बीमा नियामक विकास प्राधिकरण (इरडा) ने उपभोक्ताओं के बीच सावधि बीमा उप्पादों (टर्म इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स) को सस्ता और लोकप्रिय बनाने के लिए पारंपरिक कारोबार के तहत सावधि उत्पादों पर सॉल्वेन्सी मार्जिन को कम करने का फैसला किया है।
उल्लेखनीय है कि सावधि बीमा योजनाएं उपभोक्ताओं को शुध्द जीवन बीमा मुहैया कराती हैं, जिसके तहत उपभोक्ताओं को कोई परिपक्वता लाभ नहीं मिलता है।इस वजह से यह उपभोक्ताओं के बीच बहुत ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो पाया। बहरहाल, बीमाकर्ताओं ने हाल ही में बीमा उत्पादों पर 150 फीसदी के सॉल्वेन्सी मार्जिन की व्यवस्था करने की बात कही है।
इसमें कोई शक नहीं कि बीमाकर्ताओं द्वारा उठाए जा रहे इस कदम से सावधि पॉलिसी (व्यक्तिगत और समूह पॉलिसी दोनों) के लिए पूंजी जुटाना एक तिहाई आसान हो जाएगा। किसी भी बीमा कंपनी में पूंजी के लिए प्रूडेंशियल प्रावधानों में सॉल्वेंसी मार्जिन आवश्यक है। यह बैंकिंग इंडस्ट्री के कैपिटल एडिक्वेसी रेशियो के समान होता है।
बीमाकर्ता हमेशा उपभोक्ताओं के फायदे के लिए ही काम करते हैं। जीवन बीमा निगम के कार्यकारी निदेशक जी. एन. अग्रवाल ने बताया,”इरडा द्वारा टर्म प्रोडक्ट्स के सॉल्वेंसी मार्जिन कम करने के साथ ही इन पॉलिसी की प्रीमियम भी 5 से 10 फीसदी कम होने की उम्मीद है।”
उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि अगर 35 साल का कोई व्यक्ति एक लाख का टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी लेता है, जिसका प्रीमियम सालाना 250 रुपये के करीब है। तो बीमाकर्ताओं को 450 रुपये की सॉल्वेंसी पूंजी मुहैया करानी होगी।