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मधुमेह के लिए बीमाकर्ताओं का मीठा-मीठा समाधान

Last Updated- December 07, 2022 | 6:40 PM IST

हमारे देश में मधुमेह बेहद सामान्य बीमारी है। देशभर के कुछ वयस्कों में से लगभग 12 से 13 प्रतिशत इस बीमारी से जूझ रहे हैं।

जहां मधुमेह से लड़ना अपने आप में काफी दर्दनाक है, वहीं मधुमेह के साथ अन्य गंभीर समस्याएं जैसे दिल की बीमारियों, दौरे के जोखिम, नजर की समस्या, गुर्दे का काम करना बंद कर देना और कभी-कभी अंगों को अलग करना, भी बीमार की जिंदगी को और भी मुश्किल बना देती हैं।

पिछले कुछ वर्षों तक इस बीमारी के लिए किसी तरह की बीमा योजना नहीं थी। हालांकि प्रूडेंशियल आईसीआईसीआई लाइफ इंश्योरेंस ने डायबीटीज केयर नाम से बीमा योजना पेश की है।

यह पॉलिसी टाइप-2 मधुमेह और मधुमेह से पहले (वे लोग जिनका ग्लुकोस स्तर अधिक होता है और अगर उस पर नियंत्रण न पाया जा सके तो वे बाद में मधुमेह में तब्दील हो जाता है) की स्थिति के लिक एक बीमा योजना है।

यह पॉलिसी धारक को इस बीमारी के चलते होने वाली 6 गंभीर समस्याओं जिनमें दिल का दौरा, बाई पास सर्जरी, दौरा, गुर्दे का काम करना बंद कर देना, कैंसर और किसी मुख्य अंग को बदलने के लिए होने वाले खर्च के बजाए एक निश्चित रकम अदा करती है।

इसके अलावा यह पॉलिसी राइडर भी मुहैया कराती है जो लेजर से होने वाले मधुमेह रेटिनोपैथी और अंगों को काटने के इलाज में भुगतान करते हैं।
जहां गंभीर बीमारियों को कवर देने के लिए यहां 3 लाख, 5 लाख और 10 लाख रुपये के तीन विकल्प हैं, राइडर्स आधार कुल राशि के 10 प्रतिशत का भुगतान करते हैं।

यह बीमा पॉलिसी 25 साल की न्यूनतम आयु से लेकर 60 साल की अधिकतम आयु तक के लिए 5 साल की अवधि के लिए है। इस पॉलिसी के तहत चुकाया गया प्रीमियम धारा 80डी के तहत छूट के योग्य है।

इस पॉलिसी की सबसे खास विशेषता है, इसके प्रीमियर को बदला जा सकता है। इस पॉलिसी के सेहत संबंधी एक कार्यक्रम के तहत पॉलिसीधारक को पहले चार वर्षों में हर साल दो मुफ्त चिकित्सा परीक्षण और साल में एक अनिवार्य चिकित्सीय जांच, जिसमें सभी विवरण के साथ परीक्षण की सुविधा मुहैया की जाती है।

यह पॉलिसी बीमार को सलाहकार डॉक्टर की हेल्थ केयर योजना के तहत हमेशा मधुमेह पर नजर बनाए रखने के लिए प्रेरित करती है।

अगर परीक्षण के परिणामों में मधुमेह पर अच्छा नियंत्रण देखने को मिलता है तब आधार प्रीमियम अगले वर्ष के लिए कम कर दिया जाता है। यह पहले वर्ष के आधार प्रीमियम का 5 से 30 प्रतिशत तक हो सकता है, जो बीमाधारक की आयु पर निर्भर करता है।

हालांकि परीक्षण के परिणाम मधुमेह पर नियंत्रण की कमी दिखाते हैं तो आने वाले वर्ष के लिए प्रीमियम को 10 से 17.5 प्रतिशत बढ़ा दिया जाता है।

मधुमेह के रोगियों को बीमा मुहैया कराने और उन्हें उनकी मधुमेह पर नियमित कार्यक्रमों और प्रीमियम के चलते नियंत्रण रखने के लिए प्रेरित करती यह पॉलिसी काफी खास है, लेकिन इसमें भी कुछ ऐसी बातें हैं, जिनमें सुधार किया जा सकता है।
 
इस पॉलिसी की अवधि कुछ कम लग रही है। क्या पॉलिसीधारक को हर पांच साल में नई पॉलिसी खरीदने की जरूरत है? इस पॉलिसी की अवधि को अधिक समय जैसे कि 25 से 30 वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि कंपनी के पास स्थितियों के बिगड़ने पर प्रीमियम बढ़ाने का अधिकार है।

इसके अलावा इस पॉलिसी के तहत अगर पॉलिसी के पहले 6 महीने में अगर गंभीर बीमारी की जांच हो जाए तो धारक को दावे का कोई भुगतान नहीं होगा, कंपनी धारक को प्रीमियम लौटा देगी।

अगर गंभीर बीमारी की जांच 6 से 12 महीने के बीच होती है तो भी कंपनी धार को कुल भुगतान का सिर्फ 50 प्रतिशत ही अदा करेगी।

सिर्फ पहले वर्ष के बीत जाने के बाद ही जोखिम के पूरे कवर का भुगतान किया जाएगा। जहां यह अधिक अवधि में सही लगता है, वहां 5 वर्ष अवधि की पॉलिसी में यह कुछ अधिक ही है।

जांच की सत्यता पर किसी तरह की शंका के मामले में कंपनी के पास चिकित्सा विशेषज्ञ को नियुक्त कर धारक के मामले में जांच करने का अधिकार है। विशेषज्ञ का फैसला बीमा कंपनी और धारक दोनों पर लागू होगा।

जहां बीमा कंपनी के पास जांच परीक्षण की पुन:जांच के सभी अधिकार हैं, ऐसे में मतभेद को हल करने के लिए किसी चिकित्सा विशेषज्ञ के फैसले पर निर्भर मामले के अलावा बेहतर तरीके होने चाहिए।

इसी पॉलिसी का एक वैरिएंट डायबीटीज केयर प्लस हाल ही पेश किया गया है, जो गंभीर बीमारी के साथ जीवन बीमा पॉलिसी भी है।

First Published - August 24, 2008 | 10:25 PM IST

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