भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने सोमवार को कहा कि तीन महीने की शीतकालीन अवधि के दौरान मध्य भारत और इसके आसपास के उत्तर-पश्चिम तथा प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में तापमान के सामान्य या इससे कम रहने की संभावना है। IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने एक ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र, हिमालय की तलहटी, पूर्वोत्तर राज्यों और पूर्वी एवं पश्चिमी भारत के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक दर्ज किया जा सकता है।
IMD ने कहा कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में चार से पांच अतिरिक्त दिन शीतलहर की स्थिति बनी रह सकती है। महापात्रा ने कहा कि इन क्षेत्रों में दिसंबर से फरवरी की अवधि के दौरान सामान्यतः चार से छह दिन तक शीतलहर की स्थिति रहती है।
उन्होंने कहा, ‘‘आगामी सर्दियों के मौसम (दिसंबर 2025 से फरवरी 2026) के दौरान, मध्य भारत और आसपास के प्रायद्वीपीय और उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य या इससे कम रहने की संभावना है। देश के शेष हिस्सों में न्यूनतम तापमान के सामान्य से अधिक रहने के आसार हैं।”
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महापात्र ने कहा कि इस मौसम के दौरान देश के अधिकांश भागों में अधिकतम तापमान सामान्य या सामान्य से नीचे रहने की संभावना है। मौसम की पहली ठंड एवं गंभीर ठंड निर्धारित समय से पहले ही, आठ से 18 नंबर के बीच, शुरू हो गयी थी, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में पश्चिम, मध्य और इसके आसपास के पूर्वी भारत के हिस्से, मुख्य रूप से उत्तरी राजस्थान, दक्षिण हरियाणा, उत्तर मध्य प्रदेश, दक्षिण उत्तर प्रदेश और उत्तर छत्तीसगढ़ के हिस्से शामिल थे। इसके अलावा, 15 और 20 नवंबर को उत्तर मध्य महाराष्ट्र के अंदरूनी हिस्सों में भी ठंड की ऐसी ही स्थिति दर्ज की गई।
IMD प्रमुख ने कहा कि तीन से पांच दिसंबर तक उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में एक और शीतलहर चलने की संभावना है। महापात्र ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि दिसंबर से फरवरी की अवधि के दौरान ‘ला नीना’ की कमजोर स्थिति बनी रहेगी।’’ ला नीना की स्थिति के दौरान मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में बड़े पैमाने पर गिरावट देखी जाती है। जब यह स्थिति होती है तो आमतौर पर भारत में मॉनसून लंबे समय तक रहता है और विशेष रूप से उत्तरी क्षेत्रों में सामान्य से ज्यादा सर्दी पड़ती है। कुल चार पश्चिमी विक्षोभों ने उत्तर भारत के तापमान को प्रभावित किया, हालांकि लगभग सभी मौसम शुष्क रहे।
(PTI इनपुट के साथ)