सरकार ने भारतीय नौसेना के लिए फ्रांस से 36 मरीन राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। इस बारे में सरकारी सूत्रों ने कहा कि बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की समिति (सीसीएस) की बैठक में इस सौदे पर मुहर लग गई। फ्रांस से 36 विमानों की खरीदारी 63,000 करोड़ रुपये में होगी जो लड़ाकू विमानों की खरीदारी का अब तक का सबसे बड़ा सौदा होगा।
इन 36 विमानों की खरीदारी भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच सीधे समझौते के तहत होगा। इन विमानों की खरीदारी के प्रस्ताव पर सीसीएस की मुहर लग जाने के बाद सभी औपचारिकताएं पूरी हो गई हैं और अब इस समझौते पर हस्ताक्षर होना बाकी रह गया है। माना जा रहा है कि इस महीने के अंत तक इस सौदे पर दोनों देश हस्ताक्षर कर देंगे। अनुबंध पर हस्ताक्षर के बाद लगभग साढ़े तीन वर्षों में इन मरीन राफेल विमानों की खेप आनी शुरू हो जाएगी। अगले लगभग साढ़े छह वर्षों में सारे विमानों की आपूर्ति हो जाएगी।
इस समझौते के तहत भारत एक सीट वाले 22 विमान खरीदेगा जो विमानवाहक युद्धपोत से उड़ान भर सकेंगे। इनके अलावा दो सीटों वाले चार विमान और खरीदे जाएंगे जिनका इस्तेमाल प्रशिक्षण कार्यों में होगा। ये विमान स्वदेश में तैयार पहले विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनात किए जाएंगे। फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन ये विमान तैयार करेगी। ये विमान रूस में बने मिग-29 लड़ाकू विमानों के साथ तैनात किए जाएंगे।
मिग-29 विमान विक्रमादित्य पर भी तैनात हैं मगर ये पुराने हो गए हैं और उनके साथ रखरखाव एवं मरम्मत जैसी चुनौतियां सामने आ रही हैं। भारतीय वायु सेना (आईएएफ) फ्रांस से ही खरीदे गए 36 राफेल लड़ाकू विमानों का भी परिचालन करती है। भारत ने सितंबर 2016 में दोनों देशों की सरकारों के बीच हुए एक सौदे में 60,000 करोड़ रुपये में ये 36 विमान खरीदे थे।
जुलाई 2023 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद ने राफेल मरीन लड़ाकू विमान और तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन-क्लास (कलवरी) डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बियों की खरीदारी से संबंधित प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी थी। लगभग 35,000 करोड़ रुपये में होने वाले स्कॉर्पीन सौदे को सीसीएस की मंजूरी मिलनी बाकी है। इस खरीदारी से जुड़े अनुबंध पर सरकार नियंत्रित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) और नेवल ग्रुप ऑफ फ्रांस हस्ताक्षर करेंगी।
इसी श्रेणी की 6 पनडुब्बियों की पहली खेप की तरह ही तीन अतिरिक्त परंपरागत पनडुब्बियां भी मूल उपकरण विनिर्माता नेवल ग्रुप के साथ मिलकर तैयार की जाएंगी। पूर्व में छह पनडुब्बियां एमडीएल ने ‘प्रोजेक्ट 75’ के तहत तैयार की थी और ये सभी नौसेना में सेवाएं दे रही हैं।
भारत स्वदेश में नौसेना के लिए टू इंजन डेक-बेस्ट फाइटर (टीईडीबीएफ) विमान भी विकसित कर रहा है। हालांकि, टीईडीबीएफ तैयार होने में कम से कम एक दशक का समय लग सकता है इसलिए मरीन राफेल लड़ाकू विमान इस बीच नौसेना की जरूरतें पूरी करेंगे।