शोध की जबरदस्त और कसी हुई प्रक्रिया, उत्पादों की गुणवत्ता पर ज्यादा ध्यान और भौगोलिक विस्तार के कारण अगले कुछ साल में ग्लेनमार्क फर्मास्युटिकल्स के राजस्व और मार्जिन में लगातार और बेहतर विकास होने की संभावना है।
अपनी शोध प्रक्रिया से बेहतर लाभ कमाने की रणनीति और साथ में वैश्विक बाजारों पर सधी नजर एवं उच्च गुणवत्तावाली दवाओं की बदौलत कपंनी पिछले 8 वर्ष में सालाना 50 प्रतिशत की दर से विकास वित्त वर्ष 2008 में 50 करोड़ डॉलर का राजस्व अर्जित कर पाने में कामयाब रही है।
ऐसी संभावना है कि कंपनी अपनी ब्रांडेड दवाओं के विदेशों में विस्तार की योजनाएं जारी रखने के साथ ही अपने मॉलिक्यूल्स का लाइसेंस दूसरी कंपनियों को आउटसोर्स करने की प्रक्रिया भी जारी रख सकती है।
पैसे की मशीन
कंपनी के पोर्टफोलियो में 13 मॉलिक्यूल हैं जो विकास के विभिन्न चरणों में हैं और इनमे से पांच क्लिनिकल चरणों में हैं। ये सभी कॉमर्शियल लांच के इंतजार में है और इनमें से सबसे पहले जिसका कॉमर्शियल लांच होगा वह है अस्थमा और फेफडों की बीमारी की दवा ओग्लेमिलास्ट लेकिन इसके बाजार में आने में अभी कम से कम तीन साल का समय और लग सकता है।
उत्तरी अमेरिका और जापान के बाजारों के लिए इन दवाओं को पहले ही आउट-लाइसेंस्ड किया जा चुका है और साथ ही कंपनी यूरोपीय बाजारों में दवाओं को बेचने के लिए यूरोपीय कंपनियों से बात कर रही है। अभी तक कंपनी को दवाएं आउट-लाइसेंस करने की रणनीति का बहुत फायदा मिला है, जिससे कपंनी का आउट-लाइसेंसिंग राजस्व वित्त वर्ष 2008 में 240 करोड़ रुपये(राजस्व का 12 प्रतिशत) से अधिक दर्ज किया गया और यही वित्त वर्ष 2007 में 139 करोड़(राजस्व का 11.6 प्रतिशत)रुपये था।
कंपनी वित्त वर्ष 2009 में कम से कम दो लाइसेंस वाले समझौते करने के बारे में सोच रही है और इसके लिए 290 करोड़(राजस्व का 10.8 प्रतिशत)रुपये केआउट लाइसेंसिंग राजस्व का लक्ष्य रखा है। चूंकि निर्माणाधीन नई दवाओं से कंपनी को मुनाफा मिलेगा ही, इसकेअलावा कंपनी की जेनरिक दवाओं के बिजनेस जिसका ज्यादातर कारोबार अमेरिका केसाथ होता है, की मदद से भी अगले कुछ वर्ष में कंपनी केराजस्व में बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है।
जेनेरिक दवाओं का विकास
अमेरिकी बाजार में जेनेरिक दवाओं के 33 उत्पादों की बदौलत कंपनी कीदवाओं की बिक्री इस साल जून तिमाही में पिछले साल की समान तिमाही के मुकाबले 131 प्रतिशत की जबरदस्त बढ़ोतरी के साथ 190 करोड रुपये रही। अमेरिका में उत्पादों से होनेवाले कारोबार से प्राप्त होनेवाले राजस्व का इस साल की पहली तिमाही के 466 करोड़ रुपये के राजस्व में कुल योगदान 40 प्रतिशत का रहा है।
ग्लेन फार्मास्युटिकल्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक ग्लेन सल्दान्हा मानते हैं कि कंपनी के इस बेहतरीन विकास दर का कारण कंपनी का सही सेगमेंट में प्रवेश करना और वहां अपनी रणनीति को सही तरीके से अमली जामा पहनाना है।
कंपनी ने जिन क्षेत्रों की पहचान की, उनमें काफी मुश्किलें हैं, मसलन डर्मैटोलॉजी में विकास पर आने वाली भारी लागत, कंट्रोल्ड सब्सटैंस में लाइसेंस की जरूरत, मॉडिफाइड रिलीज में अनूठी तकनीक और कैंसर विज्ञान तथा हॉर्मोन्स के अध्ययन में विशिष्ट प्रतिष्ठानों की जरूरत।
कंपनी ने इस जून की तिमाही में यूएसएएफडीए केपास चार एएनडीए को मंजूरी के लिए पेश किया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 8 और एएनडीए को मंजूरी के लिए भेजने की कंपनी की योजना है। कंपनी वित्त वर्ष 2009 में कुल एएनडीए की संख्या बढ़ाकर 30 तक पहुंचाना चाहती है।
अमेरिका में किए जा रहे कारोबार के अलावा कंपनी के जेनेरिक सेगमेंट में अर्जेंटीना की मार्केटिंग कंपनी से अधिग्रहीत किया गया कैंसर दवाओं का पोर्टफोलियो(वित्त वर्ष 2008 केराजस्व का 33 करोड़), सर्वाइकल और एक्टिव फार्मास्युटिकल्स इन्ग्रेडिएण्ट्स(एपीआई) शामिल हैं जिनका कुल राजस्व वित्त वर्ष 2008 में 201 करोड़ रुपये था। कंपनी अर्जेंटीना में अपने ओंकोलॉजी कारोबार का गढ़ बनाना चाहती है।
ब्रांडेड जेनेरिक्स में महारत
स्पेशिएलिटी सेगमेंट में आर ऐंड डी डिवीजन और फिनिश्ड डोजेज फॉरम्यूलेशन शामिल हैं। इनका वित्त वर्ष 2008 में कंपनी केकुल कारोबार में योगदान 978 करोड रुपये है जो कि कुल कारोबार का 48 प्रतिशत है। हालांकि ग्लेनमार्क की पहुंच कई देशों में है लेकिन कंपनी के राजस्व के मुख्य स्रोत भारत, मध्य और पूर्वी यूरोप, लैटिन अमेरिका और रूस और मेटाबोलिक डिसऑर्डर और डर्मैटोलॉजी सेगमेंट होंगे।
कंपनी का दस प्रमुख ब्रांडों के साथ भारतीय दवा बाजार में 1.3 प्रतिशत का हिस्सा है। इन दस प्रमुख ब्रांडों जैसे एसकोरिल, कैंडिड बी और टेल्मा का कंपनी के कुल राजस्व में हिस्सा 60 प्रतिशत का है। कंपनी द्वारा प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में बढ़ोतरी किए जाने के मद्देनजर(वित्त वर्ष 2008 में 30 और वित्त वर्ष 2009 की पहली तिमाही में 12 प्रोडक्ट) कंपनी को भारतीय फॉरम्युलेशन कारोबार में बिक्री से चालू वित्त वर्ष में 640 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2010 में 735 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति का अनुमान है।
निवेश की वजह
अच्छे उत्पाद और कुशल रणनीति के कारण पिछले चार साल में कंपनी की विकास दर बेहतर रही है और साथ ही इसके मार्जिन में भी सुधार हुआ है। कंपनी का राजस्व वित्त वर्ष 2006 के 676 करोड रुपये से सुधरकर वित्त वर्ष 2008 में 1,978 करोड़ रुपये रहा और परिचालन तथा शुद्ध मुनाफा मार्जिन भी क्रमश: 20.3 प्रतिशत से बढ़कर 40.6 प्रतिशत और 13 प्रतिशत से बढ़कर 31.9 प्रतिशत तक पहुंच गया।
कंपनी यही विकास दर बरकरार रखती है तो वित्त वर्ष 2010 में उसका मुनाफा 1,000 करोड़ रुपये और राजस्व 3,600 करोड़ रुपये रहना चाहिए। कंपनी का शेयर 654 रुपये पर अपने वित्त वर्ष 2010 के अनुमानित ईपीएस पर 15.3 प्रतिशत का डिस्काउंट देता है और अगले एक वर्षों में उसे 18 प्रतिशत का मुनाफा अर्जित करना चाहिए।