भारत में लगातार बढ़ रही कैंसर मरीजों की संख्या और जीनोम क्षेत्र में कमियों को पाटने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (आईआईटी-मद्रास) ने स्तन कैंसर संबंधी भारत का जीनोम सिक्वेंस तैयार करने की घोषणा की। संस्थान ने सोमवार को इसे भारत कैंसर जीनोम एटलस (बीसीजीए) के नाम से जारी किया।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुंसधान परिषद (आईसीएमआर) की एक हालिया रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि इस जानलेवा बीमारी के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम ने बताया है कि भारत में हर नौ में से एक व्यक्ति में कैंसर होने का खतरा है और देश में फिलहाल 14,61,427 लोगों को यह बीमारी हुई है। साल 2022 के बाद से हर साल इस बीमारी वाले मरीजों की संख्या में 12.8 फीसदी का इजाफा हुआ है।
देश में बड़ी संख्या में कैंसर के मरीज होने के बावजूद वैश्विक कैंसर जीनोम अध्ययन में भारत का प्रतिनिधित्व बहुत कम है।
भारत में प्रचलित विभिन्न तरह के कैंसर की जीनोमिक संरचना के अभाव को देखते हुए आईआईटी मद्रास ने साल 2020 में कैंसर जीनोम कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इस कार्यक्रम के तहत, देश भर के 480 स्तन कैंसर मरीजों के टिश्यू से 960 संपूर्ण एक्जोम सिक्वेंस पूरा कर लिया गया है।
आईआईटी मद्रास ने मुंबई के कार्किनोस हेल्थकेयर, चेन्नई के चेन्नई ब्रेस्ट क्लिनिक और कैंसर रिसर्च ऐंड रिलीफ ट्रस्ट के साथ मिलकर आंकड़ों का विश्लेषण किया है और भारतीय स्तन कैंसर के मरीजों के नमूनों से जेनेटिक वेरिएंट जुटाए हैं। संस्थान ने इस डेटाबेस को भारत और विदेशी शोधकर्ताओं एवं चिकित्सकों के लिए बीसीजीए डॉट आईआईटीएम डॉट एसी डॉट इन पर सार्वजनिक कर दिया है।
‘भारत कैंसर जीनोम एटलस’ से न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर के शोधकर्ताओं को होने वाले फायदों का उल्लेख करते हुए आईआईटी मद्रास के निदेशक वी कामकोटि ने कहा, ‘आईआईटी-एम सबके लिए की हमारी सामाजिक प्रतिबद्धता के अनुरूप हम स्वास्थ्य संबंधी एक और आंकड़ा पेश करने जा रहे हैं। ब्रेन डेटा के बाद कैंसर जीनोम डेटा इस शैक्षणिक सत्र में दूसरा डेटा है। हमें उम्मीद है कि इससे जानलेवा बीमारी के बारे में गहरी जानकारी मिलेगी और शुरुआती हस्तक्षेप से इसके रोकथाम में भी मदद मिलेगी। यह एटलस देश में विभिन्न कैंसर के लिए जीनोम कमियों को पाटेगा।’
यह अनुसंधान संस्थान के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन कैंसर जीनोमिक्स ऐंड मोलैक्यूलर थेरेप्यूटिक्स द्वारा किया गया है, जिसके लिए भारत सरकार की इंस्टीट्यूशंस ऑफ एमिनेंस पहल से रकम दी गई थी।
इस पहल के बारे में विस्तार से बताते हुए आईआईटी मद्रास के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन कैंसर जीनोमिक्स ऐंड मोलैक्यूलर थेरेप्यूटिक्स के प्रमुख और परियोजना समन्वयक एस महालिंगम ने कहा, ‘यह डेटाबेस भारत में कैंसर स्पेसिफिक बायोमार्कर्स की पहचान के लिए बड़ा संसाधन होगा, जिससे स्तन कैंसर का जल्द पता लगाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, यह देश के लोगों के लिए विशिष्ट उपचार रणनीतियों को विकसित करने के लिए नई दवाओं की पहचान में उपयोगी साबित होगा।’
इसके अलावा आईआईटी मद्रास के जैवप्रौद्योगिकी विभाग के प्राध्यापक महालिंग ने कहा कि बीसीजीए का उद्देश्य विभिन्न प्रकार के कैंसर के जीनोमिक्स पर काम करने वाले शोधकर्ताओं से प्राप्त आंकड़ों को एकत्रित करना है, तथा वह प्रस्तुतियां स्वीकार करने के लिए तैयार है।
आंकड़ों का उपयोग उच्च जोखिम वाले समूहों का पता लगाने, कैंसर की प्रगति की निगरानी करने, व्यक्तिगत उपचार के लिए रणनीतियां बनाने और उपचार के परिणामों को समझने के लिए बायोमार्कर की पहचान करने के लिए किया जाएगा।