आम बजट की घोषणाएं इक्विटी और जिंस कारोबार दोनों के लिए हैरानी में डाल देने वाली हैं। बजट में निवेशकों खासतौर पर बाजार में जल्दी
अल्पावधि पूंजी प्राप्ति लाभ पर कर को बढ़ाकर 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत किए जाने को आप वित्त मंत्री का स्पष्ट संकेत मान सकते हैं। इससे लगता है कि दीर्घावधि निवेशकों को प्रोत्साहित किया गया है।
बेशक फिलहाल यह कदम कई जोखिमों को कम कर सकता है। वैश्विक बाजार में चल रही मंदी के चलते भारतीय शेयर बाजार भी दबाव का सामना कर रहे हैं। और कर में हुई बढ़ोतरी इस मामले पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। खासतौर पर बाजार में मोटा निवेश करने वाले
(हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स, एचएनआई), जो बाजार में लगातार निवेश करते हैं, अब उन्हें निवेश के लिए अन्य विकल्पों पर भी विचार करना चाहिए।
एचएनआई जिन रणनीतियों पर आगे बढ़ कर निवेश कर सकते हैं
, उन्हें समझने से पहले एक बार जरा प्रतिभूति करोबार कर (एसटीटी) पर नजर डाल लेते हैं। 2004 में पहली पर लगाया जाने वाला यह कर इक्विटी बाजार में हुए प्रत्येक लेन–देन पर लगाया जाता है।
इसके पीछे विचार, लाभ पर कर की बजाए कारोबार पर कर है, जिसमें कारोबारियों पर कर लगाया जाता था, जिससे बेहतर कर अनुपालन के साथ–साथ लंबी अवधि के लिए शेयरों को अपने पास रखने को प्रोत्साहन देना शामिल है। इसी के साथ एसटीटी के पीछे कर की कमजोरियों को कम करना था, चूंकि विभिन्न एक्सेचेंज कारोबार पर लगने वाले करों को इकट्ठा करने और उनके भुगतान के लिए जिम्मेवार थे।
मुख्यतौर पर
, एसटीटी इस तरह से काम करता था। उदाहरण के लिए, बड़ी राशि के साथ बाजार में उतरने वाला निवेशक नैशनल स्टॉक एक्सचेंज में खरीद–फरोख्त करता था, उस पर 0.1 प्रतिशत ब्रोकरेज लगाई जाती थी, जो 1 करोड़ रुपये पर 10 हजार रुपये है।
इसके अलावा भी वहां पर एक्सचेंज कारोबार लागत, राज्य सरकार द्वारा स्टाम्प शुल्क और सेवाएं भी हैं। इन सभी शुल्कों को मिला लिया जाए तो एक करोड़ रुपये पर 15 हजार रुपये और शुल्क का भुगतान भी करना पड़ता है। कुल मिलाकर एक करोड़ रुपये के कारोबार पर 25 हजार रुपये का शुल्क लगाया जाता है। हालांकि, कर में परिवर्तन के बाद एसटीसीजी कर को 10 से 15 प्रतिशत कर दिया गया है।
इसमें एक और बात ध्यान देने योग्य है। अगर आप एक निवेशक हैं और कारोबारी के रूप में दोहरी भूमिका निभाते हैं तो आप पाएंगे कि एसटीटी भुगतान
, जो पहले छूट माना जाता था, अब वह कटौती योग्य व्यय माना जाता है। दूसरे शब्दों में, पहले कोई एसटीटी को अपनी कर देनदारी के रूप में कारोबारी मुनाफे में से कम कर लेता था।
लेकिन अब इसे एक व्यय के तौर पर माना जाता है। पहले जब आप किसी कारोबार में 100 रुपये कमाते थे और उस पर 20 रुपये एसटीटी का भुगतान करते थे, तब 100 रुपये पर कुल कर देनदारी 30 रुपये हो जाती थी। कर देनदारी में एसटीटी के भुगतान में 10 रुपये अतिरिक्त शामिल होते थे।
बजट
2008-09 के बाद 20 रुपये एसटीटी आगे 100 रुपये मुनाफे पर काटे जाएंगे। और बाकी बचे 80 रुपये भी कर योग्य होंगे, जिन पर लगभग 24 रुपये कर के रूप में भगुतान करना होगा, अगर आप उच्च आय वर्ग में आते हैं। बड़ी राशि निवेश करने वाले कारोबारियों, जो निवेश रणनीतियों के तरह कारोबार करते हैं, उनके लिए यह बढ़िया खबर नहीं है।
अब ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर बड़ी राशि निवेश करने वाले कारोबारियों को क्या करना चाहिए? इन मुश्किल घड़ियों में ऐसे कारोबारियों के लिए बाजार में बने रहने के लिए कुछ नुस्खे बताए जा रहे हैं–
आप अपने निवेश को दीर्घावधि की ओर मोड़ दें। बाजार के अल्पावधि मुनाफों पर से अपनी नजरें हटा लें। ब्रोकरेज
, एसटीटी और दूसरे शुल्कों को कम करने के लिए, जो आपके मुनाफे का एक बड़ा हिस्सा चट कर जाते हैं, अपने पोर्टफोलियों में से सक्रिय निवेश को कम कर दें। बुनियादी तौर पर मजबूत शेयरों को चुने और अपने पोर्टफोलियों में लंबे समय तक पास रखने के विचार से खरीदें।
म्युचुअल फंड में अधिक विकल्प तलाशें, जहां आपको अधिक मुनाफा और कम जोखिम मिलें। जहां एक तरफ अल्पावधि आधार पर आपकी निधि सक्रिय रूप से निधि प्रबंधन प्रबंध करेगा, वहीं दूसरी तरफ आप करमुक्त दीर्घावधि पूंजी प्राप्ति का फायदा उठा सकते हैं। समय अभी कारोबारियों के लिए बढ़िया नहीं है, जो उतार–चढ़ाव से भरे बाजार में आपके लिए और मुसीबतें बढ़ा सकते हैं।
लेखक टचस्टोन वेल्थ प्लानर्स के निदेशक हैं।