नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार के बीते दो कार्यकालों में स्वच्छ ऊर्जा, ऊर्जा में बदलाव ने आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत ने अपने को विकासशील देशों की आवाज के रूप में स्थापित किया है और भारत के हरित वृद्धि की ओर बढ़ने की उम्मीद कायम है।
हालांकि बढ़ती मांग के कारण भारत की ऊर्जा बास्केट का झुकाव जीवाश्म ईंधन आधारित कोयले से तेल व प्राकृतिक गैस की तरफ हो सकता है। देश में बिजली की मांग बीते दो दशकों की तरह अब कोयले पर पूरी तरह आश्रित नहीं रही है। हालांकि हर साल बिजली की मांग रिकॉर्ड स्तर को तोड़ रही है और कोयला ही बिजली की मांग को पूरा करने का दारोमदार निभा रहा है।
केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने अधिशेष बिजली की आपूर्ति के लिए अपनी तरफ से सभी प्रयास किए हैं। इसमें आयातित कोयले से लेकर गैस आधारित इकाइयों का संचालन है। अधिकारियों के अनुसार इन प्रयासों के कारण प्रचंड गर्मी के मुश्किल दिनों से बिना किसी परेशानी के निपटने में मदद मिली।
इसका इस साल घरेलू कोयले, आयातित कोयले और प्राकृतिक गैस की आपूर्ति पर भी प्रभाव पड़ा था। भारत के राष्ट्रीय खनिक कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की इस साल कोयले की सबसे अधिक आपूर्ति पर नजर है।
केंद्रीय कोयला मंत्रालय ने इस गर्मी में 15 दिन से अधिक (आमतौर पर यह 10 दिन या उससे कम हो जाती है) तक कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित की है। कोयला के नए मंत्री को इस पहल को आगे लेकर जाना है और उन्हें रेलवे, राज्यों, विद्युत मंत्रालय और बिजली निर्माण संयंत्रों से मदद की जरूरत है।
लिहाजा इन दो मंत्रालयों के समक्ष चुनौती यह है कि वह पर्याप्त ईंधन की आपूर्ति करें जबकि वैश्विक स्तर पर कोयले का खनन और इस्तेमाल कम करने का दबाव है।
विद्युत मंत्रालय के लिए ऊर्जा सुरक्षा की चुनौती कई गुना ज्यादा है। मंत्रालय को बीते दशकों के दौरान कई गुना बढ़ी हरित ऊर्जा के साथ तालमेल स्थापित करने की जरूरत है और यह हरित ऊर्जा 24 घंटे उपलब्ध नहीं रहती है। मोदी सरकार के सभी विद्युत मंत्रियों ने नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का कार्यभार भी संभाला है।
भारत इस सदी के अंत तक 500 गीगावॉट हरित ऊर्जा उत्पादन के लिए प्रतिबद्ध है। लिहाजा विद्युत मंत्रालय तथा नवीन और नवीकरण ऊर्जा मंत्रालय को भरसक प्रयास करने होंगे और बिजली बनाने से लेकर उसके भंडारण तक से जुड़े आधारभूत ढांचे का विकास करना होगा।
विद्युत मंत्रालय के नए मंत्री को नई बिजली वितरण सुधारों की मुश्किल डगर पर आगे बढ़ना होगा। इन सुधारों को संकटग्रस्त बिजली आपूर्ति के पारिस्थितिकीतंत्र को दुरुस्त करने के लिए सभी राज्यों की मदद की आवश्यकता है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने किफायती परिवहन के लिए सतत विकल्प योजना का विस्तार करने का लक्ष्य रखा है।