Delhi AQI: दिल्ली जानलेवा प्रदूषण और जहरीली हवा की चपेट में है तो इसके करीब उत्तर प्रदेश के शहरों का भी बुरा हाल हो रहा है। ताजनगरी आगरा में सोमवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 पार कर गया वहीं गाजियाबाद, लोनी, नोएडा और मेरठ का भी बुरा हाल हो रहा है।
सोमवार सुबह नोएडा में एक्यूआई 487 दर्ज किया गया जिसके चलते सुबह कोहरे और स्मॉग की चादर छायी रही। यहां बच्चों की कक्षाओं को ऑनलाइन चलाने का फैसला किया गया है जबकि दफ्तरों में आधे स्टाफ को वर्क फ्रॉम होम के लिए कहा गया है।
ताज महल पर भी प्रदूषण की मार
उत्तर प्रदेश में आगरा में प्रदूषण का हाल यह है कि ताजमहल महज 50 मीटर दूरी से नजर नहीं आ रहा है। जिला प्रशासन की ओर से पूरे शहर में प्रदूषण को कम करने के लिए पानी का छिड़काव किया जा रहा है। आगरा के बाहरी इलाकों में देर सुबह तक धुंध के चलते दृश्यता प्रभावित रही।
मेरठ में एक्यूआई 296 के पार पहुंच गया है। प्रदेश सरकार ने प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए संबंधित जिलों के अधिकारियों को जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
राजधानी लखनऊ के तालकटोरा, लालबाग और अलीगंज इलाकों का प्रदूषण के मारे बुरा हाल है। इन जगहों पर एक्यूआई सोमवार सुबह 300 के पार दर्ज किया गया है। सबसे ज्यादा लालबाग में 328 तो अलीगंज में 318 एक्यूआई दर्ज किया गया है।
मौसम विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों का कहना है पछुआ हवाओं के चलते प्रदूषण पंजाब, हरियाणा और दिल्ली होते हुए यहां तक पहुंच रहा है। हालांकि उनका कहना है कि कुछ दिन और पछुआ हवाओं के चलने पर वातावरण में धूल और धुएं के कण कम होंगे और हालात में सुधार आएगा। रविवार से तेज चल रही पछुवा हवाओं के चलते तापमान में भी गिरावट आई है और सुबह का कोहरा भी कम हुआ है।
वाराणसी में शहरी परिवहन को स्वच्छ और समावेशी बनाने पर होगी चर्चा
देश की राजधानी सहित उत्तर प्रदेश के कई बड़े शहरों में प्रदूषण के जानलेवा हो जाने की खबरों के बीच वाराणसी में शहरी परिवहन को स्वच्छ और समावेशी बनाने पर मंगलवार को चर्चा होगी।
वाराणसी में होने वाले पहले क्षेत्रीय सम्मेलन में विशेषज्ञ शहरी परिवहन के डीकार्बोनाइजेशन (कार्बन उत्सर्जन घटाने) को गति देने के लिए क्षेत्रीय चुनौतियों, समाधानों और संभावनाओं पर चर्चा करेंगे।
क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के कुल ऊर्जा-आधारित कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन में परिवहन क्षेत्र का 13.5 फीसदी योगदान है, जिसमें से 90 फीसदी ऊर्जा की खपत सड़क परिवहन के जरिए होती है।