जब से लॉकडाउन में ढील दी गई है तभी से पुराने वाहनों खासकर पुरानी कारों की मांग में तेजी आ गई है। कोरोनावायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच लोग लोग आवाजाही के लिए सार्वजनिक परिवहन से दूर भाग रहे हैं और किसी अन्य के साथ परिवहन साझा भी नहीं करना चाहते। चूंकि लॉकडाउन का असर लोगों की कमाई पर भी पड़ा है, इसलिए कार खरीदने की इच्छा रखने वालों ने अपने बजट कम कर दिए हैं। जिन्हें नई कार खरीदनी है, वे अब महंगे बजाय कुछ सस्ते मॉडलों से सब्र कर रहे हैं और जिनका बजट ज्यादा तंग है, वे यूज्ड यानी पुरानी या सेकंड हैंड कार का रुख कर रहे हैं।
अगर आप भी कार खरीदने जा रहे हैं तो पहले तय कर लीजिए कि हैचबैक लेनी है, सिडैन लेनी है या स्पोट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) पर सवार होना है। इसीलिए सबसे पहले आपको अपना बजट तय करना होगा। अगर आपको रोजाना दफ्तर जाने के लिए कार खरीदनी है, आपका दफ्तर बहुत दूर नहीं है और आप कार पर बहुत ज्यादा खर्च करना भी नहीं चाहते तो आपको हैचबैक चुननी चाहिए। अगर पूरे परिवार के साथ घूमने के लिए आपकी गाड़ी इस्तेमाल होनी है और परिवार बड़ा है तो आपके लिए सिडैन सही रहेगी। अगर आपको शहर से बाहर जाने के लिए वाहन की जरूरत है तो एसयूवी भी खरीद सकते हैं। लेकिन एसयूवी खरीदने के लिए आपकी जेब भारी होनी चाहिए और पेट्रोल-डीजल पर अच्छे-खासे खर्च के लिए भी आपको तैयार रहना चाहिए।
गाड़ी चुनते समय यह भी देख लेना चाहिए कि जिस इलाके में आप रहते हैं उसकी स्थिति कैसी है। ओएलएक्स ऑटोज इंडिया के प्रमुख अमित कुमार समझाते हैं, ‘अगर आपके इलाके में अक्सर बाढ़ आती है या वहां की सड़कें गड्ढों भरी या पथरीली हैं तो आपको ऐसा वाहन चुनना चाहिए, जिसमें ग्राउंड क्लियरेंस काफी ज्यादा हो यानी जिसका चैसि जमीन से ठीकठाक ऊंचा हो और ऊंची-नीची सड़कों से टकरा न जाए।’
गाड़ी चार या पांच साल पुरानी हो जाए तो उसकी कीमत 55-60 फीसदी ही रह जाती है। महिंद्रा फस्र्ट चॉइस व्हील्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी आशुतोष पांडेय कहते हैं, ‘इतने साल बीतने पर भी अगर गाड़ी 30,000 से 50,000 किलोमीटर ही चली है तो उसे खरीदना सही होगा।’
अगर आप डीजल से चलने वाली गाड़ी खरीदना चाहते हैं तो 1 लाख किलोमीटर से कम चली गाड़ी ही चुनिए। कार्स24 के सह-संस्थापक और मुख्य विपणन अधिकारी गजेंद्र जांगिड़ इसकी वजह समझाते हैं। वह कहते हैं, ‘डीजल गाडिय़ां जब 1-1.5 लाख किलोमीटर चल जाती हैं तो उनके रखरखाव का खर्च बढऩा शुरू हो जाता है। अगर गाड़ी पेट्रोल से चलती है तो लंबे अरसे तक चलने के बाद भी उसके इंजन में कोई दिक्कत नहीं आएगी।’
अगर आपने पुरानी गाड़ी पसंद कर ली है तो उसकी हालत अच्छी तरह पता कर लीजिए। इसके लिए संगठित क्षेत्र की किसी कंपनी से विशेषज्ञ बुलाकर उसकी पूरी पड़ताल कराइए। इसके बाद भी कोई खटका रहे तो किसी अच्छी कंपनी से वाहन को प्रमाणित करा लीजिए। पांडेय बताते हैं, ‘अगर गाड़ी को सर्टिफिकेट मिल गया तो आप इसके लिए वारंटी भी खरीद सकते हैं, जिससे आपका दिमागी सुकून बढ़ जाएगा।’ संगठित क्षेत्र की कंपनी किसी भी गाड़ी का मुआयना कर लेगी मगर वह सर्टिफिकेट उन्हीं गाडिय़ों को देगी, जिन पर वह वारंटी देने को तैयार हो। इसीलिए सर्टिफिकेट उन्हीं गाडिय़ों के लिए मिलता है, जिन्हें ये कंपनियां बेचती हैं।
अब सबसे जरूरी मसला आता है और वह है गाड़ी की कीमत का यानी आपको कोई गाड़ी खरीदने के लिए कितनी रकम खर्च करनी चाहिए। अक्सर देखा जाता है कि गाड़ी खरीदने के बाद खरीदार को लगता है कि कुछ पैसे और कम कराए जा सकते थे। इस तरह के अफसोस से बचने के लिए आप इंडियनब्लूबुक डॉट कॉम जैसी वेबसाइट पर जा सकते हैं। वहां कंपनी डालिए, कार का नाम डालिए, यह भी बताइए कि वह किस साल में बनी थी और आपको पता चल जाएगा कि इसकी कीमत कितनी होनी चाहिए। पांडेय कहते हैं, ‘एक बार रेंज पता चल जाए यानी कार की कीमत का मोटा अंदाजा लग जाए तो आप 10 फीसदी कम या ज्यादा में सौदा पटा सकते हैं।’ कार्स24 की वेबसाइट पर कारकुलेटर नाम का कीमत बताने वाला फीचर भी है।
पुरानी कार खरीदते समय सब्र से काम करना बहुत जरूरी है क्योंकि वाजिब दाम के लिए आपको अच्छा-खासा मोलभाव करना पड़ सकता है। कुमार कहते हैं, ‘अगर कोई व्यक्ति अपनी कार फौरन बेचना चाहता है तो उससे आपको अच्छे से अच्छा सौदा मिल सकता है।’ अंत में यह भी ध्यान रखें कि पुरानी कार खरीदते समय उसके कागज पूरे होने चाहिए। यह सबसे अहम बात है और गाड़ी को अपने नाम ट्रांसफर कराने की कवायद भी आपको जल्द से जल्द पूरी कर लेनी चाहिए।
