किसान संगठनों के सदस्यों ने हाल ही में नई दिल्ली में कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) से मुलाकात की और कहा कि उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ए2+एफएल लागत की बजाय उत्पादन की व्यापक लागत (सी2) से 50 फीसदी अधिक मिलनी चाहिए। फिलहाल, एमएसपी उत्पादन की ए2+एफएल लागत से 50 फीसदी अधिक पर तय किया गया है।
उत्पादन की ए2+एफएल लागत में सभी नकद और गैर नकद खर्च शामिल होते हैं। इसके तहत किसान द्वारा बीज, उर्वरकों, कीटनाशकों, श्रम, पट्टे पर ली गई भूमि, ईंधन, सिंचाई आदि पर किये गए प्रत्यक्ष खर्च को शामिल किया जाता है और इसके साथ-साथ अवैतनिक पारिवारिक श्रम का एक अनुमानित मेहनताना शामिल किया जाता है।
वहीं व्यापक लागत में ए2+एफएल के तहत सभी भुगतान किए गए खर्च और पारिवारिक श्रम का अनुमानित मेहनताना तो शामिल होता ही है, साथ में इसमें किसान की स्वामित्त्व वाली भूमि और अचल संपत्ति के किराए तथा ब्याज को भी शामिल किया जाता है। इसलिए सी2 को ज्यादा व्यापक माना जाता है।
बैठक में शामिल होने वाली वामपंथी संगठन अखिल भारतीय किसान सभा ने सीएसीपी से एक श्वेत पत्र जारी करने का अनुरोध किया क्योंकि उन्हें लगता है कि एमएसपी से 10 फीसदी से भी कम किसानों को लाभ मिलता है और देश भर में गारंटीशुदा खरीद प्रणाली का अस्तित्व ही नहीं है।
उन्होंने निगमों के योगदान के जरिये मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाने का भी सुझाव दिया। इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन (अराजनीतिक) ने भी आग्रह किया है कि एमएसपी को 50 फीसदी से ज्यादा तय किया जाए।