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चांदी से ऐसे होगी आपकी चांदी

Last Updated- December 15, 2022 | 4:38 AM IST

इस वित्त वर्ष की शुरुआत से चांदी की कीमतों में तेजी की रफ्तार सोने से अधिक है। ऐसे में बहुत से निवेश सोच रहे होंगे कि क्या यह चांदी में निवेश करने का सबसे बढिय़ा मौका है। देश के हाजिर बाजारों में चांदी पिछले गुरुवार को 53,010 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई, जो पिछले सात साल में उसका सबसे महंगा भाव रहा। एमसीएक्स में चांदी के सितंबर अनुबंध का कारोबार 53,058 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर हो रहा है।
भारतीयों का सोने से लगाव तो हमेशा से ही रहा है लेकिन क्या अब चांदी को भी पोर्टफोलियो में शामिल करने की दरकार है? अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो कुछ बातें ध्यान रखनी होंगी। पहली बात यह है कि चांदी कमजोर जिगर वालों के लिए नहीं है। आनंद राठी प्राइवेट वेल्थ के डिप्टी सीईओ फिरोज अजीज ने कहा, ‘चांदी सबसे अधिक उतार-चढ़ाव वाली धातुओं में से एक रही है। इसकी कीमतों में अस्थिरता रुपये में सोने की तुलना में दोगुनी है। चांदी में तीन साल में उतार-चढ़ाव यानी मानक विचलन करीब 27-28 है, जबकि यह सोने में 12 ही है। किसी भी व्यक्ति को चांदी में निवेश के बारे में विचार करने से पहले इसे जानना जरूरी है।’ मानक विचलन कीमतों में उतार-चढ़ाव के जोखिम का मापक है।
अजीज ने कहा, ‘चांदी के किसी भी दिशा में जाने की रफ्तार तेज रहेगी। किसी भी चीज में ज्यादा उतार-चढ़ाव का मतलब है कि जब यह चढ़ती है तो तेजी से चढ़ती है और जब गिरती है तो तेजी से गिरती है। दूसरा, जब कभी चांदी में लिवाली का रुझान बनेगा तो आप देखेंगे कि इसमें भारी तेजी देखने को मिलेगी क्योंकि निवेशक जोखिम से बच रहे हैं।’ भारत में चांदी के दाम 75,000 रुपये के अपने सर्वोच्च स्तर पर अप्रैल 2011 में पहुंचे थे। इस तरह चांदी में बढ़त की गुंजाइश है। इस मोर्चे पर चांदी की स्थिति सोने से अलग है, क्योंकि सोना अपनी अब तक की सबसे अधिक कीमत पर बना हुआ है। लेकिन चांदी में निवेश कैसे किया जाए?

भौतिक
ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के पंकज मठपाल कहते हैं, ‘सोने से इतर चांदी के एक्सचेंज ट्रेडेड फंड उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए निवेशक भौतिक चांदी खरीदते हैं।’ किसी भी नौसिखिये निवेशक के लिए भौतिक खरीद का रास्ता सबसे उपयुक्त है। लॉकडाउन के कारण बहुत से सराफ अब ऑनलाइन खरीदारी की भी पेशकश कर रहे हैं।

वायदा बाजार में एमसीएक्स पर खरीद
केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया ने कहा, ‘आप जिंस कारोबारी खाता खोल सकते हैं और चांदी में लंबी अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं। आप इसे इलेक्ट्रॉनिक रूप में भी खरीद सकते हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड अब डिलिवरी प्रणाली पर ध्यान दे रहा है। इसलिए अब जिन चांदी वायदा के अनुबंधों का कारोबार हो रहा है, उनके लिए भौतिक धातु उपलब्ध होना जरूरी है।’
यह बात याद रखें कि आप धातुओं में केवल वायदा और विकल्प ही खरीद सकते हैं। इनकी वैधता एक महीने की होती है। इसके अलावा लॉट का न्यूनतम और अधिकतम आकार भी तय है। उदाहरण के लिए एमसीएक्स में चांदी वायदा अनुबंधों में लॉट का आकार चांदी का 30 किलोग्राम, चांदी-मिनी का 5 किलोग्राम और चांदी-माइक्रो का एक किलोग्राम है। विशेषज्ञ अनुबधों को आगे बढ़ाने का सुझाव देते हैं।

चांदी से संबंधित ढांचागत उत्पाद
जिस तरह बाजार से जुड़े डिबेंचर होते हैं, उसी तरह एक निर्गमकर्ता चांदी के ढांचागत उत्पाद जारी कर सकता है। इस उत्पाद में निफ्टी के बजाय चांदी के चढऩे पर आपको एक निश्चित स्तर तक अपनी पूंजी और प्रतिफल की सुरक्षा मिलेगी। लेकिन यह विकल्प अति धनाढ्य लोगों के लिए है, जो इस उत्पाद की पेचीदगियों को समझते हैं।

वैश्विक निवेश
ऐसे बहुत से प्लेटफॉर्म हैं, जो लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के तहत वैश्विक निवेश की सुविधा देते हैं। यह अब उतना जटिल नहीं है, जितना एक दशक पहले था। अजीज ने कहा, ‘चांदी में घट-बढ़ कीमतों से नहीं बल्कि मांग-आपूर्ति से होती है, इसलिए मुझे थोड़ी चिंता रहेगी।’ मठपाल जैसे अन्य लोगों का मानना है कि भारत में एक्सचेंज ट्रेडेड फंड शुरू होने तक खुदरा निवेशकों के लिए चांदी में भागीदारी ज्यादा तर्कसंगत नहीं होगी। चांदी का रुपये में गिरावट के साथ नकारात्मक सहसंबंध है। इसका मतलब है कि रुपये में गिरावट से यह बढ़ेगी। रुपये में गिरावट आम बात है, इसलिए लंबी अवधि के निवेशक अपने पोर्टफोलियो का एक छोटा हिस्सा लगाने के बारे में विचार कर सकते हैं।

First Published - July 19, 2020 | 11:52 PM IST

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