facebookmetapixel
पोर्टफोलियो को चट्टान जैसी मजबूती देगा ये Cement Stock! Q2 में 268% उछला मुनाफा, ब्रोकरेज ने बढ़ाया टारगेट प्राइससरकार फिस्कल डेफिसिट के लक्ष्य को हासिल करेगी, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जताया भरोसाBilaspur Train Accident: बिलासपुर में पैसेंजर ट्रेन-मालगाड़ी से भिड़ी, 4 की मौत; ₹10 लाख के मुआवजे का ऐलानAlgo और HFT ट्रेडिंग का चलन बढ़ा, सेबी चीफ ने मजबूत रिस्क कंट्रोल की जरूरत पर दिया जोरमहाराष्ट्र में 2 दिसंबर को होगा नगर परिषद और नगर पंचायत का मतदानउत्तर प्रदेश में समय से शुरू हुआ गन्ना पेराई सत्र, किसानों को राहत की उम्मीदछत्तीसगढ़ के किसान और निर्यातकों को मिली अंतरराष्ट्रीय पहचान, फोर्टिफाइड राइस कर्नल का किया पहली बार निर्यातBihar Elections: दूसरे चरण में 43% उम्मीदवार करोड़पति, एक तिहाई पर आपराधिक मामले; जेडीयू और कांग्रेस भाजपा से आगेIndiGo Q2FY26 results: घाटा बढ़कर ₹2,582 करोड़ पर पहुंचा, रेवेन्यू 9.3% बढ़ाNFO Alert: फ्रैंकलिन टेंपलटन ने उतारा नया मल्टी फैक्टर फंड, ₹500 की SIP से निवेश शुरू; किसे लगाना चाहिए पैसा

भारतीय बैंकों की ​स्थिति अच्छी ​​मगर बहुत अच्छा कहना जल्दबाजी होगा: एन एस विश्वनाथन

Last Updated- May 23, 2023 | 11:04 PM IST

भारतीय बैंकिंग तंत्र में अभी और सुधार की गुंजाइश है और स्वस्थ प्रोफाइल बरकरार रखने की जरूरत है ताकि मौजूदा आशावादी दौर अत्य​धिक उत्साह में फीका न पड़ जाए। यह कहना है भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व डिप्टी गवर्नर और कॉलेज ऑफ सुपरवाइजर्स के चेयरपर्सन एन एस विश्वनाथन का।

बिज़नेस स्टैंडर्ड की ओर से जो​खिम एवं बैंकिंग सुदृढ़ता पर आयोजित कार्यक्रम को संबो​धित करते हुए विश्वनाथन ने कहा कि नियामकीय पहल के समर्थन से भारत में बैंकिंग पारि​स्थितिकी तंत्र ने ‘बहुत खराब से सामान्य’ की ओर कदम बढ़ाया है।

विश्वनाथन ने कहा, ‘यह अच्छी बात है कि बैंकिंग प्रणाली बेहतर ​​स्थिति में है। हालांकि इसे बहुत अच्छी ​स्थिति में कहना अभी थोड़ी जल्दबाजी होगी क्योंकि मेरा मानना है कि बीते समय में यह बहुत खराब ​स्थिति में था। मैं जो देख रहा हूं वह यह है कि हम बहुत खराब से सामान्य की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन यह रातोरात नहीं हुआ है।’

उन्होंने कहा कि परिसंप​त्ति गुणवत्ता की समीक्षा (एक्यूआर), ​ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता तथा गैर-निष्पादित अ​स्तिायों (एनपीए) के लिए प्रावधान जैसी पहल ने भारतीय बैंकों को ज्यादा कुशल और सुदृढ़ बनाया है।

हालांकि बैंकों को इसका जश्न मानाने में जल्दबाजी दिखाने के प्रति आगाह करते हुए केंद्रीय बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर ने कहा कि मौजूदा सुदृढ़ ढांचे को बरकरार रखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आंतरिक और बाह्य स्तर पर काफी कुछ हो रहा है, ऐसे में निरंतरता बनाए रखना बेहतद महत्त्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि बीते कई वर्षों में बैंकों के कवरेज अनुपात का प्रावधान 70 से 80 फीसदी के दायरे में बढ़ा है।

विश्वनाथन का मानना है कि आरबीआई किसी भी संकट की ​स्थिति में सक्रियता से कार्रवाई करता है। उन्होंने कहा कि संकट के समय में हस्तक्षेप किया जाता है संकट के बाद नहीं। उन्होंने कहा कि येस

बैंक जैसे संकट के मामले में आरबीआई ने पहले ही अनुमान लगा लिया था। केंद्रीय बैंक पहले की तुलना में अब बेहतर तकनीक और प्रतिभा से लैस है।
सुपरवाइजरों को तैयार करने पर जोर देते हुए विश्वनाथन ने कहा, ‘यह ध्यान में रखना जरूरी है कि वित्तीय क्षेत्र में जो​खिम की प्रकृति बदल रही है। उनका काम इन अज्ञात जो​खिमों को उजागर करना और संभावित जो​खिमों की पहचान करना है।’

सिद्धांत-आधारित और नियम-आधारित कदमों के बीच चल रही बहस पर, विश्वनाथन ने इस बात पर जोर दिया कि ‘नियम-आधारित होना मौजूदा चलन से बाहर होना नहीं है’। उन्होंने कहा कि जब पत्र द्वारा व्याख्या की जाती है तब नियामक प्रणाली सिद्धांत-आधारित नहीं हो सकती है और साथ ही उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र की तैयारियों पर भी सवाल उठाया।

विश्वनाथन की बातचीत के बाद ‘मेल्टाडाउन सैंस लिक्विडिटी: दि लेसंस फ्रॉम यूएस बैंकिंग क्राइसिस’ विषय पर हुई एक पैनल चर्चा में बैंकरों ने कहा कि भारत में नकदी जमा अब कोविड-पूर्व के स्तर पर वापस आ गई है।

नकदी कवरेज मानदंड भारत में सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर लागू होता है। हालांकि, सिलिकन वैली बैंक, 16 वां सबसे बड़ा अमेरिकी बैंक होने के बावजूद, एक छोटा संस्थान माना जाता था और उसे नकदी कवरेज मानदंडों से छूट दी गई थी जिसके कारण यह दिवालिया हुआ। भारत में, छोटे से छोटे बैंकों को भी लगातार मानदंडों का पालन करना पड़ता है और वे निगरानी के दायरे में रहते हैं।

नैशनल बैंक फॉर फाइनैंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड डेवलपमेंट (एनएबीएफआईडी) के उप प्रबंध निदेशक बीएस वेंकटेश ने कहा, ‘महंगाई के कारण ब्याज दर में वृद्धि का खतरा बड़े असंतुलन की स्थिति बना रहा था और इसकी वजह से बॉन्ड प्रतिफल बढ़ गया जो बैंकरों के लिए संसाधन जुटाने की राह में एक बाधा थी। लेकिन अब स्थिति वास्तव में अनुकूल है और बॉन्ड जारी होना शुरू हो गया है।‘

First Published - May 23, 2023 | 11:04 PM IST

संबंधित पोस्ट