सरकार ने ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) में सुधार के लिए बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने इस दिशा में आगे बढ़ते हुए लोक सभा में मंगलवार को एक विधेयक पेश किया जिसमें बड़े सुधारों के प्रस्ताव दिए गए हैं। दिवालिया प्रक्रिया में कंपनियों को तेजी से शामिल करने, मामलों के त्वरित समाधान और परिसमापन के लिए उक्त विधेयक पेश किया गया है। इन सुधारों में समूह एवं सीमा पार ऋण शोधन अक्षमता और बड़ी कंपनियों के लिए पहले से तैयार ऋण शोधन अक्षमता भी शामिल हैं। सरकार ने दिवालिया कानून में आमूल-चूल परिवर्तन के लिए यह पहल की है।
इस प्रस्तावित विधेयक में कई महत्त्वपूर्ण सुधार शामिल किए गए हैं और एक नया उपखंड (क्लॉज) भी जोड़ा गया है। इस उपखंड में दिवालिया समाधान प्रक्रिया के तहत व्यक्तिगत गारंटीदाता की परिसंपत्तियां ऋणदाताओं को स्थानांतरित करने की अनुमति दी गई है। इस विधेयक में एक महत्त्वपूर्ण स्पष्टीकरण भी दिया गया है जो मामले राज्य या केंद्र के प्राधिकरणों द्वारा किए जाने वाले दावों से जुड़ा है। इसमें कहा गया है कि संबंधित पक्षों के बीच ऐसे दावों के लिए अनुबंध आधारित समझौता होने की सूरत में ही उन्हें सुरक्षित ऋणदाता माना जाएगा और उन्हें स्वतः आईबीसी में उच्च प्राथमिकता नहीं दी जाएगी।
इस संशोधन विधेयक में कहा गया है, यह स्पष्ट किया जाता है कि दो या अधिक पक्षों के बीच हुए एक समझौते के तहत किसी जायदाद पर अधिकार, इसमें दिलचस्पी या इसे लेकर दावे की सूरत में सुरक्षा हित मौजूद रहेंगे। किसी अस्थायी कानून के प्रभाव में तैयार सुरक्षा हित इसमें शामिल नहीं किए जाएंगे। इस विधेयक पर 2023 से ही चर्चा चल रही थी। सरकार ने इस विधेयक पर विस्तृत चर्चा के लिए इसे प्रवर समिति को भेज दिया था। वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, प्रस्तावित संशोधन अनावश्यक देरी से निजात दिलाएगा और अंशधारकों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाएगा। इसके साथ ही दिवालिया संहिता के तहत सभी प्रक्रियाओं के लिए संचालन में सुधार लाएगा।
इस विधेयक में प्रस्तावित समूह ऋण शोधन अक्षमता ढांचे का मकसद पेचीदा कंपनी समूह संरचनाओं से जुड़े दिवालिया मामले का सरलता से निपटारा करना है। इससे अलग-अलग स्तरों पर चल रही कार्यवाही से मूल्य ह्रास कम करने में मदद मिलेगी और आपसी समन्वय से लिए गए निर्णयों से ऋणदाताओं को उचित लाभ मिलेगा। विधेयक में कहा गया है कि केंद्र किसी समूह में शामिल दो या अधिक कर्जधारकों के खिलाफ शुरू दिवालिया प्रक्रिया संचालित करने के लिए केंद्र तरीके और शर्तें सुझा सकता है।
इन नियमों से एक साझा पीठ तैयार होने के साथ साझा समाधान पेशेवरों की नियुक्तियां और उन्हें हटाने का प्रावधान तैयार होगा। इसके अलावा दिवालिया कार्यवाही और किसी समूह में शामिल कंपनी कर्जधारकों की ऋणदाताओं की समिति के साथ तैयार समिति के गठन के बीच समन्वय स्थापित करने का रास्ता भी साफ हो जाएगा।
ये प्रावधान जेनसोल और ब्लूस्मार्ट जैसी उन कंपनियों से जुड़े दिवालिया मामलों में मददगार होंगे। ये दोनों कंपनियां एक समूह का हिस्सा हैं। ऐसे मामलों में समाधान प्रक्रिया सहजता से आगे बढ़ेगी और धन और समय दोनों की बचत होगी। विशेषज्ञों ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक में शामिल ढांचे में विदेश में परिसंपत्तियों की पहचान और उनकी वसूली में भी मदद मिलेगी।