरोध किया, जबकि इस समूह ने दो बार हमले की जिम्मेदारी ली थी।
विदेश सचिव ने पाकिस्तान को आतंकवाद का गढ़ बताते हुए कहा कि दुनिया इसकी हकीकत जानती है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान की आतंकवाद को पनाह देने की पुरानी आदत है। ओसामा बिन लादेन कहां मिला था और उसे शहीद किसने कहा था, ये सबको पता है।” मिस्री ने यह भी बताया कि हाल ही में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री और पूर्व विदेश मंत्री ने अपने देश के आतंकी समूहों से रिश्ते होने की बात कबूल की थी।
मिस्री ने जोर देकर कहा कि भारत का जवाब पूरी तरह संतुलित था। कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर सिंह ने भी साफ किया कि भारत का मकसद तनाव बढ़ाना नहीं, बल्कि आतंकवाद को रोकना है। भारत ने सिर्फ आतंकी ढांचे को निशाना बनाया, न कि सैन्य ठिकानों को।