सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की ऋण वृद्धि उद्योग से सुस्त रही है। वित्त वर्ष 24 में सार्वजनिक बैंकों की ऋण वृद्धि 11 से 13 फीसदी के दायरे में रही जबकि इस अवधि में एचडीएफसी लिमिटेड और एचडीएफसी के विलय के असर को हटा दें तो बैंकिंग क्षेत्र ने रिकॉर्ड 16 फीसदी की वृद्धि दर्ज की। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में केवल भारतीय स्टेट बैंक ने 15 फीसदी से अधिक ऋण वृद्धि दर्ज की थी।
इन बैंकों के ऋण वृद्धि के मामले में सावधानी बरतने का कारण शुद्ध ब्याज मार्जिन पर दबाव था। ज्यादातर सरकारी बैंकों का मार्जिन वित्त वर्ष 23 की तुलना में वित्त वर्ष 24 में कम हो गया। सरकारी बैंकों की यह चिंता भी थी कि जब ब्याज दर बदलता है तो जमा दरों की तुलना में उधारी दरें तेजी से समायोजित होती हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े के अनुसार दिसंबर 2023 की समाप्ति पर कुल बकाया परिवर्तनीय ऋण दरों में बाह्य बेंचमार्क से जुड़े ऋण (ईबीएलआर) का हिस्सा बढ़कर 56.2 फीसदी हो गया जबकि यह मार्च 2023 में 49.6 फीसदी था। ज्यादातर बैंकों ने रीपो दर को बाह्य बेंचमार्क के रूप में लिया है।
एक सार्वजनिक बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘ब्याज दरों के नीचे आने के कोई संकेत नहीं हैं। कोष की लागत बढ़ गई है। इसके अलावा आरबीआई ने रीपो दर में कटौती करनी शुरू कर दी है। जमा दरों की समीक्षा करने पर ईबीएलआर लिंक्ड ब्याज दर तत्काल गिर जाएगी।’
दूसरी तरफ निजी क्षेत्र के बड़े बैंकों ने ऋण वृद्धि 16 फीसदी से अधिक रहने की जानकारी दी। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने जमा बढ़ने की दर सुस्त रहने के कारण बही खाते को बढ़ाने में दिक्कतों का सामना किया। बैंकिंग क्षेत्र ने 12.9 फीसदी की जमा वृद्धि दर्ज की जबकि कुछ बड़े बैंकों ने जमा राशि पर एकल अंकीय वृद्धि दर्ज की थी।