GNCTD Amendment Bill 2023: गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) आज यानी 7 अगस्त को राज्यसभा (Rajya Sabha) में दिल्ली सेवा बिल को (Delhi services Bill) पेश करेंगे। इस बिल का नाम ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक 2023′ है जो कि दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से संबंधित है। बता दें कि विपक्ष के भारी शोरशराबे के बीच गुरुवार 3 अगस्त को लोकसभा में यह बिल ध्वनि मत से पारित हो चुका है।
लोकसभा से बिल के पास होने के बाद अब भाजपा की नजर संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा से इस बिल को पास कराने पर है। इस बीच आम आदमी पार्टी (AAP) ने अपने सभी राज्यसभा सांसदों को 7 और 8 अगस्त को सदन में मौजूद रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है। समाचार एजेंसी ANI ने AAP द्वारा जारी व्हिप दस्तावेज को ट्विटर पर साझा किया है।
AAP ने व्हिप में लिखा, ‘राज्यसभा में आम आदमी पार्टी (AAP) के सभी सदस्यों से अनुरोध है कि वे 7 अगस्त से 8 अगस्त, 2023 तक सदन के स्थगन तक सुबह 11 बजे से सदन में बिना रुके उपस्थित रहें और पार्टी के रुख का समर्थन करें।’ दस्तावेज में आगे लिखा है कि इसे सबसे महत्वपूर्ण माना जाए।
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राज्यसभा में कुल 245 सीटें हैं जिनमें से 8 सीटें फिलहाल खाली हैं। इस तरह राज्यसभा में कुल 237 सांसद हैं, Delhi Services Bill को पास कराने के लिए केंद्र सरकार को 119 सांसदों के समर्थन की जरूरत हैं। वर्तमान में उच्च सदन में भाजपा के पास 92 सांसद हैं। हालांकि सहयोगी दलों के सांसदों को जोड़ने पर भाजपा के पास करीब 103 सांसद हो सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस सहित AAP को समर्थन देने वाले सभी दलों के सांसदों की संख्या 105 तक हो सकती है। इस बीच भाजपा को YSRCP और बीजू जनता दल (BJD) ने अपना समर्थन दिया है।
इस बिल के पारित होने के बाद दिल्ली सरकार की शक्तियां काफी हद तक कम हो जाएंगी। दिल्ली में जो भा ग्रेड-ए अधिकारी तैनात होंगे, उनपर दिल्ली सरकार की जगह LG का कंट्रोल होगा। यह बिल केंद्र सरकार को अधिकारियों और कर्मचारियों के कार्यों, नियमों और सेवा की अन्य शर्तों सहित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के मामलों के संबंध में नियम बनाने का अधिकार देता है।
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राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023, मई में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को बदलने का प्रयास करता है, जिसने दिल्ली विधान सभा की विधायी क्षमता से ‘सेवाओं’ को बाहर कर दिया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर सेवाओं का नियंत्रण CM अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली निर्वाचित सरकार को सौंपने के एक हफ्ते बाद केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली अध्यादेश जारी किया गया था।