Year Ender 2023: साल 2023 में रिकॉर्ड कॉरपोरेट बॉन्ड व गैर-परिवर्तनीय ऋणपत्र (एनसीडी) जारी हुए और कंपनियों व वित्तीय संस्थानों ने इन प्रतिभूतियों के जरिये नवंबर तक 8.82 लाख करोड़ रुपये जुटाए। ऐसे इश्यू में बढ़ोतरी की वजह नियामकीय कारकों के अलावा एएए रेटिंग वाले बॉन्ड और एक साल की सीमांत लागत पर आधारित उधारी दर (एमसीएलआर) के बीच अंतर हो सकता है।
बाजार के प्रतिभागियों के मुताबिक, एनसीडी व कॉरपोरेट बॉन्ड के जरिये जुटाई गई रकम साल के आखिर तक 9 लाख करोड़ रुपये के पार निकल सकती है, जो पिछले साल के 7.63 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले करीब 18 फीसदी ज्यादा होगा। मौजूदा कैलेंडर वर्ष में पांच अग्रणी इश्यू में एचडीएफसी, भारतीय स्टेट बैंक, नाबार्ड, पावर फाइनैंस कॉरपोरेशन और आरईसी का इश्यू शामिल हैं।
प्राइम डेटाबेस के मुताबिक, एचडीएफसी ने ऋण बाजार से 74,062 करोड़ रुपये जुटाए। बाजार सूत्रों के मुताबिक, 51,080 करोड़ रुपये के साथ एसबीआई इस सूची में दूसरे स्थान पर रहा। उधर, नाबार्ड ने 48,333 करोड़ रुपये, पीएफसी ने 47,885 करोड़ रुपये और आरईसी ने 39,961 करोड़ रुपये जुटाए।
बाजार के भागीदारों ने कहा कि कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार ने साल 2023 में सुदृढ़ता का प्रदर्शन किया। नियामकीय समायोजन, ब्याज दर का अंतर और इश्यू लाने वालों के विशाखन से साल ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गया। साल 2024 के लिए उनका परिदृश्य सतर्कता के साथ आशावादी है।
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अगले साल एचडीएफसी के इश्यू की गैर-मौजूदगी महसूस की जाएगी, लेकिन यह खाई एचडीएफसी बैंक व अन्य इकाइयां पाट सकती है, खास तौर से उन कंपनियों की तरफ से जो बुनियादी ढांचा व हाउसिंग क्षेत्र को वित्त मुहैया कराती है। 82,590 करोड़ रुपये के साथ नवंबर का आंकड़ा जून के 1.20 लाख करोड़ रुपये व मई के 1.03 लाख करोड़ रुपये के बाद मौजूदा वित्त वर्ष का तीसरा सबसे बड़ा मासिक आंकड़ा रहा।
प्रतिभागियों ने कहा, नियामकीय बदलावों मसलन असुरक्षित कर्ज को लेकर आरबीआई की तरफ से जोखिम भारांक में बढ़ोतरी ने बाजार में बढ़ोतरी की। उच्च रेटिंग वाली एनबीएफसी को बैंक कर्ज का जोखिम भारांक भी बढ़ाया गया।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने नवंबर में 10 वर्षीय बॉन्ड के जरिये 7.79 फीसदी ब्याज दर पर 20,000 करोड़ रुपये जुटाए, जो किसी गैर-वित्तीय भारतीय फर्म का सबसे बड़ा बॉन्ड इश्यू रहा। इस साल का अन्य अहम इश्यू गोस्वामी इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड (शापूरजी पलोनजी समूह की कंपनी) का रहा, जिसने 18.75 फीसदी पर 14,300 करोड़ रुपये जुटाए। इसे केयर ने बीबीबी रेटिंग दी है।
पिछले साल बैंकों ने नकदी सरप्लस के बीच उधारी प्रोत्साहित किया था, उसके मुकाबले इस साल आयाम बदल गया। प्रतिभागियों के मुताबिक इस साल नकदी की स्थिति सख्त रही और इसने वित्तीय स्थानों को फंड के लिए बाजार आने को प्रोत्साहित किया।
जेएम फाइनैंशियल के प्रबंध निदेशक और प्रमुख (इंस्टिट्यूशनल फिक्स्ड इनकम) अजय मंगलूनिया ने कहा, पिछले साल स्थिति अलग थी क्योंकि व्यवस्था में अतिरिक्त नकदी थी और बैंक उधारी देने के इच्छुक थे। लेकिन इस साल नकदी के सख्त हालात ने बैंकों को बाजार से उधारी लेने को बाध्य किया और उनके पास और उधार देने की गुंजाइश नहीं थी।
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कैलेंडर वर्ष की पहली छमाही में बाजार ने विलय से पहले एचडीएफसी का बड़ा इश्यू देखा और अप्रैल, मई व जून में अच्छी खासी पेशकश सामने आई। अन्य एनबीएफसी और पीएसयू भी साल में सक्रिय रहे और नए इश्यू सामने आए। नैबफिड और रिलायंस जैसी इकाइयां खासी पेशकश के साथ बाजार में उतरी।
बाजारों ने दरों में संभावित कटौती मानकर चलना शुरू किया और व्यवस्था में नकदी के सख्त हालात ने तेजी से फंड हासिल करने की कोशिश में इजाफा कर दिया। मात्रात्मक सख्ती या इस तरह के अन्य कदमों के भय ने इश्यू लाने वालों को नीतिगत बदलाव से पहले उधारी कार्यक्रम में तेजी लाने को प्रोत्साहित किया। ब्याज दर के माहौल ने अहम भूमिका निभाई और बैंक लोन व एमसीएलआर ने सालाना बॉन्ड दरों के मुकाबले उच्च आंकड़े दर्ज किए।