भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों और गैरबैंकिंग वित्तीय कंपनियों को फिनटेक कंपनियों के गठजोड़ से बने हुए पूर्व मॉडल पर निर्भर रहने के जोखिम के प्रति आगाह किया है।
केंद्रीय बैंक ने इन विनियमित इकाइयों को सूचनाओं के आदान-प्रदान के दौरान आने वाले अंतर के जोखिम से सावधान रहने की सलाह दी है। इससे अंडरराइटिंग मानक भी कमजोर हो सकते हैं।
नियामक ने अंडरराइटिंग के एल्गोरिथम के पूर्वाग्रह को कम करने के लिए सटीक व विविधीकृत आंकड़ों के समूह एल्गोरिथम को अपनाने के महत्त्व पर जोर दिया। इसने न्यूनतम अंडरराइटिंग मानदंड और संभावित भेदभाव वाले कारकों को पहचानने के लिए एल्गोरिथम का ऑडिट करने की जरूरत पर बल दिया।
आरबीआई ने रिपोर्ट में कहा, ‘इन मॉ़डल को मजबूत होना चाहिए और इनकी मजबूती का समय समय पर परीक्षण किया जाना चाहिए।’हालांकि नियामक ने आर्टिफिशल इंटेलीजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग में जोखिम वाले पारदर्शिता के अभाव और उसमें व्याप्त पूर्वाग्रहों को भी उजागर किया है।
आरबीआई ने ऋणदाताओं से सिफारिश की है कि वे नैतिकता पर आधारित एआई को अपनाएं। इससे ग्राहकों के हितों की रक्षा, पारदर्शिता, सुरक्षा और निजता होगी।
नियामक का आकलन है, ‘ऐसे में लाभों और जोखिमों के बीच संतुलन स्थापित करना अनिवार्य हो गया है। यह संतुलन नियामित इकाइयों (आर) की क्षमता को मजबूत करके, निरीक्षण प्राधिकारियों के निगरानी, संबंधित कानूनों को बनाकर/दुरुस्त करके, नियामकीय ढांचे, संभावित जोखिम की पहचान करने के लिए साझेदारों को सक्रिय रूप से शामिल करके और ग्राहकों को शिक्षा को बढ़ाकर हासिल किया जा सकता है।’
अन्य कदम फिनटेक क्षेत्र में पारदर्शिता को बढ़ाना है। आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में घोषणा की थी कि वह अगले साल के अप्रैल तक फिनटेक रिपोजिटरी की स्थापना करना चाहती है।