facebookmetapixel
नया साल, नए नियम: 1 जनवरी से बदल जाएंगे ये कुछ जरूरी नियम, जिसका सीधा असर आपकी जेब पर पड़ेगा!पोर्टफोलियो में हरा रंग भरा ये Paint Stock! मोतीलाल ओसवाल ने कहा – डिमांड में रिकवरी से मिलेगा फायदा, खरीदेंYear Ender: क्या 2026 में महंगाई की परिभाषा बदलेगी? नई CPI सीरीज, नए टारगेट व RBI की अगली रणनीतिGold–Silver Outlook 2026: सोना ₹1.60 लाख और चांदी ₹2.75 लाख तक जाएगीMotilal Oswal 2026 stock picks: नए साल में कमाई का मौका! मोतीलाल ओसवाल ने बताए 10 शेयर, 46% तक रिटर्न का मौकाYear Ender: 2025 में चुनौतियों के बीच चमका शेयर बाजार, निवेशकों की संपत्ति ₹30.20 लाख करोड़ बढ़ीYear Ender: 2025 में RBI ने अर्थव्यवस्था को दिया बूस्ट — चार बार रेट कट, बैंकों को राहत, ग्रोथ को सपोर्टPAN-Aadhaar लिंक करने की कल है आखिरी तारीख, चूकने पर भरना होगा जुर्माना2026 में मिड-सेगमेंट बनेगा हाउसिंग मार्केट की रीढ़, प्रीमियम सेगमेंट में स्थिरता के संकेतYear Ender 2025: IPO बाजार में सुपरहिट रहे ये 5 इश्यू, निवेशकों को मिला 75% तक लिस्टिंग गेन

बीमा एजेंटों सावधान! एलआईसी बना रही है दावों पर कड़े नियम

Last Updated- December 07, 2022 | 10:45 AM IST

सरकार के अधिकार वाली बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने एजेंट्स के लिए कड़े नियम कानून तैयार किए हैं ताकि समय से पहले किए जाने वाले क्लेम को रोका जा सके।


कई बार ऐसा देख जाता है कि पॉलिसी कराने के पहले साल में ही क्लेम भी सामने आ जाता है। यह कदम इसलिए उठाया गया क्योंकि निगम ने जांच में पाया कि एजेंट सही तरीके से निगरानी नहीं रख पाते और खुद इस तरह के घपलों में शामिल होते हैं।

एलआईसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि निगम ने कई ऐसे एजेंट्स की पहचान की है जिनके पास से कुछ समय में ही क्लेम के कई सारे मामले सामने आए थे। ऐसे एजेंटों की एक सूची तैयार की गई है और उन्हें ‘वॉच लिस्टेड एजेंट्स’ का नाम दिया गया है और ऐसे एजेंटों का रिकार्ड रखा जा रहा है। जब भी इस सूची में शामिल कोई निवेशक कोई कारोबारी प्रस्ताव दर्ज कराता है तो स्क्रीन पर एक संदेश फ्लैश करता है कि ‘इस निवेशक का इतिहास कम समय में क्लेम के मामलों का रहा है।’

निगम ने ऐसे एजेंटों की पहचान करने के लिए चार साल के रिकार्ड खंगाले हैं। जांच के बाद 1,767 एजेंटों की पहचान की गई है और इनके बारे में संबंधित शाखाओं से जानकारी भी प्राप्त की गई है। क्लेम के हर मामले को लेकर निगम काफी गंभीर है। वर्ष 2006-07 में एलआईसी ने 127.93 करोड़ रुपये से अधिक के क्लेम का निपटारा किया था। निगम हर दिन 45,800 क्लेम और हर सेकेंड 2.21 क्लेम का निपटारा करता है।

अब इन क्लेम्स से निपटने के लिए निगम इनकी गहन जांच करने में लगा है यानी ये आमतौर पर कितने समय के बाद किए जाते हैं, क्लेम के पीछे तथ्य कौन से होते हैं और सूत्र के लीक होने की वजह कौन सी होती हैं। अल्प समय में किए जाने वाले इन क्लेम्स को समझने के लिए एक डाटावेयर हाउस की व्यवस्था की गई है। निगम के पास हर साल एक करोड़ रुपये की पॉलिसी आती हैं जिनमें से 20,000 करोड़ रुपये के क्लेम का क्लेम प्रॉसेसिंग सिस्टम में केंद्रीयकरण किया जा चुका है।

इस वजह से एलआईसी ने ऐसे एजेंटों के लिए अलग अंडरराइटिंग नियम तैयार किए हैं। ऐसे नियम जो भी प्रस्ताव पेश करते हैं उनका पंजीयन तभी होता है जब बीमा कराने वाले के बारे में एजेंट 100 फीसदी जानकारी प्राप्त कर लेता है। नॉन मेडिकल (सामान्य) कारोबार में ऐसे एजेंटों का दखल नहीं हो सकता है। ये सिर्फ मेडिकल या फिर नॉन मेडिकल (स्पेशल) के मामले में डील कर सकते हैं।

अगर वह बीमा एजेंट कोई नॉन मेडिकल (स्पेशल) बीमा का प्रस्ताव लाता है तो ऐसे में उस बीमा धारक के नियोक्ता से एक सर्टीफिकेट भी मंगाना होता है जिसमें यह लिखा होना चाहिए कि पिछले पांच सालों में मेडिकल के आधार पर उसने कितनी छुट्टियां ली हैं। ऐसे एजेंट जितने भी प्रस्ताव लेकर आते हैं सब में इस प्रमाणपत्र की जरूरत होगी।

बीमा धारकों के संबंध में थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर्स (टीपीए) का यह दायित्व होगा कि वे मेडिकल जांच करें और रिपोर्ट पेश करें। ऐसे सेंटर जहां टीपीए काम नहीं करते वहां ये जांच चिकित्सकीय जांचकर्ता या एलआईसी पैनल के विशेषज्ञ करते हैं। मेडिकल जांच के दौरान पॉलिसी खरीदने वाले को अपना फोटो पहचानपत्र देना होता है। ऐसे एजेंटों को पॉलिसी के दस्तावेजों की हैंड डिलीवरी मान्य नहीं है। इसे या तो डाक के जरिए भेजा जाना होता है या फिर फोटो में की गई पहचान के आधार पर इसे बीमा धारक को देना होता है।

First Published - July 13, 2008 | 10:17 PM IST

संबंधित पोस्ट