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प्लेसमेंट कम तो बिजनेस स्कूलों में बदल रहे कोर्स, 5 से 10 फीसदी कम हुआ MBA का अनुमानित वेतन

डेलॉयट कैंपस वर्कफोर्स ट्रेंड्स 2024 सर्वेक्षण से पता चला कि इस साल प्रबंधन छात्रों (एमबीए) का अनुमानित वेतन 5 से 10 फीसदी कम हो गया है। ऐसा पांच साल में पहली बार हुआ है।

Last Updated- June 23, 2024 | 10:38 PM IST
Most employers focus on fresher recruitment फ्रेशर की भर्तियों पर ज्यादातर नियोक्ताओं का जोर

देश में बिजनेस के पाठ्यक्रम पढ़ने वालों के लिए नौकरी का बाजार मंद चल रहा है और फ्रेशरों को नौकरी पाने में दिक्कत हो रही है। इसका असर बिजनेस स्कूलों में प्लेसमेंट पर भी पड़ा है। चाहे बहुत नामी-गिरामी संस्थान हों या छोटे प्रबंधन संस्थान हों, यह तपिश सभी महसूस कर रहे हैं। इसी वजह से वे भर्ती और प्लेसमेंट की बदलती तस्वीर के हिसाब से ही खुद को ढालने में जुट गए हैं।

डेलॉयट कैंपस वर्कफोर्स ट्रेंड्स 2024 सर्वेक्षण से पता चला कि इस साल प्रबंधन छात्रों (एमबीए) का अनुमानित वेतन 5 से 10 फीसदी कम हो गया है। ऐसा पांच साल में पहली बार हुआ है। इसलिए कैंपस में छात्र भी पहले से कम वेतन पाने को तैयार दिख रहे हैं।

भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) कलकत्ता के एमबीए पाठ्यक्रम के लिए प्लेसमेंट का आखिरी दौर फरवरी 2024 में पूरा हो गया। संस्थान ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि बाजार में चुनौतियां देखते हुए पहले से ज्यादा कंपनियों के पास जाना पड़ा। आखिरकार संस्थान अपने सभी 464 छात्रों को नौकरियां दिलाने में कामयाब रहा। उन्हें 194 कंपनियों से नौकरी के 529 ऑफर मिले। संस्थान ने कहा, ‘बाजार चुनौती से भरा है, इसलिए पिछला प्लेसमेंट मुश्किल रहा। आगे के प्लेसमेंट के बारे कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी।’

डेलॉयट के सर्वेक्षण में यह भी पता चला कि एमबीए करने वालों और बीटेक करने वालों के शुरुआती वेतन में अंतर कम हो गया है। 2021 में एमबीए करने वालों को बीटेक के मुकाबले 102 फीसदी अधिक वेतन मिलता था मगर 2024 में केवल 57 फीसदी अधिक वेतन मिल रहा है। चेन्नई के मैनेजमेंट संस्थानों को भी चिंता है कि 2024-25 बैच के उनके छात्रों को किस तरह की नौकरी मिलेंगी। इन संस्थानों ने बताया कि 2024 के प्लेसमेंट में ही सुस्ती नजर आ रही है।

चेन्नई के ग्रेट लेक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के समूह निदेशक (कॉरपोरेट एवं करियर सेवा) एम बालाजी ने भी माना कि दिक्कत है मगर उनकी उम्मीद बरकरार है। उन्होंने कहा, ‘बाजार में वाकई मंदी है। बाजार तेजी पकड़ेगा और 2024-25 के लिए कुछ भी कहना जल्दी होगा क्योंकि अभी तो सत्र शुरू ही हुआ है।’ मगर उन्होंने कहा कि रोजगार बाजार को पटरी पर लौटने में कुछ वक्त लग सकता है।

ग्रेट लेक्स एचपी, ईवाई, डेलॉयट, एचएसबीसी और अडोबी जैसी कंपनियों के आने पर पिछले बैच के सभी छात्रों को प्लेसमेंट दिलाने में कामयाब रहा था। बालाजी ने बताया कि प्रौद्योगिकी और बैंकिंग, वित्तीय सेवा एवं बीमा (बीएफएसआई) कंपनियों से ज्यादा नौकरियां मिली थीं।

एक बहुराष्ट्रीय फिनटेक कंपनी ने भारत में नौकरी के लिए सबसे अधिक 37 लाख रुपये सालाना पैकेज दिया था। औसत पैकेज 15.1 लाख रुपये था। उन्होंने कहा, ‘जहां तक ​​आईटी का सवाल है तो कम कंपनियां आ रही हैं। हमने कई नई कंपनियों से बात की है। हालांकि मंदी है मगर मुझे नहीं लगता कि मांग घटेगी।’

तिरुचिरापल्ली के भारतीदासन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (बीआईएम) के निदेशक असित वर्मा ने बताया कि 2024 में प्लेसमेंट के लिए उन्हें भी ज्यादा कंपनियों से बात करनी पड़ी। पहले 20 के करीब कंपनियों से बात होती थी मगर इस बार करीब 45 कंपनियों को बुलाना पड़ा।

कंपनियां भी अब नौकरी देने से पहले बहुत सोचने लगी हैं। जो पहले 15-20 छात्रों को नौकरी दे जाती थीं अब वे दो या तीन को ही लेकर जाती हैं। वर्मा ने बताया कि उनके छात्रों को मिलने वाला औसत पैकेज पहले की तरह 12.5 लाख रुपये सालाना ही रहा मगर इस साल सबसे अधिक पैकेज 20 लाख रुपये ही मिला, जो पिछले साल 26 लाख रुपये था।

चेन्नई के लोयोला इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में 2023-24 सत्र में सभी 180 छात्रों को प्लेसमेंट मिल गया। संस्थान में 60-70 कंपनियां आईं, जिनमें 26 नई कंपनियां भी थीं। लोयोला के निदेशक सीजे अरुण ने कहा कि कई कंपनियां ऐसे लोग तलाश रही हैं, जिनके पास कौशल हो और जो कंपनी के माहौल से तालमेल बिठा सकें। उन्होंने बताया कि 2025 के लिए कंपनियां ऐसे लोग तलाश रही हैं, जो आर्टिफिशल इंटेलिजेंस में माहिर हों।

अरुण ने कहा, ‘जो एआई में माहिर हो जाएंगे, उन्हें नौकरी मिल जाएगी। भर्ती मंद नहीं पड़ी है बल्कि उसका तरीका और मांग बदल गई हैं।’

डेलॉयट की रिपोर्ट में बताया गया कि सर्वेक्षण में शामिल 93 फीसदी संस्थानों में तकनीकी साक्षात्कार में प्रदर्शन को प्लेसमेंट का अहम पैमाना माना। अब कौशल की अहमियत बढ़ती जा रही है। इंजीनियरिंग में एआई और मशीन लर्निंग, प्रबंधन में सोशल सेलिंग और फार्मा में कंप्यूटेशनल बायोलॉजी कौशल की सबसे ज्यादा मांग देखी गई।

गिग कर्मियों के नेटवर्क पिकमाईवर्क जैसे प्लेटफॉर्मों पर रोजगार तलाशने वालों की तादाद भी बढ़ने लगी है। पिकमाईवर्क के सह-संस्थापक एवं सीईओ विद्यार्थी बदीरेड्डी ने कहा, ‘पिछले साल से अब तक रोजगार तलाशने वालों की तादाद करीब 20 से 30 फीसदी बढ़ गई है। जून-जुलाई तक आंकड़ा 50-60 फीसदी होने के आसार हैं।’ इससे पता चलता है कि पूर्णकालिक नौकरी के मौके कम हो रहे हैं। कुछ बैंक और वित्तीय संस्थान तो नए कर्मचारियों को फरवरी या मार्च 2025 में जॉइन करने के लिए कह रहे हैं।

मगर शरदकालीन इंटर्नशिप (सितंबर से अक्टूबर) की तैयारी कर रहे एसपी जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ऐंड रिसर्च को आगे अच्छी उम्मीद नजर आ रही है। संस्थान के निदेशक (करियर सेवा एवं पूर्व छात्र) भीष्म चुगानी ने कहा कि पिछले साल शरदकालीन इंटर्नशिप कार्यक्रम में प्री-प्लेसमेंट ऑफर पाने वाले 50 फीसदी छात्रों को वहीं नौकरी मिल गई थी।

टीमलीज एडटेक के हेड (एंप्लॉयबिलिटी बिजनेस) एवं मुख्य परिचालन अधिकारी जयदीप केवलरमानी ने कहा कि कुछ आईआईएम अपने सभी छात्रों को नौकरी दिलाने में नाकाम रहे और ऐसा पहली बार हुआ। टीमलीज एडटेक मुंबई की कंपनी है, जो नौकरी पाने के लायक बनने में मदद करती है। केवलरमानी ने बताया कि न्यूनतम और अधिकतम वेतन पैकेज पिछले साल की ही तरह रहे मगर औसत वेतन में 15 से 25 फीसदी की गिरावट आई।

यह देखकर कई भारतीय प्रबंध संस्थान डिजिटल, एआई और उभरते हुए क्षेत्रों पर ध्यान बढ़ा रहे हैं। छात्रों को प्लेसमेंट दिलाने के लिए वे अधिक लाइव परियोजनाओं, वर्क-इंटीग्रेटेड कार्यक्रमों और उद्योग के साथ सहयोग बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।

First Published - June 23, 2024 | 10:38 PM IST

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