वर्षों से पॉलिसीधारक यह शिकायत करते रहे हैं कि मेडिकल पालिसी लेना और उसका नवीकरण करवाना काफी मुश्किल भरा काम है।
कई बार बीमा कंपनियों ने बिना कुछ बताए ही दरें बढ़ा दीं या फिर पॉलिसी ठुकरा दीं क्योंकि उन पर दावा किया गया था। हालांकि, जून के बाद स्थितियों में काफी तेजी से सुधार हो सकता है।
बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) कई ऐसे दिशानिर्देश लेकर आया है जिससे अब ग्राहकों को पॉलिसी लेने या उसका नवीकरण करवाने में कठिनाइयों का सामना नहीं करना होगा। इन उपायों से खास तौर से वरिष्ठ नागरिकों को फायदा होगा जो प्रीमियम अधिक होने की वजह से पॉलिसी नहीं ले पाते थे।
नए दिशानिर्देश के कुछ लाभ
नवीकरण: बीमा कंपनियों और पॉलिसीधारकों के बीच इसे लेकर बड़ी खींचतान होती है। मेडिकल पॉलिसी प्राय: एक साल की होती है और इसका नवीकरण करवाना होता है। पॉलिसीधारकों को पॉलिसी की अवधि समाप्त होने से पहले सही वक्त पर इसका नवीकरण करवाने की जरूरत होती है।
वास्तव में, उनमें से कई पॉलिसीधारकों को पॉलिसी समाप्त होने के बाद बीमा कंपनियों के भुगतान से मना करने पर दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। और कई बार, बीमा कंपनियां बिना कारण बताए पॉलिसीधारकों के प्रीमियम बढ़ा देती हैं या फिर बीमा देने से ही मना कर देती हैं।
नए दिशानिर्देश के तहत बीमा कंपनी तब तक ग्राहकों की पॉलिसी का नवीकरण करने से इनकार नहीं कर सकतीं जब तक कि कोई धोखाधड़ी न की गई हो। केवल इस बिना पर कि पॉलिसी पर पहले दावा किया गया, कंपनियां कवर देने से मना नहीं कर सकतीं।
इसका मतलब हुआ कि अगर किसी व्यक्ति ने 3 लाख रुपये का कवर लिया हुआ है और वह उस साल के दौरान 1.8 लाख रुपये का दावा करता है तो उसे इस कारण कवर देने से बीमा कंपनी इनकार नहीं कर सकती।
बीमा कंपनियां एक ही आधार पर कवर देने से मना कर सकती हैं। उन्हें यह साबित करना होगा कि पॉलिसीधारक ने पॉलिसी लेते वक्त सच्चाई को तोड़-मरोड़ कर पेश किया था। इसका मतलब हुआ कि पॉलिसी लेते समय पॉलिसीधारक को सारी वास्तविकताएं सामने रखनी होंगी।
प्रीमियम में बढ़ोतरी: दूसरा बड़ा मुद्दा यह है कि पॉलिसीधारक यह नहीं समझ पाता कि उसका प्रीमियम आखिर बढ़ाया क्यों गया है। कुछेक मामले में बढ़ोतरी इतनी अधिक होती है कि इंसान पॉलिसी नहीं ले पाता।
प्रीमियम में इस तरह की वृध्दि होना काफी अहितकर है, खास तौर से वरिष्ठ नागरिकों के लिए क्योंकि उन्हें इस उम्र में कवर की जरूरत होती है। वर्तमान में जो दिशानिर्देश हैं, उनके उनुसार वरिष्ठ नागरिकों की पॉलिसी में अधिकतम 50 से 75 फीसदी की बढ़ोतरी की जा सकती है। लेकिन अब नियामक ने बीमा कंपनियों से कहा है कि वे प्रीमियम में बढ़ोतरी की वजह भी बताएं।
इसके अलावा, प्रीमियम से संबंधित विस्तृत जानकारी अब तत्काल देनी होगी। इससे पॉलिसीधारक के लिए यह समझने की प्रक्रिया आसान होगी कि उसके कवर के लिए यह खास कदम क्यों उठाया गया है।
कभी-कभी बीमा कंपनी पॉलिसीधारक पर अपनी पॉलिसी बदलने का दबाव डालती है। बहाना पॉलिसी के अपग्रेड या फिर किसी खास पॉलिसी के समाप्त होने का होता है। लेकिन, अब यह भी बिना नियामक की अनुमति के संभव नहीं होगा।
इससे पॉलिसीधारकों को निश्चित ही लाभ होगा क्योंकि कभी कभार नई योजनाओं की शर्त पॉलिसीधारक के लिए उपयुक्त नहीं होतीं या कंपनी प्रीमियम का भार इतना बढ़ा देती हैं कि उसे झेलना संभव नहीं होता।
समयावधि: वर्तमान में बीमा कंपनियां पॉलिसी के नवीकरण के मुद्दों लेकर काफी चुस्त हैं। अगर प्रीमियम देने में एक दिन की भी देर हो जाए तो पॉलिसी के लाभ जाते रहते हैं। ऐसे कई मामले हुए हैं जहां प्रीमियम देने में एक या दो दिन की देर हुई है और दावों को ठुकरा दिया गया है। और इसे पॉलिसी की समाप्ति के रूप में देखा गया।
अब बीमा कंपनियों को प्रीमियम के भुगतान के लिए 15 दिनों का समय उपलब्ध कराना होगा। इसका मतलब हुआ कि अगर पॉलिसी 12 मई को समाप्त हो रही है तो पालिसीधारक 27 मई तक प्रीमियम का भुगतान कर सकता है। समयावधि की निरंतरता से पॉलिसीधारक को सभी तरह के दावों के निपटान का लाभ मिल सकेगा।
वर्तमान में, अगर आप प्रीमियम देने में देरी करते हैं तो पॉलिसी को नई पॉलिसी मानते हुए जो बीमारियां (दो साल पहले भी) हो चुकी हैं, उन्हें कवर नहीं किया जाएगा। भले ही आपने पिछले साल ही मेडिकल पॉलिसी ली हो लेकिन बीमा कंपनियों का रुख ऐसा ही होता है।
अब 15 दिन के भीतर प्रीमियम का भुगतान करने पर पॉलिसी की निरंतरता जारी रहेगी। हालांकि, अगर 15 दिन के भीतर कोई दावा किया जाता है तो उस पर विचार नहीं किया जाएगा क्योंकि प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया था।
इन सबसे पॉलिसीधारकों को सुविचारित निर्णय लेने में मदद मिलेगी। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि वर्तमान कवर 3 लाख रुपये का है और बीमा कंपनी उसे बढ़ा कर 4 लाख रुपये करना चाहती है। अब बीमा कंपनी को यह बताना होगा कि वह ऐसा कदम क्यों उठा रही है। नए दिशानिर्देशों से मिली इन सुविधाओं की बदौलत अब मेडिकल पॉलिसी लेना आसान हो जाएगा।
