मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता वाली कैबिनेट बैठक में वर्ष 2023 की सहकारी नीति को मंजूरी दी गई। इस नीति में रोजगार तैयार करने पर विशेष ध्यान दिया गया है।
नीति में सरकार और सहकारी समितियों के बीच साझेदारी (PCP) का मॉडल अपनाने पर जोर दिया गया है। इसका अर्थ यह है कि सहकारी समितियां सरकारी निकायों के साथ तालमेल करके काम करेंगी।
राज्य सरकार की योजना सहकारी समितियों की मदद से प्रदेश के युवाओं को रोजगार दिलाने की है। स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए कृषि, स्वास्थ्य सेवा, खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन, जल संरक्षण, नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यटन, खनिज, कृषि उपकरण, जैविक उत्पाद आदि क्षेत्रों में सहकारी समितियों की स्थापना की जाएगी जिन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं के साथ जोड़ा जाएगा।
सहकारिता विभाग के अधिकारियों के अनुसार जिला स्तर पर कोर समूह बनाए जाएंगे ताकि सहकारिता के क्षेत्र में निवेश के अवसरों को खंगाला जा सके। राज्य के सहकारिता मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने ट्वीट किया, ‘मध्य प्रदेश सहकारिता नीति लाने वाला पहला प्रदेश बन गया है। इस निर्णय के साथ ही राज्य ने विकास के क्षेत्र में एक नया पहलू जोड़ दिया है। मैं राज्य की जनता की ओर से मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट करता हूं।’
मंत्री के मुताबिक नए क्षेत्रों में सहकारी समिति बनाकर रोजगार के नए अवसर तैयार किए जाएंगे। इसके अलावा सहकारिता कानून में बदलाव लाया जाएगा ताकि सहकारी समितियों की आंतरिक और ढांचागत कमियों को दूर किया जा सके।