Indian Flexi Staffing Industry: फ्लेक्सी स्टाफिंग उद्योग कोरोना के झटके बाद से रफ्तार पकड़ रहा है। आगे इसके और तेजी से बढ़ने की संभावना है। फ्लेक्सी स्टाफिंग एक ऐसी भर्ती प्रक्रिया है जहां कंपनियां स्थायी कर्मचारियों के बजाय एक स्टाफिंग एजेंसी के माध्यम से अस्थायी या अनुबंध के आधार पर कर्मचारियों को नियुक्त करती हैं। भारत के फ्लेक्सी स्टाफिंग उद्योग की विश्व में तीसरी रैंकिंग है। यह उद्योग लॉजिस्टिक, बीएफएसआई और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध करा रहा है। करीब 70 फीसदी फ्लेक्सी स्टाफ 30 साल से कम आयु वर्ग का है और कुल फ्लेक्सी स्टाफ में महिलाओं की हिस्सेदारी 25 फीसदी के करीब है।
इंडियन फ्लेक्सी स्टाफिंग फेडरेशन (आईएसएफ) ने आज ‘Indian Flexi Staffing Industry 2025: Employment Growth- Sectoral & State Analysis नाम से एक रिपोर्ट जारी की है। आईएसएफ के अध्यक्ष लोहित भाटिया ने बताया कि वित्त वर्ष 2024-25 में फ्लेक्सी स्टाफिंग उद्योग में कार्यबल की संख्या 72.3 लाख थी, जो वर्ष 2025-26 में 11.89 फीसदी बढ़कर 80.9 लाख होने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष यह उद्योग 1.90 लाख करोड़ रुपये का था, इसके चालू वित्त में 15.9 फीसदी बढ़कर 2.20 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। भाटिया ने कहा कि यह उद्योग न केवल लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार मुहैया करा रहा है, बल्कि सरकार को राजस्व भी खूब दे रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 में इस उद्योग ने सरकार को 3,4000 करोड़ रुपये का जीएसटी दिया।
आईएसएफ की इस रिपोर्ट में कहा गया कि आगामी वर्षों में इस उद्योग के बढ़ने की गति और तेज हो सकती है। वित्त वर्ष 2026-27 में इस उद्योग में कार्यबल की संख्या बढ़कर 91.6 लाख होने का अनुमान है, जो वर्ष 2025-26 की तुलना में 13.23 फीसदी अधिक है। साथ ही चालू वित्त वर्ष में इस उद्योग का अनुमानित कारोबार 2.20 लाख करोड़ रुपये है, जो अगले वित्त वर्ष 17.3 फीसदी बढ़कर 2.58 लाख करोड़ रुपये हो सकता है।
आईएसएफ के उपाध्यक्ष मनमीत सिंह ने कहा कि कोविड में यह उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ था, उसके इसने बढ़ना शुरू किया। लेकिन बीते एक साल से यह वैश्विक आर्थिक हालातों के कारण कुछ चुनौतियों से जूझा। लेकिन सरकार ने पहले आयकर में छूट, पीएलआई स्कीम और अब जीएसटी दरों में कटौती कर बड़ी राहत दी है। जिससे इस उद्योग के आगे तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। इस उद्योग में लॉजिस्टिक की बड़ी भूमिका है। ऐसे में खासकर त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने पर फ्लेक्सी स्टाफ की भी जरूरत तेजी से बढ़ेगी। विनिर्माण क्षेत्र भी लंबी अवधि में वृद्धि करेगा। इससे भी फ्लेक्सी स्टाफिंग उद्योग को सहारा मिल सकता है।
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फ्लेक्सी स्टाफिंग उद्योग में 5 राज्यों की बड़ी भूमिका है। इन राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना शामिल हैं। इन राज्यों की कुल फ्लेक्सी कार्यबल में हिस्सेदारी 55 फीसदी है। आईएसएफ की रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में सबसे अधिक 14.3 लाख फ्लेक्सी कार्यबल है। इसके बाद कर्नाटक में यह संख्या 10 लाख, उत्तर प्रदेश में 6.1 लाख, तमिलनाडु में 5.6 लाख और तेलंगाना में 4 लाख है। गुजरात में इनकी संख्या 3.9 लाख, हरियाणा में 3.2 लाख, दिल्ली में 3.1 लाख, पश्चिम बंगाल में 2.7 लाख, राजस्थान में 2.2 लाख, मध्य प्रदेश में 2 लाख, बिहार में 1.8 लाख, आंध्र प्रदेश में 1.5 लाख, केरल में 1.4 लाख और उड़ीसा में 1.3 लाख है।