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Business Standard survey: अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ही घटेंगी दर

RBI अपनी नीतिगत समीक्षा की घोषणा 10 अगस्त को करेगा

Last Updated- August 06, 2023 | 10:51 PM IST
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) शायद अगले वित्त वर्ष (2024-25) की पहली तिमाही में ही नीतिगत रीपो दर घटाना शुरू करेगी। इस बारे में बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा कराए गए सर्वेक्षण के अ​धिकतर प्रतिभागियों की यही राय रही। आरबीआई नीतिगत समीक्षा की घोषणा 10 अगस्त को करेगा।

इस सर्वेक्षण के प्रतिभागियों ने उम्मीद जताई कि स​ब्जियों के दाम बढ़ने से मुद्रस्फीति फिर तेज होने के बावजूद मौद्रिक नीति समिति के सदस्य लगातार तीसरी समीक्षा बैठक में नीतिगत दरें जस की तस रखेंगे। मई 2022 और फरवरी 2023 के बीच रीपो दर को 250 आधार अंक बढ़ाकर 6.5 फीसदी करने के बाद एमपीसी ने अप्रैल में मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान दरों में इजाफा रोक दिया था। जून की नीतिगत समीक्षा में भी केंद्रीय बैंक ने दरें नहीं बढ़ाईं। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आगे सख्ती की गुंजाइश बरकरार रखते हुए कहा था यह महज एक ठहराव है।

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बार्कलेज के प्रबंध निदेशक एवं प्रमुख (चीन को छोड़कर ए​शिया की अन्य उभरती अर्थव्यवस्था) राहुल बाजोरिया ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि एमपीसी अपनी अगस्त की बैठक में नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखेगी। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि समिति नीतिगत मोर्चे पर यथा​स्थिति को बरकरार रखते हुए आगामी आर्थिक आंकड़ों पर नजर रखेगी और मजबूत आ​र्थिक वृद्धि पर जोर देगी।’

जहां तक नीतिगत रुख का सवाल है तो सभी प्रतिभागियों ने कहा कि आरबीआई नरमी के रुख से परहेज करेगा क्योंकि जून और जुलाई में अधिशेष तरलता बरकरार रही।

आठ प्रतिभागियों ने उम्मीद जताई कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति अनुमान बढ़ाएगा। जून की नीतिगत समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 5.10 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था।

जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति सालाना आधार पर 4.81 फीसदी थी जो तीन महीने का उच्चतम स्तर था। हालांकि वह आरबीआई के दायरे की 6 फीसदी की ऊपरी सीमा से कम थी।

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भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आ​र्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष ने कहा, ‘जुलाई में शीर्ष खुदरा महंगाई (सीपीआई) साल भर पहले के मुकाबले बढ़कर 6.7 फीसदी होने की उम्मीद है जबकि खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 5.0 फीसदी रहने की संभावना है।’

उन्होंने कहा, ‘दोनों के बीच 0.6 फीसदी तक का फासला होने की उम्मीद है। उसके बाद शीर्ष सीपीआई 6 महीने में घटकर मुख्य सीपीआई की ओर आने लगेगी। हमें लगता है कि वित्त वर्ष 2024 के लिए औसत सीपीआई अब 5.4 फीसदी होगी।’

मुख्य मुद्रास्फीति में खाद्य वस्तुएं एवं ईंधन शामिल नहीं हैं जिनकी कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव दिखता है। यह कुछ समय तक करीब 5 फीसदी पर स्थिर रही थी।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘सब्जियों के दाम बढ़ने से जुलाई 2023 में सीपीआई मुद्रास्फीति 6 फीसदी से ऊपर पहुंच सकती है। साथ ही इस तिमाही का औसत दूसरी तिमाही के अनुमान से अधिक होगा, जिसे एमपीसी ने जून में जारी किया था। ऐसे में उम्मीद है कि आगामी नीतिगत समीक्षा में रीपो दर को अपरिवर्तित रखते हुए एमपीसी की टिप्पणी काफी सख्त होगी।’

केंद्रीय बैंक ने पहली तिमाही में औसत सीपीआई मुद्रास्फीति 4.6 फीसदी और दूसरी तिमाही में 5.2 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया है। किसी भी प्रतिभागी को यह नहीं लगा कि केंद्रीय बैंक चालू वित्त वर्ष के लिए अपने वृद्धि अनुमान में संशोधन करेगा। ब्याज दरें भले ही अपरिवर्तित रखी जाएं मगर मुद्रास्फीति के दबाव के कारण निकट भविष्य में नीतिगत रुख में सख्ती दिख सकती है।

First Published - August 6, 2023 | 10:51 PM IST

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