facebookmetapixel
Editorial: वोडाफोन आइडिया के एजीआर संकट पर समाधान की उम्मीद, समान नीति की मांग तेजबजट 2026 में राजकोषीय अनुशासन और विकास के बीच संतुलन जरूरीतकनीकी दिग्गजों ने भारतीय यूजर्स से कमाए अरबों डॉलर, इसे देश में ही रोकने की जरूरतबांग्लादेश में विशेष न्यायाधिकरण ने शेख हसीना को दी मौत की सजा, हिंसक दमन का ‘प्रमुख सूत्रधार’ बतायाबिहार: नीतीश के हाथ में ही रहेगी कमान, जदयू-भाजपा गठबंधन में मंत्री पदों का बंटवारा तयआईटी शेयरों पर फंड मैनेजरों की दो राय, गिरावट के बाद अब रिकवरी की बढ़ीं उम्मीदेंBihar Election Analysis: बिहार में दोबारा जीत का ट्रेंड मजबूत, BJP-JDU की सीटों पर वोट प्रतिशत भी बढ़ाअगले 3 से 5 साल में निवेशकों की संख्या हो सकती है दोगुनी, SEBI चेयरमैन ने जताई उम्मीदIPO लंबी अवधि की पूंजी नहीं जुटा रहे, सिर्फ शुरुआती निवेशकों का एग्जिट बन रहे: CEA नागेश्वरनव्यापार घाटे की खाई हुई और चौड़ी: अक्टूबर में निर्यात 11.8% घटा, ट्रेड डेफिसिट बढ़कर 41.68 अरब डॉलर पर

इक्विटी म्युचुअल फंडों से काफी निकासी हुई

Last Updated- December 15, 2022 | 3:15 AM IST

म्युचुअल फंडों में निवेश पर एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) के मासिक आंकड़े हैरान करने वाले हैं। एम्फी के आंकड़ों के अनुसार जुलाई में इक्विटी म्युचुअल फंडों से 2,480 करोड़ रुपये की निकासी हुई है। पिछले सात वर्षों में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर निवेशकों ने इक्विटी म्युचुअल फंडों से रकम निकाली है। हालांकि शॉर्ट ड्यूरेशन फंडों में निवेश बढ़ा है। निवेशक अंतराष्ट्रीय योजनाओं के फंड-ऑफ-फंड्स और गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) की तरफ भी आकर्षक हुए हैं।
ये सभी आंकड़े बाजार में मोटे तौर पर निवेशकों के मिजाज का संकेत दे रहे हैं। हालांकि दूसरे निवेशकों की देखादेखी करने के बजाय लोगों को अपनी समझ बूझ का इस्तेमाल कर परिसंपत्ति आवंटन के आधार पर खरीदारी या बिकवाली से जुड़ा फैसला लेना चाहिए। मार्च में जबरदस्त चोट खाने के बाद शेयरों में एक बार फिर तेजी देखी जा रही है। अनिश्चितताओं से सहमे कई निवेशक इस नतीजे पर पहुंच सकते हैं कि शेयरों के प्रति उनका उत्साह अब पहले की तरह नहीं रह गया है। ऐसे निवेशकों को अधिक स्थिर परिसंपत्ति श्रेणियों में निवेश करना चाहिए। जिन लोगों के निवेश से जुड़े लक्ष्य कुछ समय में पूरे होने वाले हैं उन्हें इक्विटी म्युचुअल फंडों में मुनाफावसूली करनी चाहिए। ज्यादातर भारतीय निवेशकों ने अपने पोर्टफोलियो का 100 प्रतिशत हिस्सा घरेलू बाजार में लगा रखा है। हालांकि पिछले कुछ वर्षों के दौरान अमेरिकी बाजार का प्रदर्शन खासा बढिय़ा रहा है। भारतीय निवेशक तकनीकी कंपनियों के शेयरों में भी निवेश करना चाहते हैं, इसलिए वे विदेशी बाजारों में भी दांव खेल रहे हैं। किसी निवेशक के इक्विटी पोर्टफोलियो में करीब 20 प्रतिशत जगह अंतरराष्ट्रीय फंडों के लिए होना चाहिए। मोबिक्विक में प्रमुख (संपत्ति प्रबंधन) कुणाल बजाज कहते है, ‘महंगे होने के बावजूद निवेशकों को पोर्टफोलियो में विविधता लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय फंडों में निवेश करना चाहिए।’
 जो निवेशक परिसंपत्ति आवंटन की दिशा में बढऩा चाहते हैं उन्हें अब चरणबद्ध तरीके से ऐसा करना चाहिए। जिन लोगों ने पहले निवेश कर रखा था संभवत: उन्होंने अधिक दांव लगा रखे होंगे इसलिए वे कुछ हद तक बिकवाली कर सकते हैं।
अपेक्षाकृत छोटी अवधि के फंडों की तरफ रुझान यह बताता है कि निवेशक सुरक्षा को अधिक तवज्जो दे रहे हैं। निवेशकों को फिक्स्ड इनकम पोर्टफोलियो में सरकारी निवेश योजनाएं शामिल करनी चाहिए। ये योजनाएं बिना किसी जोखिम के आकर्षक प्रतिफल देती हैं। इक्विरस वेल्थ मैंनेजमेंट के मुख्य कार्याधिकारी अंकुर माहेश्वरी कहते हैं,’डेट फंडों में निवेश करने वाले लोगों को निवेश एवं प्रतिफल में उतार-चढ़ाव से जुड़े जोखिम मोल लेने की जरूरत नहीं है। ऐसे निवेशकों के लिए छोटी अवधि के फंड कारगर विकल्प हो सकते हैं।’
सोने में इन दिनों तेजी के कारण गोल्ड ईटीएफ में भी निवेश बढ़ा है। हालांकि फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि यह तेजी आगे भी बनी रहेगी। प्लूटस कैपिटल के प्रबंध निदेशक अंकुर कपूर कहते हैं,’सोने में मौजूदा स्तर से और 20 प्रतिशत तेजी आने की उम्मीद मुझे नहीं लग रही है।’ जिन्होंने गोल्ड ईटीएफ में निवेश नहीं किया है वे धीरे-धीरे इसमें निवेश कर सकते हैं या गिरावट आने पर खरीदारी कर सकते हैं। अगर सोने में निवेश अधिक कर रखा है तो थोड़ा मुनाफा कमा सकते हैं।

First Published - August 19, 2020 | 1:29 AM IST

संबंधित पोस्ट