पिछले एक महीने में सोने में करीब 5 फीसदी की गिरावट आई है। अमेरिका में अपेक्षा से अधिक उपभोक्ता महंगाई के आंकड़े फेडरल रिजर्व अपनी मौद्रिक नीति को लगातार कड़ा कर रहा है। सोने की मांग में आई गिरावट और अमेरिकी डॉलर की मजबूती ने निकट अवधि में पीली धातु की चमक फीकी कर दी है।
पटरी पर आ रही रियल्टी
इस साल की शुरुआत से ही रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना 2,100 डॉलर प्रति औंस से ऊपर पहुंच गया था। प्रभुदास लीलाधर प्राइवेट लिमिटेड के उत्पाद और मुद्रा शोध विश्लेषक मेघ मोदी कहते हैं, ‘मगर सोने में आई यह तेजी अल्पकालिक थी क्योंकि फेड ने मार्च से ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू की थी।’बढ़ती ब्याज दरों के मद्देनजर सोने की चमक लगातार फीकी पड़ती जा रही है।
आईआईएफएल वेल्थ के कार्यकारी उपाध्यक्ष और कमोडिटीज ऐंड फॉरेक्स प्रमुख विरल शाह कहते हैं, ‘जब वास्तविक दरें अधिक होती हैं तब सोना खरीदने का ज्यादा फायदा नहीं होता।’ मेहता इक्विटीज लिमिटेड में उपाध्यक्ष (उत्पाद) राहुल कलंत्री कहते हैं, ‘इसकी वजह यह है कि ऐसी स्थिति में सोने पर किसी तरह का ब्याज या प्रतिफल नहीं मिलता है।’
वर्तमान में सोना अपने आठ महीने के निचले स्तर पर है। आईसीआईसीआई डायरेक्ट में विश्लेषक (उत्पाद और मुद्रा तथा एफऐंडओ) राज दीपक कहते हैं, डॉलर के मुकाबले रुपये में आई गिरावट और अमेरिकी बॉड पर मिलने वाले प्रतिफल में वृद्धि ने सोने की चमक लगभग छीन ली है।’
स्वर्ण ईटीएफ में भारी बिकवाली
सोने के ईटीएफ में जुलाई में 457 करोड़ और अगस्त में 38 करोड़ की शुद्ध बिकवाली देखी गई। क्वांटम एसेट मैनेजमेंट कंपनी के वैकल्पिक इन्वेस्टमेंट्स के फंड मैनेजर गजल जैन कहते हैं, ‘जब इक्विटी बाजार अच्छा प्रदर्शन करता है, तो किसी खास नीति के तहत सोने में निवेश करने वाले अपनी रकम निकाल सकते हैं। पिछले दो महीने में ऐसा ही हुआ है।’
वास्तविक मांग
त्योहारी सीजन में मांग के बूते सोने में जारी गिरावट थोड़ी थम सकती है। कोटक महिंद्रा बैंक में अध्यक्ष और व्यापार प्रमुख (वैश्विक लेनदेन बैंकिंग और कीमती धातु) शेखर भंडारी कहते हैं, ‘भारत में त्योहारी सीजन चल रहा है, जब सोने की मांग अपने चरम पर होती है। दशहरा, धनतेरस और दीवाली जैसे प्रमुख त्योहार अक्टूबर महीने में पड़ रहे हैं। इसके बाद शादी के सीजन से मांग से तेजी देखने को मिलेगी। चौथी तिमाही से चीन में मांग जोर पकड़ती है और जनवरी तक बनी रहती है। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आने पर सोना और सोने के ईटीएफ में नए सिरे से रुचि पैदा हो सकती है।
व्यवस्थित रूप से जमा करें
डॉलर के मुकाबले रुपया लुढ़ककर एक बार फिर 80 के निचले स्तर के नजदीक पहुंच गया है। विशेषज्ञों के लग रहा है कि 10 ग्राम सोने की कीमत गिरकर 48,000 रुपये ही रह सकती है। अभी इसकी कीमत 50,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से कुछ ही कम है। निवेशक इसका फायदा उठाने की पूरी कोशिश करेंगे। मोदी कहते हैं, ‘48,500 से 49,000 की कीमत पर सोना खरीदना सुरक्षित है।
पंजीकृत निवेश सलाहकार संघ (एआरआईए) के बोर्ड सदस्य लोवई नवलखी कहते हैं, ‘मौजूदा निवेशकों को विविधता का लाभ उठाने के लिए निवेश करते रहना चाहिए। नए निवेशकों को सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड के जरिये निवेश करना चाहिए।’
आनंद राठी शेयर ऐंड स्टॉक ब्रोकर्स के उत्पाद निवेश प्रमुख और सलाहकार अमर रानू कहते हैं, ‘सॉवरिन गोल्ड बॉन्ड सोने में निवेश करने का सबसे बेहतर माध्यम है क्योंकि यह 2.5 फीसदी अतिरिक्त ब्याज का फायदा देता है। इसके साथ ही यह सोने की कीमत में बदलाव होने पर आर्थिक लाभ भी देता है।’ मगर इसमें निवेश के लिए अधिकतम आठ साल की समयसीमा है।
जो कम समय के लिए निवेश करना चाहते है, उन्हें अधिक तरल उत्पाद का विकल्प चुनना चाहिए। वित्तीय नियोजन फर्म ‘हम फौजी इनीशिएटिव्स’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कर्नल संजीव गोविला (सेवानिवृत्त) कहते हैं, ‘सोने के ईटीएफ या म्युचुअल फंड के माध्यम से व्यवस्थित रूप से सोना खरीदना निवेश का एक अच्छा विकल्प है।’
शाह के अनुसार सोने में निवेश करना आर्थिक उतार-चढ़ाव से बचने का बेहतर विकल्प है। वह कहते हैं, ‘मंदी अर्थव्यवस्था का ही एक भाग है और आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ चलती रहती है। ऐसे में निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो का 10 फीसदी हिस्सा सोने के रूप में संभालकर रखना चाहिए।’
जैन मानती हैं कि निवेशक सोने को रणनीतिक पोर्टफोलियो संपत्ति के रूप में देखें और शेयर बाजार के बरअक्स इसे देखना बंद कर दें। वह नकारात्मक आर्थिक और भू-राजनीतिक झटकों से बचने के लिए विविधता लाने और 20 फीसदी तक आवंटन करने का सुझाव देती हैं। ‘कीमतों में काफी सुधार होने के साथ निवेशक एक व्यवस्थित तरीके से या एक व्यवस्थित निवेश योजना के माध्यम से जमा करना शुरू कर सकते हैं।जब सोने की कीमतों में तेजी आएगी तो इससे काफी बड़ा लाभ सुनिश्चित हो जाएगा।’
