भारतीय बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने बीमा कंपनियों से कहा कि वे वाहन बीमा में अनिवार्य रूप से तीसरे पक्ष की पॉलिसी (टीपी) में अनिवार्य रूप से इनबिल्ट सुविधा मुहैया कराए। इससे नियोक्ता के वाहन में यात्रा करने वाले कर्मचारियों को बीमा की सुविधा प्राप्त होगी।
बीमा नियामक ने साफ किया कि अगला फैसला आने तक भारतीय मोटर शुल्क के आईएमटी-29 के तहत तीसरे पक्ष को बीमा मुहैया कराए जाने पर ऐसे वाहनों से निजी कार पॉलिसी जारी करने पर कोई अतिरिक्त प्रीमियम वसूला नहीं जाएगा।
IRDAI ने कहा कि निजी कार पैकेज के तहत वाहन की तीसरे पक्ष की देनदारी के सेक्शन या बंडल पॉलिसियों और अनिवार्य वाहन तीसरे पक्ष देनदारी वाली स्टैंडअलोन पॉलिसियां जारी करने के दौरान इनबिल्ट बीमा मुहैया करवाया जाएगा।
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अदालत के आदेश के मद्देनजर बीमा नियामक ने यह फैसला किया है। दरअसल, मद्रास उच्च न्यायालय ने बीमा नियामक को आईएमटी-29 में कर्मचारियों के लिए इनबिल्ट बीमा अनिवार्य करने का आदेश दिया था।
न्यायालय को यह जानकारी मिली थी कि कर्मचारियों को नियोक्ताओं के निजी वाहनों में यात्रा करने के दौरान दुर्घटना का शिकार होने और घायल होने या असामयिक मौत होने पर बीमा का दावा हासिल करने में बेहद खराब अनुभवों से गुजरना पड़ा था।
ऐसे में परिवार के अकेले कमाने वाले सदस्य को खोने या घायल होने पर दावा करने वाले को अंतहीन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। भारतीय वाहन टैरिफ 2002 की धारा 7 का खंड 7 नियोक्ता के निजी वाहन से कर्मचारियों को लेकर जाने के दौरान दुर्घटनाग्रस्त होने की स्थिति से संबंधित है।
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इस धारा के अनुसार ऐसे कर्मचारियों और वेतनभोगी चालक जो भी लागू हो, उसकी जिम्मेदारी है।