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वाहन बाजार पर टपकी आईटी जगत की लार

Last Updated- December 05, 2022 | 4:47 PM IST

उछाल भरते देशी और विदेशी वाहन बाजार में महज ऑटो कंपनियों की ही दिलचस्पी नहीं है, देश की सूचना प्रौद्योगिकी आईटी कंपनियां भी उस पर लार टपका रही हैं।


 हालांकि इन कंपनियों का पहियों पर सवार होने का कोई भी इरादा नहीं है यानी ये वाहन उद्योग से सीधे नहीं जुड़ेंगी, लेकिन पर्दे के पीछे से ये अपना काम करती रहेंगी। दरअसल आईटी कंपनियां वाहन दिग्गजों को तमाम तरह के जरूरी सॉटवेयर और सॉल्युशंस मुहैया कराएंगी।


इस मुहिम में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), सत्यम, इन्फोसिस, केपीआईटी कमिंस इन्फोसिस्टस, जेनपैक्ट, आईबीएम इंडिया जैसी कंपनियां शामिल हैं। सभी की निगाह विदेशी वाहन कंपनियों पर टिकी हुई है।


असल में जनरल मोटर्स, टोयोटा, फोर्ड, डेमलर, बीएमडब्ल्यू जैसी नामी कंपनियां अपने वार्षिक राजस्व का एक बड़ा हिस्सा आईटी गतिविधियों पर ही खर्च करती हैं। इनमें आपूर्ति शृंखला मजबूत करना, निर्माण की गुणवत्ता सुधारना, इंजीनियरिंग पर ध्यान देना वगैरह शामिल हैं।


आईटी कंपनियां वाहन बाजार से कोई छोटी-मोटी रकम नहीं बल्कि सैकड़ों अरब रुपये कमाने के फेर में हैं। उद्योग के जानकारों को यह दूर की कौड़ी नहीं लगती। उनके मुताबिक यह बाजार कम से कम 600 अरब रुपये का है। जनरल मोटर्स, फोर्ड, क्रिसलर, डेमलर, बीएमडब्ल्यू वगैरह में से हरेक कंपनी सॉटवेयर सॉल्युशंस पर सालाना 80 अरब रुपये से ज्यादा ही खर्च करती है।


 इसके अलावा कलपुर्जे बनाने वाली तमाम कंपनी और दूसरे दर्जे के आपूर्तिकर्ता भी आईटी के मामले में कोई कंजूसी नहीं बरतते। इसी वजह से आईटी कंपनियां उत्साह से लबरेज हैं।टीसीएस के ग्लोबल मार्केटिंग प्रमुख जयंत वी पेंढरकर कहते हैं, ‘भारतीय आईटी कंपनियों के सामने वाहन बाजार में पैठ बनाने के सुनहरे मौके हैं। वाकई में यह बहुत बड़ा बाजार है। इस बाजार में हमारे चार ग्राहक तो पहले से ही हैं।


 अब हम उनकी तादाद बढ़ाने की जुगत भिड़ा रहे हैं।’ पिछले साल कंपनी को इस बाजार से 2,600 करोड़ रुपये की आय हुई थी। कंपनी को उस अवधि में मिले कुल राजस्व का यह 15 फीसदी हिस्सा था। उसने अमेरिका की भारी भरकम कार कंपनी क्रिसलर के साथ भी 500 करोड़ रुपये का करार किया है। इसके अलावा उसके ग्राहकों में फेरारी भी शामिल है।


सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज को भी वाहन जगत से अच्छी कमाई हासिल हो रही है। कंपनी के राजस्व में 10 फीसदी से भी ज्यादा हिस्सेदारी वाहन कंपनियों की ही है। कंपनी ने वैकल्पिक ईंधन, हाइब्रिड इंजन और इन्फॉटेनमेंट जैसे क्षेत्रों में शोध के लिए चेन्नई में अनुसंधान एवं विकास केंद्र भी खोला है।


केपीआईटी कमिंस भी इस मामले में पीछे नहीं है। कंपनी के अध्यक्ष एवं कार्यकारी निदेशक गिरीश वर्डाडकर के मुताबिक हर साल वाहन क्षेत्र में आईटी जगत का कारोबार 50 से 60 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। इस बढ़ोतरी के बड़े हिस्से पर काबिज होने के लिए ही आईटी कंपनियां दौड़ लगा रही हैं।

First Published - March 20, 2008 | 12:53 AM IST

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