जहां खाते ऑडिट हुए हों वहां आकलन वर्ष 2021-22 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख बढ़ा दी गई है और ऐसे मामलों में रिटर्न 15 मार्च, 2022 तक दाखिल किए जा सकते हैं। कर ऑडिट की रिपोर्ट जमा करने की आखिरी तारीख भी बढ़ा दी गई है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने हाल ही में घोषणा की है कि इसकी नई तारीख 15 फरवरी होगी। मगर ये मियाद कॉरपोरेट करदाताओं तथा ऐसे गैर कॉरपोरेट करदाताओं के लिए बढ़ाई गई हैं, जिनके बहीखाते ऑडिट करने की जरूरत पड़ती है। इसलिए आम करदाताओं के लिए इसमें उत्साहित होने की कोई बात नहीं है। उनके लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर, 2021 ही थी और वह निकल चुकी है। अगर आप उस तारीख तक यानी 31 दिसंबर तक अपना रिटर्न दाखिल नहीं कर पाए हैं तो आपको देरी से रिटर्न दाखिल करना पड़ेगा। आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा कहते हैं, ‘सीबीडीटी ने 11 जनवरी को एक घोषणा की है और उसमें बहीखातों के ऑडिट वाले मामलों में कर रिटर्न दाखिल करने की तारीख आगे बढ़ा दी है। साथ ही विभिन्न प्रकार के खुलासे तथा रिपोर्ट दाखिल करने की तारीख भी बढ़ा दी गई है। मगर देर से कर रिटर्न दाखिल करने की तारीख में किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं की गई है।’
देर से रिटर्न दाखिल करना
हालांकि आयकर रिटर्न को तय समयसीमा के भीतर भरना सबसे अच्छा होता है क्योंकि इससे आप कई तरह की परेशानियों से बच जाते हैं। मगर किसी वजह से यदि आप समय पर रिटर्न नहीं भर पाए हैं यानी 31 दिसंबर की तारीख निकल गई है तो भी आपको कुछ और महीने मिल जाते हैं। उन महीनों के दौरान आप देर से या विलंबित रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। मिगलानी वर्मा ऐंड कंपनी – एडवोकेट्स, सॉलिसिटर्स ऐंड कंसल्टेंट्स के मैनेजिंग पार्टनर प्रत्यूष मिगलानी समझाते हैं, ‘विलंबित रिटर्न यानी अंतिम तारीख गुजरने के बाद दाखिल किए जाने वाले रिटर्न भरने के लिए समय निश्चित होता है। उन्हें संबंधित आकलन वर्ष खत्म होने से पहले अथवा आकलन पूरा होने से पहले रिटर्न दाखिल करने का समय दिया जाता है। इन दोनों में से जो भी पहले हो, उससे पहले रिटर्न दाखिल हो जाना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे कि देर से रिटर्न दाखिल करने में आपका दोहरा घाटा होता है। इसमें अतिरिक्त खर्च भी लगता है और आपको जुर्माना भी भरना पड़ता है।’ आयकर अधिनियम की धारा 139(4)के अनुसार विलंबित रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख इस बार 31 मार्च, 2022 है।
जुर्माना भरिए
देर से रिटर्न दाखिल करना यानी अतिरिक्त खर्च का बोझ उठाना। अगर आप किसी भी आकलन वर्ष में निर्धारित समय के भीतर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाते हैं तो आपकी जेब पर चोट पड़ती है। आयकर अधिनियम की धारा 234एफ के अंतर्गत आपको उस पर विलंब शुल्क भरना पड़ता है। हालंाकि हर किसी को विलंब शुल्क नहीं चुकाना पड़ता। कुछ करदाताओं को इस शुल्क के भुगतान से छूट मिली हुई है। विक्टोरियम लीगलिस – एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के मैनेजिंग पार्टनर आदित्य वर्मा बताते हैं, ‘आयकर कानून कहता है कि जिन लोगों की कुल सकल आय छूट की बुनियादी सीमा से भी कम है, उन्हें तय तारीख के बाद रिटर्न दाखिल करने पर भी किसी तरह का विलंब शुल्क नहीं भरना पड़ेगा।’ किसी भी व्यक्ति के लिए आयकर छूट की बुनियादी सीमा इस बात पर निर्भर करती है कि उसने कौन सी कर व्यवस्था चुनी है – पुरानी अथवा नई। अगर उसने नई कर व्यवस्था चुनी है तो उसकी उम्र कितनी भी हो, 2.5 लाख रुपये तक की आय पर उसे किसी तरह का कर नहीं देना पड़ेगा। पुरानी आयकर व्यवस्था के तहत छूट की बुनियादी सीमा करदाता की उम्र पर निर्भर करती है। हालांकि छूट की बुनियादी सीमा जितनी आय वाले लोगों के लिए भी कुछ अपवाद यहां काम करते हैं। चोपड़ा बताते हैं, ‘अगर कोई व्यक्ति आय की बुनियादी सीमा से भी कम कमाता है मगर उसे विदेश में स्थिति संपत्तियों से कमाई होती है तो देर से रिटर्न दाखिल करने पर उसे जुर्माना भरना पड़ेगा।’
देर से रिफंड
अगर आप अपना आयकर रिटर्न देर से दाखिल करते हैं तो आयकर विभाग आपसे जुर्माना वसूलेगा मगर उसके अलावा भी आपको कुछ नुकसान हो सकते हैं। उनमें से एक नुकसान या असुविधा यह है कि यदि विभाग पर आपकी कोई देनदारी बन रही है यानी आपका ज्यादा आयकर काट लिया गया है तो उसका रिफंड मिलने में भी आपको देर होगी। सुराणा कहते हैं, ‘यदि रिटर्न निर्धारित तारीख के बाद दाखिल किया गया है तो रिफंड पर ब्याज तो मिलता है मगर उस ब्याज की गणना अलग तरीके से होती है। जिस दिन आय का रिटर्न दाखिल किया गया है, उस दिन से लेकर रिफंड दिए जाने तक की तारीख के बीच की अवधि का ही ब्याज आपको मिलेगा।’
घाटा कैरी फॉरवर्ड नहीं
आम तौर पर करदाता आवासीय संपत्ति तथा अभी तक इस्तेमाल नहीं किए गए मूल्यह्रास के मदों में होने वाले घाटे को अगले वर्ष के लिए कैरी फॉरवर्ड कर सकता है और अगले वर्ष की कर देनदारी में उसे समायोजित कर सकता है। मगर आयकर अधिनियम की धारा 80 स्पष्ट रूप से कहती है कि यदि आयकर रिटर्न देर से दाखिल किया गया है तो इस प्रकार के घाटों को आगे के लिए कैरी फॉरवर्ड नहीं किया जा सकता। इसी तरह कारोबार में हुए किसी भी प्रकार के घाटे (अभी तक इस्तेमाल नहीं किए गए मूल्यह्रास के अलावा) अथवा संभावित घाटे का दावा भी आयकर रिटर्न में तभी किया जा सकता है, जब आयकर अधिनियम की धारा 139(1) के तहत निर्धारित तारीख तक रिटर्न दाखिल कर दिया गया हो। सुराणा समझाते हैं, ‘मगर घाटा कैरी फॉरवर्ड करने पर इस तरह की बंदिशें उसी साल के लिए लगती हैं, जिस साल में वह घाटा हुआ है। बंदिशें उस साल नहीं लगाई जातीं, जिस साल उस घाटे का दवा किया जा रहा है।’
न चूकें मार्च की तारीख
अगर आप 31 मार्च, 2022 की तारीख भी चूक जाते हैं यानी उस तारीख तक भी अपना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाते हैं तो आप अपनी मर्जी से रिटर्न दाखिल नहीं कर पाएंगे। अब रिटर्न तभी दाखिल होगा, जब आयकर विभाग चाहेगा यानी जब आयकर विभाग की तरफ से आपके नाम का नोटिस आएगा तब उस नोटिस के जवाब में ही आप रिटर्न दाखिल कर पाएंगे। पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स के मैनेजिंग पार्टनर संदीप बजाज बताते हैं, ‘आपकी जो भी कर देनदारी बनती है, उसकी कम से कम 50 फीसदी के बराबर रकम का जुर्माना आयकर विभाग आप पर लगा सकता है। इतना ही नहीं, आयकर विभाग आपसे ब्याज भी वसूल सकता है। देर से रिटर्न दाखिल होने की सूरत में विभाग रिटर्न दाखिल किए जाने के महीने तक हर महीने 1 फीसदी की दर से ब्याज ले सकता है।’ 1 अप्रैल, 2021 से अधिकारियों को धारा 234एफ के तहत जुर्माने का दावा करने का अधिकार भी हासिल हो चुका है।