गंगा, यमुना और पौराणिक नदी सरस्वती का संगम आत्मा की शुद्धता और मोक्ष चाहने वालों को हमेशा से आकर्षित करता रहा है। इसलिए महाकुंभ वास्तव में भक्ति, वाणिज्य और अव्यवस्था के बीच एक अजीबोगरीब व्यवस्था का संगम है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 45 दिन तक चलने वाले इस आध्यात्मिक एवं आर्थिक लेनदेन में हर किसी की अपनी भूमिका होती है। इसमें नई दिल्ली अथवा मुंबई जैसे महानगरों के किसी आलीशान होटल के कमरे जितना किराया वसूलने वाले टेंट ऑपरेटरों से लेकर थके हुए तीर्थयात्रियों को गरमा गरम चाय बेचने वाले साधारण चायवाले तक शामिल हैं।
प्रयागराज में महाकुंभ क्षेत्र करीब 4,000 हेक्टेयर में फैला है जिसे 25 सेक्टर में विभाजित किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित इस महाकुंभ मेले में 40 करोड़ से अधिक लोग आएंगे जो अमेरिका की आबादी से भी अधिक है। ये आंकड़े जबरदस्त कारोबारी अवसर प्रस्तुत करते हैं। यही कारण है कि गंगा की पवित्र धारा की तरह साधुओं और मोक्ष चाहने वालों के मंत्रोच्चार के बीच कारोबार भी गुलजार हो रहा है।
त्रिवेणी संगम की ओर जाने वाली सड़क के किनारे कपड़ों के एक स्टॉल पर 28 वर्षीय वंश कुमार ग्राहकों को संभालने में व्यस्त हैं। यह स्टॉल कानपुर में उनके पिता की दुकान का ही विस्तार है। महाकुंभ में कारोबारी अवसर को भांपते हुए वह कुछ लाख रुपये के टी-शर्ट, तौलिए, अंडरगारमेंट्स और चटाई लेकर 200 किलोमीटर से अधिक का सफर करते हुए वहां पहुंच गए। उन्होंने कहा, ‘हम करीब एक तिहाई माल बेच चुके हैं। उम्मीद है कि बाकी भी जल्द ही बिक जाएगा क्योंकि अगले शाही स्नान तक भीड़ बढ़ने की उम्मीद है।’
अगले शाही स्नान अब 3 फरवरी, 12 फरवरी और 26 फरवरी को होंगे। कुमार ने बताया कि उनके पिता और माल लेकर एक-दो दिन में आने वाले हैं।
इस साल का कुंभ देश में सबसे अधिक खर्च के साथ आयोजित होने वाला धार्मिक समागम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ‘एकता का महायज्ञ’ कहा है और केंद्र सरकार ने 2,100 करोड़ रुपये आवंटित करने का वादा किया है। इस आयोजन के लिए कुल 7,500 करोड़ के बजट में बाकी रकम राज्य सरकार दे रही है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ के आध्यात्मिक महत्त्व के अलावा इसे राज्य के लिए एक प्रमुख आर्थिक वाहक बताया है। उनकी सरकार के निवेश से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 2 लाख करोड़ रुपये का योगदान होने की उम्मीद है। इससे राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 1 फीसदी से अधिक की वृद्धि होने की संभावना है।
ऑस्ट्रेलिया की सलाहकार फर्म स्प्राउट रिसर्च की रिपोर्ट ‘इकनॉमिक ब्लेसिंग्स फ्रॉम महाकुंभ 2025’ में इन 45 दिन में 2 से 2.5 लाख करोड़ रुपये के वित्तीय लेनदेन होने का अनुमान लगाया गया है। यह अनुमान प्रति व्यक्ति 6,000 से 8,000 रुपये के औसत व्यय (2019 में करीब 5,000 रुपये) और अनुमानित 40 करोड़ आगंतुकों में से करीब 80 फीसदी पर आधारित है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यह आयोजन विभिन्न क्षेत्रों में करीब 6 लाख रोजगार के अवसर भी पैदा कर सकता है।
प्रयागराज के निवासी 26 वर्षीय रोहित पाल भी इन अवसरों से लाभान्वित हुए हैं। उन्हें श्रीराम फाइनैंस के बूथ पर एक अस्थायी नौकरी मिली है। पाल बड़े गर्व से राजस्थान के एक दंपती के लिए दोपहिया वाहन का फाइनैंस करने की बात करते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैंने पिछले साल फाइनैंस में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की है। अभी भी मैं किसी स्थायी नौकरी की तलाश कर रहा हूं।’ उनके माता-पिता ने उन्हें घर पर बेकार बैठे रहने के बजाय महाकुंभ में काम करके कुछ कमाने के लिए प्रोत्साहित किया है।
पाल ने उम्मीद जताई कि उन्हें बगल के बूथ पर नौकरी मिल सकती है। वह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का बूथ है। आरबीआई का उद्देश्य बच्चों, किशोरों और वरिष्ठ नागरिकों को लक्षित करते हुए प्रचार सामग्रियों और समर्पित कर्मचारियों के जरिये लोगों के बीच वित्तीय जागरूकता और समावेशन को बढ़ावा देना है।
आरबीआई के एक अधिकारी ने कहा, ‘मैं जानता हूं कि इस तरह की भीड़भाड़ में मौजूद रहना हमारे लिए कोई सामान्य बात नहीं है। आपको लग सकता है हमारे बूथ पर कौन आएगा लेकिन यहां रोजाना करीब 2,000 लोग आते हैं।’
ऐसा नहीं है कि केवल बीमा कंपनियां और बैंक ही इस आयोजन में भाग ले रहे हैं। उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र की कई प्रमुख कंपनियों ने भी अपने बूथ लगाए हैं। शायद उन्हें उम्मीद है कि महंगाई के कारण बिक्री में आई सुस्ती को दूर करने में भगवान कुछ मदद करेंगे।
डाबर, पेप्सिको, आईटीसी और रिलायंस जैसे प्रमुख ब्रांड तीर्थयात्रियों को अपने उत्पादों के नमूने दे रहे हैं। मगर यह कोई नहीं बता सकता कि घाटों से जाने के बाद उनमें से कितने ग्राहक बन जाएंगे।
आईटीसी महाकुंभ मेले को धार्मिक समागम से कहीं अधिक मानता है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ‘यह अध्यात्म, संस्कृति और वाणिज्य का एक अद्भुत संगम है।’ कंपनी अपने बिंगो! बूथ पर उत्तर प्रदेश की संस्कृति को दर्शाते हुए आगंतुकों को रील बनाने के लिए आमंत्रित कर रही है। साथ ही वह स्थानीय दुकानदारों के साथ मिलकर अपने स्नैक्स ब्रांड से जुड़े व्यंजन पेश कर रही है, जैसे बिंगो! चिप्स के साथ राजस्थानी चाट आदि।
इस बीच, कोका कोला ने ‘मैदान साफ’ अभियान शुरू कर दिया है। इसके तहत उसने सफाई कर्मचारियों, नाविकों और कचरा प्रबंधन कर्मियों को 21,500 रीसाइकल पीईटी जैकेट वितरित किए हैं। कोका कोला इंडिया की उपाध्यक्ष देवयानी राणा ने कहा, ‘हमारा उद्देश्य इस अभियान के जरिये लाखों आगंतुकों को कचरा कम करने के लिए एक सामूहिक पहल में शामिल करना और यह दिखाना है कि रीसाइकल के बाद किस प्रकार बेकार वस्तुएं भी कीमती संसाधनों में बदल जाती हैं।’
यह महाकुंभ विशेष रूप से एक दुर्लभ ग्रह संयोग के कारण काफी महत्त्वपूर्ण है। ऐसा संयोग 144 साल में केवल एक बार होता है।
बेंगलूरु के 37 वर्षीय आईटी इंजीनियर अनिरुद्ध शर्मा का संगम घाट पर यह दूसरा दिन है। वह महाकुंभ मेले को देखकर काफी अभिभूत और चकित हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं यह सब महसूस करना चाहता हूं और इन कहानियों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना चाहता हूं।’
अध्यात्म से पूरी तरह लबरेज शर्मा अपनी गर्भवती पत्नी के साथ महाकुंभ मेले में आए हैं। उन्होंने बताया कि दंपती को ठहरने के लिए कुल मिलाकर रोजाना 5,000 रुपये तक खर्च हो जाते हैं।
क्लियरट्रिप के मुख्य कारोबार एवं वृद्धि अधिकारी अनुज राठी ने कहा कि प्रयागराज में होटल कमरों की बुकिंग में तेजी दिख रही है। उन्होंने कहा कि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले इस साल बुकिंग में करीब 10 गुना वृद्धि हुई है। सामान्य डॉरमिटरी का किराया करीब 1,500 रुपये प्रति रात है, जबकि लक्जरी होटल और टेंट का किराया 1 लाख रुपये प्रति रात तक हो सकती है।
विमानन विश्लेषण फर्म सिरियम के अनुसार, इस साल जनवरी में प्रयागराज से आने-जाने के हवाई किराये में भी दोगुने से अधिक की वृद्धि हुई है। साप्ताहिक उड़ानों की संख्या पिछले साल जनवरी में 116 के मुकाबले बढ़कर 238 हो चुकी है। स्पाइसजेट और अकासा एयर की सेवाएं पिछले साल नहीं थीं, लेकिन इस साल स्पाइसजेट 78 और अकासा एयर 14 साप्ताहिक उड़ानों का संचालन कर रही हैं। लगातार बढ़ती मांग और हवाई किराये में तेजी के कारण नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने 81 अतिरिक्त उड़ानों को मंजूरी दे दी है। इससे प्रयागराज की कनेक्टिविटी देश के 132 शहरों तक बढ़ चुकी है।
अगले कुछ सप्ताह में लाखों और लोग इस शहर में पहुंचने वाले हैं जो एक साधु तरुण नारायण के अनुसार, ‘आस्था, परंपरा और आधुनिकता का भी संगम है।’
(रिपोर्ट में दीपक पटेल का भी योगदान)