फीकी बिक्री के बीच ग्राहकों में जोश भरने के लिए रियल एस्टेट डेवलपर इन त्योहारों पर कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कीमत में भारी-भरकम छूट, भुगतान की बेहद आसान योजना और कई सामान मुफ्त में देने के नाम पर खरीदारों को लुभाने की होड़ उनके बीच लगी है। ऐसी ही होड़ बैंकों और आवास ऋण कंपनियों के बीच भी छिड़ गई है। त्योहारों के दौरान वे आवास ऋण यानी होम लोन पर कई अनूठी पेशकश लेकर आई हैं। इनमें कम ब्याज दर भी शामिल है और प्रोसेसिंग शुल्क में कुछ कटौती भी है। कुछ बैंक और कंपनियां तो पूरा प्रोसेसिंग शुल्क ही माफ कर रही हैं।
अगर आपके पास कर्ज देने वाली दो कंपनियां या बैंक पहुंचते हैं, जिनमें से एक कम ब्याज दर का वादा करता है और दूसरा प्रोसेसिंग शुल्क में कटौती की बात कहता है तो कम ब्याज वाली कंपनी या बैंक का दामन थामना सही रहेगा। अरविंद राव ऐंड एसोसिएट्स के संस्थापक तथा चार्टर्ड अकाउंटेंट अरविंद राव इसकी वजह समझाते हुए कहते हैं, ‘प्रोसेसिंग शुल्क तो केवल एक बार ही जाता है तो उसकी छूट भी आपको एक बार ही मिलेगी। लेकिन ब्याज दर कम रही तो आप जब तक कर्ज चुकाते रहेंगे, उसका फायदा आपको मिलता रहेगा।’
बैंकों की पेशकश तो हर किसी को लुभाएगी मगर ध्यान रखिए कि प्रोसेसिंग शुल्क में कटौती या कम ब्याज दर का फायदा हर किसी को नहीं मिल सकता। माईलोनकेयर डॉट इन के संस्थापक और मुख्य कार्य अधिकारी गौरव गुप्ता कहते हैं, ‘आजकल जो भी पेशकश आती हैं, उनके साथ पात्रता का पैमाना भी जुड़ा होता है। मान लीजिए कि कोई ऋणदाता बेहद कम ब्याज दर पर कर्ज दे रहा है मगर हो सकता है कि वह कर्ज उन ग्राहकों को ही मिल रहा हो, जिनका क्रेडिट स्कोर 750 या उससे ज्यादा हो। अगर आपका स्कोर इतना नहीं है तो वह पेशकश आपके लिए नहीं है।’ गुप्ता एक और सलाह देते हैं। उनका कहना है कि कर्ज मांगने से पहले यह जरूर जांच लें कि बैंक या आवास ऋण कंपनी (एचएफसी) उस संपत्ति के लिए कर्ज दे रही है या नहीं, जिसे आपने पसंद किया है।
कई ऋणदाता प्रोसेसिंग शुल्क तो लेते ही हैं, संपत्ति की कानूनी और तकनीकी जांच के नाम पर भी शुल्क वसूल लेते हैं। हो सकता है कि आप जिसके पास कर्ज लेने गए हों, उसने प्रोसेसिंग शुल्क माफ करने की बात आपसे कही हो। मगर उसके बाद भी दूसरे शुल्क वह वसूल सकता है। बेहतर है कि कर्ज की बात करते समय उससे इस बारे में साफगोई से बात कर लें।
कुछ खास पेशकश केवल उन ग्राहकों के लिए होती हैं, जो ऋण देने वाली कंपनी या बैंक से बीमा भी खरीदने को तैयार होते हैं। गुप्ता बताते हैं, ‘अलग-अलग तरह के बीमा होते हैं और उनके प्रीमियम पर आने वाला खर्च कर्ज की कुल राशि का 1 से 7 फीसदी तक हो सकता है।’ इसलिए पहले पूछ लें कि सस्ते ब्याज या शुल्क माफी की पेशकश सभी के लिए है या उसे हासिल करने के लिए बीमा भी खरीदना पड़ेगा।
अगर आप होम लोन ले रहे हैं तो कर्ज देने वाली कंपनी या बैंक के साथ आपका रिश्ता बहुत लंबा चलने वाला है क्योंकि होम लोन की अवधि बहुत अधिक होती है। इसीलिए जो लोग पहले ही वहां से कर्ज ले चुके हैं, उनसे पता कर लीजिए कि बैंक या एचएफसी का सेवा का तरीका कैसा है या ग्राहकों के साथ उसका बर्ताव कैसा रहता है। चूंकि कोरोनावायरस महामारी का असर अभी कुछ समय तक रहना है, इसलिए ऐसे बैंक या आवास ऋण कंपनी को चुनना सही रहेगा, जिसकी ऑनलाइन पैठ काफी गहरी है या जिसका दफ्तर आपके घर के आसपास ही है।
यह भी पता कर लजिए कि एक खास समय तक मिलने वाली पेशकश के लिए क्या आपको किसी खास तारीख से पहले ही आवेदन करना पड़ेगा या उससे पहले ही कर्ज की मंजूरी हासिल करनी होगी। विशफिन के मुख्य कार्य अधिकारी ऋषि मेहरा आगाह करते हैं, ‘कहीं ऐसा न हो कि जब तक आपका कर्ज मंजूर हो तब तक उस खास पेशकश की मियाद खत्म हो चुकी हो और आप उसका फायदा ही नहीं ले पाएं।’
आपके लिए आखिरी मगर बेहद जरूरी बात यह फैसला करना है कि कर्ज बैंक से लिया जाए या आवास ऋण कंपनी से। अगर आप किसी बैंक से कर्ज लेते हैं तो आपके आवास ऋण की ब्याज दर रीपो दर से जुड़ी रहती है। इसका फायदा यह होता है कि जब भी रीपो दर में कटौती की जाती है तो आपको भी ब्याज दर में कटौती का फायदा मिलता है और जल्दी मिलता है। इस तरह रीपो दर कटौती पर आपकी मासिक किस्त में कमी आना लगभग तय रहता है। अगर बैंक कोई खास पेशकश कर रहा है और उसके तहत वह कम मार्जिन वसूलने के लिए रजामंद हो जाता है तो जब तक कर्जदार का क्रेडिट स्कोर कम नहीं होता तब तक बैंक मार्जिन में इजाफा नहीं कर सकता।
अगर आप बैंक के बजाय आवास ऋण कंपनी पर भरोसा करते हैं तो आपके कर्ज की ब्याज दर आंतरिक पैमाने से जुड़ी रहती है, जिसे मानक उधारी दर (पीएलआर) कहते हैं। मेहरा कहते हैं, ‘कुछ आवास ऋण कंपनियां मौजूदा ग्राहकों के लिए ब्याज दर में कटौती दूसरी कंपनियों के मुकाबले देर में करती हैं। ऐसी कंपनियों से एकदम दूर रहना चाहिए।’ अगर आवास ऋण कंपनी से ही कर्ज लेना है तो इंटरनेट का इस्तेमाल करें, तरीके से खोजबीन करें और ऐसी कंपनी चुनें, जिसने दर कटौती के बाद अपनी ब्याज दर में भी जल्द कमी की हो।
