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अधिग्रहण व बिक्री में सुधार से मदद

Last Updated- December 12, 2022 | 8:01 AM IST

निर्यात-आयात (एक्जिम) व्यापार, दिसंबर तिमाही में मजबूत प्रदर्शन, प्रवर्तक की गिरवी शेयरधारिता में कमी और महाराष्ट्र में दिल्ली बंदरगाह अधिग्रहण के पूरा होने से भारत की सबसे बड़ी बंदरगाह डेवलपर और ऑपरेटर अदाणी पोट्र्स ऐंड सेज (अदाणी पोट्र्स) के शेयर को बड़ी मदद मिल रही है। पिछले साल के दौरान 80 प्रतिशत ज्यादा चढऩे वाला यह शेयर शुक्रवार को दिन के कारोबार में 676.6 रुपये के सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था।
अदाणी पोट्र्स के लिए परिदृश्य बिक्री वृद्घि, उसकी परिसंपत्तियों (जिसमें पूरे पूर्वी तथा पश्चिमी तटों में 12 बंदरगाह शामिल हैं), विशेष आर्थिक जोन के व्यवसाय और लॉजिस्टिक सेगमेंट में संभावित सुधार पर निर्भर करता है। आंतरिक स्रोतों के जरिये वृद्घि के अलावा,  कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकॉर) जैसे किसी अधिग्रहण से कंपनी को अपना परिचालन समेकित करने और ग्राहकों को अत्याधुनिक सॉल्युशन प्रदान करने में मदद मिल सकती है।
निर्यात और आयात में वृद्घि भी बिक्री के लिए मुख्य कारक है। शानदार निर्यात और आयात में सुधार मदद से एक्जिम व्यवसाय दिसंबर में वैल्यू के संदर्भ में 7 प्रतिशत बढ़ा। नोमुरा रिसर्च के विश्लेषकों के अनुसार, दिसंबर में तेजी आने से एक्जिम व्यापार को कोविड से पहले जैसी स्थिति में लौटने में मदद मिली है, क्योंकि उसने तीसरी तिमाही में निर्यात में 3 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की और आयात लॉकडाउन के बाद से पहली बार सकारात्मक दायरे में आया। व्यापार गतिवधि के बढ़ते स्तरों से कुछ लाभ दिसंबर तिमाही के नतीजों में स्पष्ट दिखा है। 7.6 करोड़ टन पर, यह कारोबारी गतिविधि एक साल पहले की तिमाही के मुकाबले 37 प्रतिशत तक ज्यादा रही और कंपनी ने अपनी सबसे ज्यादा त्रैमासिक बिक्री दर्ज की। इस बिक्री वृद्घि में आंध्र प्रदेश में हाल में खरीदा गया कृष्णापत्तनम बंदरगाह भी शामिल है। अगर इसे अलग रखकर बात की जाए तो यह वृद्घि 20 प्रतिशत रही। इससे कारगो बाजार भागीदारी सितंबर तिमाही के 24 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत पर पहुंचाने में मदद मिली। कंटेनर सेगमेंट में कंपनी की बाजार भागीदारी 7 प्रतिशत तक सुधरकर 43 प्रतिशत पर पहुंच गई और इसे इस साल अब तक 8 प्रतिशत की बिक्री वृद्घि (4 प्रतिशत की बड़ी बंदरगाह बिक्री गिरावट के मुकाबले) से मदद मिली।
वित्त वर्ष 2021 के 24-25 टन के बिक्री अनुमान (जो सालाना आधार पर 10-12 प्रतिशत ज्यादा है) को देखते हुए, मार्च तिमाही की बिक्री भी दिसंबर तिमाही के अनुरूप रहनी चाहिए। अगर कंपनी इसे बरकरार रखने में सफल रही तो यह वृद्घि चौथी तिमाही में सालाना आधार पर 42 प्रतिशत होगी।
कंपनी को जिन प्रयासों से बिक्री वृद्घि मजबूत बनाए रखने में मदद मिल सकती है, वे हैं कई सौदे जो उसने धामरा ऐंड मुंद्रा जैसे विभिन्न बंदरगाहों के साथ किए हैं। सीएलएसए के विश्लेषकों का मानना है कि एचपीसीएल बाड़मेर रिफाइनरी के साथ समझौते से भूमि बिक्री सौदा संक्षिप्त अवधि में हो सकता है और दीर्घावधि में 50 लाख-1.8 करोड़ टन सालाना की आवाजाही दर्ज की जा सकती है। अधिग्रहणों ने कंपनी की बाजार भागीदारी बढ़ाने में अहम योगदान दिया है और इससे उसे अपनी बिक्री बढ़ाने में भी मदद मिल सकती है क्योंकि मांग में वापसी देखी गई है। ताजा अधिग्रहण महाराष्ट्र में 705 करोड़ रुपये में दीघा पोर्ट की खरीदारी से संबंधित है। इसके बाद आंध्र प्रदेश में 12,000 करोड़ रुपये में कृष्णपत्तनम बंदरगाह का अधिग्रहण शामिल है जो देश में दूसरा सबसे बड़ा निजी बंदरगाह है। इस खरीदारी से अदाणी पोट्र्स को पूर्वी और पश्चिमी तटों में अपनी उपस्थिति संतुलित बनाने में मदद मिलेगी।
कृष्णपत्तनम खरीदारी से 50 करोड़ टन (पूर्व में 40 करोड़ टन) के उसके वित्त वर्ष 2025 के अनुमान में संशोधन को बढ़ावा मिला है और यह क्षमता नई बल्क श्रेणियों में कारगो के विविधीकरण और विस्तार के साथ साथ कंटेनर वृद्घि की रफ्तार मजबूत बनाने के लिए नई शिपिंग लाइंस जोड़कर हासिल की जाएगी। कंपनी ने सरकार के स्वामित्व वाली कनकोर में हिस्सा खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है, हालांकि लीजिंग एवं रेंटल को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होने से इसमें बाधा आ सकती है।
जहां सेज सेगमेंट का राजस्व प्रभावित हुआ है, वहीं कुल कारोबार में 7 प्रतिशत का योगदान देने वाले लॉजिस्टिक के राजस्व ने संभावना मुहैया कराई है। एडलवाइस रिसर्च के विश्लेषकों का मानना है कि यह सेगमेंट विभिन्न शिपिंग लाइंस के साथ अपने संबंधों का लाभ उठाकर अगले चार साल के दौरान सालाना 30 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज कर सकता है। राजस्व वृद्घि के अलावा, राजस्व में इजाफा भी कंपनी को अपना परिचालन मुनाफा मार्जिन सुधारने में सक्षम बना सकता है। कुल राजस्व में 88 प्रतिशत योगदान वाले पोर्ट सेगमेंट का मार्जिन 134 आधार अंक बढ़कर तिमाही में 72 प्रतिशत रहा और उसे कीमत वृद्घि तथा लागत कटौती के प्रयासों से मदद मिली।ज्यादा मार्जिन वाले मार्गों और प्राप्तियों में सुधार की मदद से लॉजिस्टिक सेगमेंट का मार्जिन 170 आधार अंक बढ़कर 25.9 प्रतिशत पर पहुंच गया।
कंपनी के लिएमुक्त प्रवाह वित्त वर्ष 2021 के पहले 9 महीनों के लिए 4,200 करोड़ रुपये रहा और पूरे वित्त वर्ष 2021 में इसके बढ़कर 5,500 करोड़ रुपये के पार पहुंच जाने की संभावना है। यह सकारात्मक बदलाव है, क्योंकि कंपनी को मुंद्रा और हजीरा बंदरगाहों में विस्तार योजनाओं के वित्त पोषण के लिए पूंजी की जरूरत होगी। विश्लेषकों का कहना है कि  हालांकि संभावनाएं मजबूत हैं, लेकिन शेयर में भारी तेजी की संभावना सीमित बनी हुई है। निवेश की योजना बना रहे निवेशकों को इस शेयर में गिरावट का इंतजार करना चाहिए।

First Published - February 21, 2021 | 11:52 PM IST

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