भारत और फिजी ने द्विपक्षीय रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग मजबूत करने के लिए एक कार्ययोजना की सोमवार को घोषणा की। भारत ने फिजी के विशेष आर्थिक क्षेत्र की सुरक्षा के लिए उसे सभी जरूरी मदद देने का भी वादा किया। तीन दिवसीय दौरे पर भारत आए फिजी के प्रधानमंत्री सिटिवेनी लिगामामादा राबुका और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौ समझौतों पर हस्ताक्षर किए तथा आपसी संबंध और मजबूत करने के लिए 17 अन्य उपायों की घोषणा की। इनमें खासकर रक्षा और समुद्री क्षेत्रों में (जो प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते सामरिक प्रभाव को कम करने के लिहाज से अहम हैं) आपसी सहयोग मजबूत करने के लिए कदम उठाए गए हैं। मई से अब तक मालदीव, सिंगापुर और फिलिपींस के नेता भारत दौरे पर आ चुके हैं।
राबुका फिजी के प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार भारत आए हैं। उन्होंने 1992 से 1997 तक फिजी के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था और 2022 में दोबारा इस पद के लिए चुने गए। वर्ष 1990 के दशक में उनके पहले कार्यकाल से उलट वर्तमान में फिजी के साथ भारत के संबंध बेहतर हो रहे हैं।
फिजी सेना में कर्नल रहे राबुका ने भारत-फिजी मूल के प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली निर्वाचित सरकार को हटाने के लिए 14 मई 1987 को सैन्य तख्तापलट किया था। इस तख्तापलट का उद्देश्य फिजी में कथित तौर पर फिजी के स्थानीय लोगों का वर्चस्व स्थापित करना था। राबुका ने उसी साल 28 सितंबर को दूसरा तख्तापलट किया। वर्ष 2006 में उन्होंने तख्तापलट करने के लिए माफी मांगी। सोमवार को संवाददाता सम्मेलन में राबुका ने कहा कि फिजी और भारतीय मूल के लोगों ने वर्तमान फिजी की प्रगति में मिलकर योगदान दिया है। उन्होंने कहा, ‘भारतीय फिजी के विकास, अर्थव्यवस्था और स्थिरता में लगातार योगदान दे रहे हैं।’
राबुका के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में मोदी ने कहा कि राबुका की यात्रा के साथ भारत और फिजी एक नया अध्याय लिख रहे हैं। मोदी ने फिजी के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक क्षेत्रों में भारतीय गिरमिटिया मजदूरों का योगगदान याद करने के लिए ‘गिरमिट दिवस’ की घोषणा करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। 19वीं शताब्दी में 60,000 से अधिक गिरमिटिया भारतीय मजदूर फिजी भेजे गए थे।
मोदी ने कहा, ‘भारत और फिजी भले ही एक&दूसरे से बहुत दूर हैं, लेकिन हमारी आकांक्षाएं एक ही नाव में सवार हैं। हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक हमारी साझेदारी एक पुल की तरह काम करती है।’ मोदी ने कहा कि भारत फिजी की समुद्री सुरक्षा मजबूत बनाने के लिए प्रशिक्षण और उपकरणों में सहयोग प्रदान करेगा। उन्होंने कहा, ‘हम साइबर सुरक्षा और डेटा सुरक्षा में अपना अनुभव साझा करने के लिए भी तैयार हैं।’
मोदी ने कहा कि प्रशांत द्वीप राष्ट्रों के साथ अपने सहयोग में वह फिजी को एक अहम केंद्र के रूप में देखते हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देश एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी, सुरक्षित और समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र का दृढ़ता से समर्थन करते हैं। उन्होंने राबुका के ‘ओशंस ऑफ पीस’ के दृष्टिकोण की भी सराहना की और भारत की हिंद-प्रशांत सागरीय पहल के साथ फिजी के जुड़ाव का स्वागत किया।
दोनों देशों ने पिछले महीने रक्षा पर अपने संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक की थी। इसमें भारत ने फिजी के सैन्य बलों की ताकत बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। राबुका ने फिजी में एक भारतीय नौसैनिक जहाज के फिजी के बंदरगाह पर रुकने का भी स्वागत किया। यह पहल समुद्र में दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग और अंतर-परिचालन को बढ़ावा देगी। भारत ने फिजी के सैन्य बलों को दो एंबुलेंस उपहार में देने और सुवा में भारतीय उच्चायोग में रक्षा विभाग की स्थापना का ऐलान किया। भारत ने एक सैन्य प्रतिनिधि का पद भी सृजित किया है।
मोदी ने कहा कि 2014 में 33 वर्षों के बाद फिजी का दौरा करने वाले वह पहले भारतीय प्रधानमंत्री थे। उस समय भारत ने फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कोऑपरेशन (फिपिक) की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस पहल ने न केवल भारत-फिजी संबंधों को मजबूत किया, बल्कि पूरे प्रशांत क्षेत्र के साथ हमारे संबंधों को भी पुख्ता किया है।’