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एक्टिव इन्फ्रास्ट्रक्चर में साझेदारी की उम्मीद

Last Updated- December 05, 2022 | 5:11 PM IST

दूरसंचार विभाग ऑपरेटरों को एक्टिव इन्फ्रास्ट्रक्चर में साझा करने की अनुमति देने के लिए नियमों को अंतिम रुप देने वाला है।


एक्टिव इन्फ्रास्ट्रक्चर में सब्सक्राइबर लाइन, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्विच और अन्य उपकरण शामिल हैं लेकिन ऑपरेटरों को उनका साझा करने की  अनुमति नहीं है। दूसरी ओर टेलीकाम टावर, शेल्टर और रिपीटर्स जैसे पैस्सिव इन्फ्रास्ट्रक्चर के मिल जुलकर इस्तेमाल करने को अनुमति मिली हुई है। सूत्रों का कहना है कि नई व्यवस्था तीन महीने के भीतर अंतिम रूप ले लेगी।


संचार विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इससे इससे आधारभूत ढांचे पर आने वाले खर्च में 50-60 प्रतिशत की कमी आएगी। इससे ऑपरेटर उपभोक्ताओं से लिए जाने वाले शुल्क में और कमी कर सकेंगी। 


एक विश्लेषक ने यह भी कहा कि इससे मोबाइल वर्चुअल नेटवर्क ऑपरेटर (एमवीएनओ) के लिए भी रास्ता खुलेगा। एक एमवीएनओ आपरेटर को अपने आधारभूत ढांचे या स्पेक्ट्रम की जरूरत नहीं होती। वे वर्तमान में काम कर रहे सेवा प्रदाताओं से ये सुविधाएं लीज पर ले लेते हैं।


स्पेक्ट्रम की मारामारी को ध्यान में रखते हुए तमाम बहुराष्ट्रीय कंपनियां इस सुविधा के जरिए भारतीय बाजार में आने की कोशिश में लगी हैं। हालांकि वर्तमान नियमों में एमवीएनओ के माध्यम से सेवा प्रदान करने की अनुमति नहीं है। एक्टिव इन्फ्रास्ट्रक्चर शेयरिंग से ग्रामीण भारत में तेजी से मोबाइल नेटवर्क पहुंचाने में मदद मिलेगी।

First Published - March 27, 2008 | 10:46 PM IST

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